काबुल से बॉलीवुड में आकर अपनी कलम से कलाकारों की किस्मत लिखने वाले लीजेंड राइटर-कॉमेडियन कादर खान अब इस दुनिया में नहीं हैं. फिर भी उनकी लेखनी-अदाकारी के कायल कम नहीं हुए. बेहद कम लोग जानते होंगे, कादर का करियर फिल्मों की कहानी, पटकथा और डायलॉग्स लिखने के साथ शुरू हुआ, लेकिन आखिरी दिनों में बेहतरीन कॉमेडियन के तौर खत्म हुआ. यह बदलाव कैसे हुआ और किसकी वजह से हुआ, इसकी कई दिलचस्प कहानियां हैं. 


1973 में राजेश खन्ना को ‘दाग’ से बॉलीवुड में एंट्री दिलाने वाले कादर खान को राजेश खन्ना ने ही अपनी फिल्म ‘रोटी’ के डायलॉग लिखने का मौका दिया था. तीन सौ से अधिक फिल्मों में अभिनय और करीब 250 से भी अधिक फिल्मों के लिए डायलॉग लिखने वाले कादर की जिंदगी में एक ऐसा समय भी आया था, जब उन्हें कोई काम नहीं दे रहा था. जो काम पहले से था वह भी छीन लिया गया. इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन बने.


इससे पहले दोनों ने एक साथ कई फिल्मों के लिए काम किया है. अमिताभ को महानायक बनाने में कादर की कलम को बड़ा योगदान रहा है. कादर ने उनके लिए ‘कुली’, ‘देश प्रेमी’, ‘सुहाग’, ‘परवरिश’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘अमर अकबर एंथोनी’, ‘शराबी’, ‘लावारिस’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘खून पसीना’, ‘दो और दो पांच’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘इंकलाब’, ‘गिरफ्तार’, ‘हम’ और ‘अग्निपथ’ जैसी फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे थे.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कादर ने इंटरव्यू के दौरान बताया था कि साउथ के एक प्रोड्यूसर ने उन्हें फिल्म में डायलॉग राइटिंग के लिए बुलाया था. मगर उसने कादर खान को कहा कि ‘आप जाकर सर जी से मिल लो.’ कादर ने पूछा ये ‘ये सर जी कौन है’, तो निर्माता ने अमिताभ की ओर इशारा करते कहा कि ‘क्या आप सरजी को नहीं जानते? अरे अमिताभ बच्चन.’ ये सुनते ही कादर ने पूछ लिया कि ‘ये सर जी कब से हो गए?’ ‘मैं अमिताभ को अमित कहकर ही बुलाता हूं और दोस्तों को, घरवालों को कभी भी इस तरह से संबोधित नहीं किया जाता है.’


बस यहीं से कादर पर मुसीबतों के पहाड़ टूटने लगे. अमिताभ की ही ‘गंगा जमुना सरस्वती’ के लिए संवाद लिख रहे कादर को आधी फिल्म लिखने के बावजूद फिल्म छोड़नी पड़ी. अमिताभ की ही फिल्म ‘खुदा गवाह’ से भी बाहर कर दिया गया. आगे भी कादर के हाथ में मौजूद फिल्में छीन ली गईं. कादर को लगता था कि अमिताभ से उनकी दोस्ती तब ही है, जब वे सिर्फ कलाकार थे, इतनी गहरी दोस्ती यारी में सर जी कहना सही नहीं है, मगर शायद वो दोस्ती, दोस्त के स्टारडम के आगे छोटी पड़ गयी.


‘शहंशाह’ के बाद दोनों ने कभी साथ काम नहीं किया. अपने पांच दशकों से लंबे करियर में कादर खान ने तकरीबन हर तरह के किरदार निभाए, लेकिन जब लेखन का काम मिलना बंद हो गया तो उन्होंने अपनी अदाकारी की खूबी को खूब संवारा. 1985 से 2000 का यही दौर था, जब अतिताभ करियर के हाशिए पर रहे और कादर अपनी कॉमेडी से बॉलीवुड के सबसे महंगे अदाकार बन गए. कादर की बतौर कॉमेडियन अंतिम हिट सलमान स्टारर मुझसे शादी करोगी थी. इसके बाद वे कनाडा में बस गए और वहीं अंतिम सांस ली.