फाल्के पुरस्कार मिलने पर बोले अमिताभ बच्चन- पेशे को पहचान मिलने पर मुझे गर्व है
सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ पाकर बिग बी को गर्व महसूस हो रहा है और उन्होंने कहा है कि वह इस देश के लोगों के प्रति आभार और अनुराग व्यक्त करते हैं.
मेगास्टार अमिताभ बच्चन को भारतीय सिनेमा के शीर्ष पुरस्कार ‘दादासाहेब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया. सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान पाकर बिग बी को गर्व महसूस हो रहा है और उन्होंने कहा है कि वह इस देश के लोगों के प्रति आभार और अनुराग व्यक्त करते हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह में रविवार को बच्चन को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया.
बच्चन पहले यह सम्मान राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में ग्रहण करने वाले थे लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वह इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाए. अपने ब्लॉग पर उन्होंने समारोह की तस्वीर लगाते हुए कहा, "पहचान के लिए मुझे गर्व है. मेरे पेशे को पहचान मिली, इसके लिए मुझे गर्व है. मुझे अपने देश और फिल्म उद्योग पर गर्व है."
अभिनेता ने इस समारोह में अपनी पत्नी और सांसद जया बच्चन, बेटे अभिषेक बच्चन के साथ हिस्सा लिया था. सात दशक के अपने लंबे करियर में अमिताभ बच्चन ने एक से बड़ कर एक हिट फिल्में दी हैं और समीक्षकों की प्रशंसा भी हासिल की है.
ट्विटर पर बिग बी ने लिखा है "इस महान देश, भारत के लोगों का, इस सम्मान के लिए आभार एवं उनके प्रति अनुराग व्यक्त करता हूं."
हिंदी फिल्म जगत में साल 1969 में 'सात हिंदुस्तानी' फिल्म से अपने करियर की शुरूआत करने वाले बच्चन पांच दशक के अपने करियर में शीर्ष पर बने रहे और फिल्मों में यादगार काम के जरिये अपने प्रशंसकों को हैरान करते रहे. प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर 1942 में जन्मे बच्चन ने एक अभिनेता के रूप में 'सात हिंदुस्तानी' फिल्म से अपने करियर की शुरूआत की. हालांकि, इस फिल्म को बॉक्स आफिस पर सफलता नहीं मिल पाई थी.
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कई फ्लॉप फिल्मों के बाद अभिनेता ने 1973 में प्रकाश मेहरा की एक्शन फिल्म 'जंजीर' के जरिये आखिरकार सफलता का स्वाद चखा. इस फिल्म ने उन्हें 'एंग्री यंग मैन' के रूप में पहचान दिलाई. इसके बाद उन्होंने 'दीवार', 'शोले', 'मिस्टर नटवरलाल', 'लावारिस', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'त्रिशूल', 'शक्ति' और 'काला पत्थर' जैसी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी के जरिये दर्शकों के दिलों में अपनी एक अलग छाप छोड़ी.
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बच्चन ने 'अभिमान', 'मिली', 'कभी-कभी' और 'सिलसिला' जैसी फिल्मों में संवेदनशील भूमिकाएं अदा कीं. उन्होंने 'नमक हलाल', 'सत्ते पे सत्ता', 'चुपके चुपके' और 'अमर अकबर एंथनी' जैसी फिल्मों के जरिये कॉमेडी में भी हाथ आजमाये.
अस्सी के दशक के दौरान उनके करियर में आये उतार-चढ़ाव के बाद 1990 में मुकुल एस आनंद की फिल्म 'अग्निपथ' में बच्चन ने गैंगस्टर विजय दीनानाथ चौहान की बेहतरीन भूमिका अदा की, जिसके लिये उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला. इसके बाद अभिनेता ने 2000 के दशक में चरित्र भूमिकाएं निभाना शुरू किया और 2001 में आदित्य चोपड़ा निर्देशित फिल्म 'मोहब्बतें' में उन्होंने ऐश्वर्या राय के पिता की भूमिका निभाई.
इसके बाद उन्होंने गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति' की मेजबानी के जरिये टेलीविजन क्षेत्र में अपने करियर की शुरूआत की. अमिताभ साथ ही फिल्मों में भी काम करते रहे. उन्होंने 'आंखें', 'बागबान', 'खाकी', 'सरकार', 'ब्लैक', 'पा', 'पीकू' और 'पिंक' जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय के जौहर दिखाये.
सरकार ने बच्चन को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1984 में पद्म श्री, 2001 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.