मुंबई: राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म-एडिटर अपूर्व असरानी का कहना है कि वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्यस्कों के बीच समलैंगिकता को अपराध न करार दिए जाने के फैसले से बहुत खुश हैं. असरानी धारा 377 के खिलाफ मुखरता से आवाज उठाने वालों में शामिल रहे हैं. धारा 377 गे-सेक्स को अपराध मानती थी.


असरानी ने कहा, "जबसे मैंने यह खबर सुनी है, तब से मेरे आंसू रुक नहीं रहे हैं. 71 साल बाद ज्यादातर भारतीयों ने पूरी आजादी पाई है. एलजीबीटीक्यू समुदाय आखिरकार मुक्त हो गया. सच्ची इच्छाओं को दबाने और फिर आपराधिक मामले के डर में एक अरसा सा बीत गया है. आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय के अच्छे न्यायाधीशों ने सम्मान और गरिमा के साथ हमारे लिए बात की. अब कानून हमारे साथ है."



उन्होंने कहा, "हालांकि अभी समाज को अपनी मानसिकता बदलने में थोड़ा समय लगेगा, कम से कम अब हमारे पास परेशान या भेदभाव का शिकार होने पर कानूनी सहारे तक की पहुंच तो होगी. मैं उन सभी लोगों के प्रति बहुत आभार व्यक्त करता हूं जो इस दिन के लिए निरंतर लड़ रहे थे."


अपूर्व ने ही सबसे प्रसिद्ध फिल्मों में से एक 'अलीगढ़' की कहानी, पटकथा और संवाद लिखे थे. यह फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर रामचंद्र सिरस की जिंदगी पर आधारित थी, जिन्हें समलैंगिक होने के कारण विश्वविद्यालय से निकाल दिया जाता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.


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