अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) एक ऐसा नाम जिसने अपने काम के दम पर बॉलीवुड में अलग मुकाम बनाया. अनुराग लीक से हटकर फिल्म बनाने में माहिर हैं उनकी फिल्मों में समाज की वास्तविकता मिली है जिससे आम लोग भी खुद को जोड़ पाते हैं. अनुराग कश्यप आज बॉलीवुड के बेहतरीन डायरेक्टर्स में से एक है. लेकिन बॉलीवुड में ये मुकाम हासिल करने का सफर इतना आसान भी नहीं रहा. शुरुआती दौर में एक वक्त ऐसा भी आया था जब उन्हें मुंबई की सड़क पर सोकर अपनी रात गुजारनी पड़ी


मुंबई की सड़कों पर गुजारी कई रातें


10 सितंबर को अनुराग कश्यप का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ. उनके पिता बिजली विभाग में इंजीनियर थे इसलिए उनका बचपन कई शहरों में गुजरा, अनुराग ने शुरुआती पढ़ाई देहरादून और फिर आगे की पढ़ाई ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से की. दिल्ली के हंसराज कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. अनुराग को शुरुआत से ही थियेटर का शौक था. उनकी यही शौक उन्हें साल 1993 में मुंबई की ओर खींच लाया, वो महज 5 हजार रुपए लेकर मुंबई आ गए थे. स्ट्रगल के दौरान जब उनके पैसे खत्म हो गए तो उन्हें अपनी कुछ रातें मुंबई की सड़कों पर भी गुजारनी पड़ी.


अपनी फिल्मों से हासिल किया अलग मुकाम


साल 1998 में अनुराग कश्यप को राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' में के लिए कहानी लिखने का मौका मिला. ये फिल्म हिट रही. इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अनुराग ने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर'. 'ब्लैक फ्राइडे', 'देव डी'. 'बॉम्बे टॉकीज', 'अगली', 'रमन राघव 2.0' और 'मनमर्जिया' जैसी फिल्में बनाई. कहते हैं जो अनुराग कश्यप एक ऐसे डायरेक्टर है जो ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म बना देते हैं जिसे सोचने भर से दूसरे लोग घबरा जाएं. अपनी इन फिल्मों के दम पर उन्होंने बॉलीवुड में अलग ही मुकाम हासिल किया है.


यह भी पढ़ें


Esha Gupta को Dusky Complexion के कारण सुनने पड़ते थे ताने, Make-up से गोरा होने की सलाह देते थे कुछ Actors


KBC 13: जब फराह खान ने अमिताभ बच्चन को डाटते हुए पूछा था- खुद को समझते क्या हैं?