हिंदी सिनेमा से श्रेष्ठ के तौर पर अपनी पहचान रखनेवाले अभिनेता संजीव कुमार के 84वें जन्मदिन के मौके पर आज उनकी बायोग्राफी 'द एक्टर वी ऑल लव्ड' मुम्बई में लॉन्च की गयी. इससे साझा तौर पर लेखिका रीता रामामूर्ति गुप्ता और संजीव कुमार के भतीजे उदय जरीवाला ने लिखा है. लॉन्च के खास मौके पर दोनों राइटर्स के अलावा अनिल कपूर भी खास तौर पर मौजूद थे जिन्होंने संजीव कुमार की जीवनी को लॉन्च किया.
इस खास मौके पर मौजूद अनिल कपूर ने एक्टर के तौर पर संजीव कुमार की महानता, उनकी रियलिस्टिक एक्टिंग और हर किरदार में ढल जाने की खासियत के अलावा उनकी दरियादिली की बदौलत खुद एक एक्टर बनने के बारे में विस्तार से बात की. अनिल कपूर ने कहा कि वे संजीव कुमार की रिएलिटस्टिक एक्टिंग से बहुत प्रभावित रहे हैं और उन्होंने छोटे से वक्त में अपने अभिनय से हिंदी सिनेमा में जो मकाम हासिल किया था, वो अपने आप में कम काबिल-ए-तारीफ नहीं है और उनकी हरेक परफॉर्मेंस बेहद दर्शनीय हुआ करती थी. अनिल कपूर ने कहा कि वे शुरुआत से ही संजीव कुमार के फैन हुआ करते थे और फिल्मों में एक्टिंग करने का उनका फैसला कहीं ना कहीं संजीव कुमार से प्रेरित रहा है.
अनिल कपूर ने कहा कि दिलीप कुमार ने संजीव कुमार के साथ फिल्म 'संघर्ष' (1968) में एक्टिंग की थी और वे संजीव कुमार की एक्टिंग से बेहद प्रभावित हुए थे. दिलीप साहब ने तब कहा था कि संजीव कुमार एक अभिनेता के तौर पर भारतीय सिने जगत में एक महान कलाकार कहलाएंगे. अनिल कपूर के कहा कि एक होते हैं स्टार और दूसरे होते हैं एक्टर, मगर संजीव कुमार स्टार या एक्टर होने की बजाय एक 'स्टार-एक्टर' थे और उनकी बात ही कुछ और थी. अनिल कपूर ने कहा, "जब हम (निर्माता बोनी कपूर के साथ) 'हम पांच' बना रहे थे, तो उसमें सभी नये कलाकार थे - नसीर साहब, मिथुन चक्रवर्ती, राज बब्बर, गुलशन ग्रोवर... और इसे एक नये निर्देशक बापू ने डायरेक्टर किया था.
फिल्म के पांच नये कलाकार 'पांडव' से प्रेरित भूमिकाओं में थे और ऐसे में हमें एक 'कृष्ण' की जरूरत थी और ऐसे में हमें लगा कि संजीव कुमार से अच्छा 'कृष्ण' हो ही नहीं सकता था. अनिल कपूर ने कहा कि फिल्म 'हम पांच को नये कलाकारों की नहीं, बल्कि संजीव कुमार की स्टार वैल्यू की बदौलत हम इसे बेचने में सफल साबित हुए थे. उन्होंने कहा, "आज मैं जो कुछ हूं वो संजीव कुमार की बदौलत ही हूं." इस विस्तार से समझाते हुए अनिल कपूर ने कहा कि संजीव कुमार महज हिंदी सिनेमा के सबसे महानतम कलाकारों में से एक नहीं, बल्कि एक उदार दिल और नेकदिल इंसान भी थे.
उन्होंने अपने द्वारा अभिनीत एक फिल्म का उदाहरण देकर समझाते हुए कहा कि 'वो साथ दिन' (1980) की मेकिंग के अधिकार खरीदने के लिए 75,000 रुपये कम पड़ रहे थे और ऐसे में उस वक्त संजीव कुमार ने 25,000 रुपये की मदद की थी और तब कहीं जाकर 'वो सात दिन' बन पाई थी, जिसमें उन्होंने (अनिल कपूर) ने लीड के तौर पर काम किया था." अनिल कपूर ने कहा, "अगर उस वक्त संजीव कुमार ने हमारी मदद नहीं की होती तो मैं एक एक्टर के तौर पर जहां हूं, वहां नहीं होता."
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