Asha Parekh Depression: इस खास शख्स को खोने के बाद डिप्रेशन में चली गईं थी आशा पारेख, आने लगे थे आत्महत्या के विचार
Asha Parekh Depression: आशा पारेख एक वक्त पर डिप्रेशन में चली गई थी और उन्हें आत्महत्या के खयाल आया करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि इससे बाहर निकलने के लिए उन्होंने डॉक्टर्स की मदद ली थी.
Asha Parekh Depression: सक्सेस की ऊंचाइयों पर अक्सर लोगों को अकेलापन का अंधेरा घेर लेता है. ऐसा ही कुछ बॉलीवुड लीजेंड एक्ट्रेस आशा पारेख के साथ भी हुआ था. एक्ट्रेस ने खुद इस बात का खुलासा किया था कि वो डिप्रेशन में चली गई थी और आत्महत्या के खयाल आया करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि इससे बाहर निकलने के लिए उन्होंने डॉक्टर्स की मदद ली थी.
1960 का दशक पूरी तरह से आशा पारेख के नाम रहा. इस दौरान उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं और हिट गर्ल ऑफ बॉलीवुड बन गईं. लेकिन एक्ट्रेस का कहना है कि ऊंचाइयों पर इंसान अक्सर अकेला पड़ा जाता है. हालांकि उनके डिप्रेशन का कारण उनकी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर हिट होना या फ्लॉप होना नहीं था. असल में इसके पीछे की वजह उनका परिवार था.
आशा पारेख को क्यों आते थे सुसाइडल थॉट्स
अपनी ऑटोबायोग्राफी लॉन्च करने से पहले आशा पारेख ने न्यूज एजेंसी पीटीई से बातचीत में बताया था कि उनके माता-पिता के निधन के बाद वो डिप्रेशन में चली गईं थी और उस वक्त वो इतना ज्यादा टूट गई थी कि उनको आत्महत्या जैसे खयाल आने लगे थे. उन्होंने बताया, “यह मेरे लिए बहुत बुरा दौर था. मैंने अपने माता-पिता को खो दिया. मैं बिल्कुल अकेली थी और मुझे अकेले ही सब कुछ मैनेज करना था. इसने मुझे डिप्रेशन में डाल दिया. मैं दुखी महसूस कर रही थी और मेरे मन में ये आत्महत्या जैसे विचार आ रहे थे. फिर मैं इससे बाहर निकली. यह एक संघर्ष है, इससे बाहर निकलने के लिए मुझे डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ी.''
सफलता अकेला कर देती है
आशा पारेख ने कहा कि कई बार फैंस के बेइंतहा प्यार के बावजूद आप काफी अकेले होते हैं. उन्होंने कहा, "यह अकेला है. टॉप पर आप हमेशा अकेले रहते हैं. मैं बहुत भाग्यशाली थी कि मेरे साथ मेरे प्यारे माता-पिता थे. मेरी मां मेरे करियर, मेरे जीवन की बैक थीं. इसलिए उन्हें खोने के बाद मैं डिप्रेशन में आ गई. यह एक बड़ी राहत है कि वो दौर अब बीत गया है.
बता दें कि आशा पारेख ने 1952 में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया. वो 'आसमान' और दो साल बाद बिमल रॉय की 'बाप बेटी' में नजर आईं. इसके बाद सोलह साल की उम्र में, उन्हें एक फिल्म मिलते-मिलते रह गई. बाद में निर्माता सुबोध मुखर्जी और लेखक-निर्देशक नासिर हुसैन ने उन्हें 'दिल देके देखो' में शम्मी कपूर के साथ बतौर लीड एक्ट्रेस साइन किया.
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