जयपुर: दिग्गज गायिका आशा भोसले जब छोटी थीं, तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर से हटकर अपनी अलग गायन शैली बनानी है. हमेशा से पश्चिमी संगीत और कैमरन मिरिंडा जैसे गायकों में रुचि रखने वाली आशा भोसले ने हमेशा उनकी तरह गाने की कोशिश की. वो अपने शास्त्रीय संगीत की ट्रेनिंग से हटकर अलग तरीके से अलग अलग धुनों में नए प्रयोग करने की कोशिश करती रहती थीं.
शनिवार को रेमंड एमटीवी इंडिया म्यूजिक समिट में मौजूद होने के दौरान दिग्गज गायिका आशा भोसले ने बताया कि उनके इसी शास्त्रीय और पश्चिमी कंपोजिशन की कोशिश ने उन्हें विश्व संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने की प्रेरणा दी.
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गायिका ने गीतकार, पटकथा लेखक और समिट के मेंटर प्रसून जोशी के साथ 'इन आंखों की मस्ती के' नामक सेशन में अपनी संगीत और जीवन से जुड़े अनुभवों को साझा किया.
आशा भोसले ने कहा, "किसी भी इंसान के जीवन का सबसे बड़ा निर्धारक आवश्यकताएं होती हैं. जरूरत ने ही मुझे मिलने वाले हर तरह के गीत को गाने के लिए मजबूर किया. किसी भी तरह का गाना मेरे लिए 'भगवान' की तरह है. मैंने, सुनिश्चित किया कि मैं मुझे मिलने वाले गानों में अपनी चमक छोड़ पाऊं."
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