अस्पताल में ऐसा है अमिताभ बच्चन का अनुभव, बताया कोरोना वायरस से पड़ता है मानसिक स्वास्थ्य पर ऐसा असर
बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन ने अस्पताल के अनुभव को शेयर किया है. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि अस्पताल में डॉक्टर्स और नर्स के चेहरे नहीं दिखाई देते, वह पीपीई किट में रहते हैं. वहां का सिस्टम पूरी तरह से रोबोटिक है.
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बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद से मुंबई के नानावती अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं. वह यहां 11 जुलाई को भर्ती हुए थे. वह तबसे अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं. डॉक्टर्स ने उनके स्वास्थ्य को स्थिर बताया है. वह इस दौरान किसी भी शख्स के साथ कॉन्टैक्ट में नहीं है. हालांकि वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. उन्होंने अपने ब्लॉग के जरिए अस्पताल के दौरान हुए अपने अनुभवों को फैंस के साथ शेयर किया है.
अमिताभ बच्चन ने बताया कि कोरोना वायरस का मानसिक स्वास्थ्य पर गहर असर पड़ता है. उन्होंने ब्लॉग में लिखा,"रात के घने अंधेर में और एक ठंडे कमरे में, मैं गाता हूं.. सोने की कोशिश में आंखे बंद करता हूं... आपके पास कोई नहीं होता. कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज की मानसिक स्थिति स्पष्ट दिखती है. अस्पताल में आइसोलेशन में रखा गया है. कई हफ्तों तक किसी अन्य इंसान को देखने के लिए नहीं मिलता. नर्स और डॉक्टर होते हैं, लेकिन वे हमेशा पीपीई यूनिट में दिखते हैं. "
डॉक्टर्स और नर्सों के रॉबोटिक मौजूदगी
अमिताभ बच्चन ने आगे लिखा, "आपको कभी पता नहीं चलता कि वे कौन हैं… उनकी बनावट और भाव कैसे हैं, क्योंकि वो हमेशा प्रोटेक्शन यूनिट में कवर रहते हैं…सब सफेद है… उनकी मौजूदगी लगभग रॉबोटिक है… जो दवाइयां खाने के लिए दवाइयां दी जाती हैं, बस वहीं देने आते हैं और चले जाते हैं… चले इसलिए जाते हैं क्योंकि कहीं संक्रमण होने ना हो जाए."
लोगों को छुआछूत का डर
अमिताभ बच्चन ने आगे लिखा, "मरीज यहां से जाने के बाद बदल जाते हैं, वे लोगों के बीच जाने से डरते हैं या उन्हें लगता है कि लोग उनके साथ अलग तरह से व्यवहार करेंगे. ऐसे ट्रीट करेंगे कि जैसे वे बीमारी को साथ लेकर चल रहे हैं, बिग बी ने इसे छुआछूत का डर जैसा बताया है. इससे लोग गहरे अवसाद में जा रहे हैं और अकेलेपन में भी."
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