अनुपम ने कहा, "मेरी मित्र, मैं उन लोगों के लिए भी जश्न मनाता हूं जो असफल हो जाते हैं. क्योंकि मेरे लिए अफलता एक घटना है.. कोई व्यक्ति नहीं. लेकिन यह मुझे किसी ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा करने से नहीं रोकता जो 99.6 प्रतिशत अंक प्राप्त करता है."
लेखक ने बताया कि उनका ट्वीट इस संदर्भ में हैं कि जब लोग असफल होते हैं या कम अंक प्राप्त करते हैं तो सबसे अधिक समर्थन की आवश्यकता होती है. वह कहते हैं, "मुझे कभी 38 फीसदी से अधिक अंक नहीं मिले. अंक जरूरी होते हैं लेकिन अभिभावकों अपने बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए." उन्होंने कहा, "यह एक मनोवैज्ञानिक दबाव है. मेरे पिता मेरी असफलताओं पर हमेशा जश्न मनाते थे और इस प्रक्रिया में मैं डर से हमेशा दूर रहता था."