इसे संयोग ही कहा जाएगा की साल 2020 के जिस जुलाई महीने में अमिताभ बच्चन कोरोना संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती हुए हैं. 38 साल पहले ऐसे ही जुलाई के महीने में महानायक अमिताभ बच्चन कुली फिल्म की शूटिंग के दौरान घायल होकर अस्तपताल में भर्ती हुए थे. 62 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद वो मौत को मात देकर वापस अपने घर लौटे थे. कहानी शुरु होती है 24 जुलाई 1982 को बेंगलुरु से फिल्म कुली के एक सीन में जब पुनीत इस्सर का घूंसा अमिताभ के मुंह पर लगा था, जिसके बाद वो एक टेबल पर गिर जाते हैं. उस सीन के खत्म होने के बाद लोगों ने तालियां बजाईं और अमिताभ भी मुस्कुराए, लेकिन तभी उनके पेट में हल्का दर्द शुरू हुआ. टेबल का एक कोना उनके पेट में बुरी तरह चुभ गया था.



बेंगलुरु में हालत खराब होती चली गई थी और उन्हें एयरबस के ज़रिए मुंबई ले जाया गया जहां उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया. फिर इलाज शुरु हुआ जहां लगातार ज़हर फैलता जा रहा था. एक बड़े ऑपरेशन के बाद 2 अगस्त तक आते-आते डॉक्टर ने तो यहां तक कह दिया था की दोबारा ऑपरेशन करना जरूरी है. 3 घंटे तक ऑपरेशन चला और डॉक्टर्स ने पहली बार कहा कि अमिताभ की हालत नाजुक है. उन्हें दवाओं के साथ दुआओं की भी जरूरत है.



फाइल फोटो

देशभर में अपने चहेते स्टार के लिए लोगों ने प्रार्थनाएं करनी शुरू कर दीं. तमाम मंदिरों और धार्मिक स्थलों में लोग अमिताभ की सलामती की दुआ मांगने के लिए उमड़ पड़े. 2 अगस्त को हुए ऑपरेशन के तीन दिन बाद, बच्चन पहली बार फिजियोथेरेपिक मसाज, वॉकमैन पर हल्के जैज सुनने और परिवार के सदस्यों के लिए नोट लिखने के लिए बैठने में सक्षम हुए.



24 सितंबर को आखिरकार अमिताभ को ब्रीच कैंडी अस्पताल से छुट्टी मिल गई. ठीक होने पर अपने प्रशंसकों का धन्यवाद देते हुए अमिताभ ने कहा था, "जिंदगी और मौत के बीच ये एक भयावह अग्नि परीक्षा थी. दो महीने का अस्पताल प्रवास और मौत से लड़ाई खत्म हो चुकी है. अब मैं मौत पर विजय पाकर अपने घर लौट रहा हूं."



कोरोना वायरस से संक्रमण महानायक अमिताभ बच्चन मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं. उनकी तबियत भी ठीक बताई जा रही है. वहीं आज भी दुनियाभर में उनके चाहने वाले उनकी सलामती की दुआ कर रहे हैं.