Anurag Kashyap On Boycott Trend: फिल्मकार अनुराग कश्यप का कहना है कि सफलता से बड़ा कोई जवाब नहीं है और जब सफलता शाहरुख खान की 'पठान' जैसी शानदार हो, तो संदेश जोरदार और स्पष्ट है. इसके बाद नफरत लोगों के प्यार के सामने नहीं टिक सकती.
'पठान' की रिलीज से पहले कुछ दक्षिणपंथी और भाजपा मंत्रियों द्वारा इसका विरोध किया था. अनुराग कश्यप ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “पठान की सफलता न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि इसने उस हताशा को उजागर किया है जिसके साथ ये ट्रोल थे. इतने सारे नंबरों के बाद भी, कुछ लोग इस पर डटे हुए हैं, इसे कम करने का कारण खोजने की कोशिश कर रहे हैं. वे पूरी तरह नग्न हो गए हैं.”
ट्रेंड चलाने वाेले लोग नहीं बल्कि ट्रोल हैं
कश्यप का कहना है कि उन्होंने ट्विटर पेज देखे हैं जो पठान के माध्यम से दावा कर रहे हैं कि फिल्म में "गलत सूचना" है, लेकिन टिकट खरीदने वाले दर्शकों ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा, "वे बहुत हताश हैं, हर तरह की बातें कहने की कोशिश कर रहे हैं, 'मत देखो, इसमें गलत सूचना है' लेकिन आप जानते हैं कि, वे सभी अब 'नंगे' (नग्न) हैं. यह अब पहले से कहीं अधिक स्पष्ट है कि एजेंडा चलाने वाले लोग नहीं हैं, यह निवेशित दक्षिणपंथी ट्रोल हैं.''
अनुराग कश्यप का कहना है कि समय ऐसा है कि लोग सोशल मीडिया पर फैलाई गई नफरत से परे एक बड़ी फिल्म या एक प्रत्याशित फिल्म का सीक्वल देखने के लिए सिनेमाघरों में आएंगे. एकमात्र कारण मध्यम आकार की मूल हिंदी फिल्में होंगी, जो अच्छी समीक्षाओं के बावजूद दर्शकों को खोजने के लिए संघर्ष कर रही हैं. उन्होंने कहा, “दूसरी तरह का सिनेमा, जिसे मुंह से बोलने की जरूरत होती है, हिंदी सिनेमा में वह जगह नहीं है, लेकिन क्षेत्रीय फिल्मों में है. उन्हें पहले अपने क्षेत्र में शोर करने को मिलता है और फिर हम इसके बारे में सुनते हैं और फिर वे यहां यात्रा करते हैं. वाणी का लाभ मिलता है. हिंदी फिल्मों में जुबान की बैंडविड्थ नहीं होती क्योंकि जब तक यह बनती है.