'एवेंजर्स : इनफिनिटी वॉर' के हिंदी ट्रेलर में फिल्म के लीड विलेन थानोस का एक डायलॉग है- 'जल्द ही...मैं तुम्हें एहसास दिलाउंगा कि हार क्या होती है.' 2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म में थानोस शुरुआत से क्लाइमेक्स तक अपने वादे पर खरा उतरता है.


कहां तक पहुंचा 'एवेंजर्स' से शुरू हुआ 'एवेंजर्स : इनफिनिटी वॉर' का सफर


'एवेंजर्स' सीरीज़ की ये तीसरी किश्त है और हर नई किश्त में 'मार्वल कॉमिक्स' के किरदारों पर बनी इन फिल्मों ने एक नया स्टैंडर्ड सेट किया है. 'एवेंजर्स : इनफिनिटी वॉर' में सेट किए गए स्टैंडर्ड से 'द डार्क नाइट' के उन फैंस की वो प्यास बुझी होगी जो हेथ लेजर के साथ 'जोकर' की मौत के बाद से लगातार बनी हुई थी. आपको याद होगा इस सीरीज़ की पहली फिल्म 'एवेंजर्स' (2012) में 'शील्ड' के सैमुअल जैक्सन (नीक फरी ) 'एवेंजर्स' की एक टीम बनाते है जो थॉर के भाई लोकी से धरती को बचाने की जंग लड़ती है.


दूसरी किश्त 'एवेंजर्स एज ऑफ अल्ट्रॉन' (2015) में टोनी स्टार्क (आयरन मैन) और ब्रूस बैनर (हल्क) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम बनाते हैं. 'अल्ट्रॉन' नाम का ये सिस्टम इसके बनाने वालों के हाथों से ही बाहर निकल जाता है और एक बार फिर से 'एवेंजर्स' की टीम के पास धरती को बचाने की ज़िम्मेदारी आ जाती है.



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'एवेंजर्स इनफिनिटी वॉर' में मामला धरती या थॉर के ग्रह 'एसगार्ड' का नहीं है. इस बार पूरा ब्रह्माण्ड ख़तरे में है. इसी ब्रह्माण्ड में छह 'इनफिनिटी स्टोन' मौजूद हैं जिसे पाकर थानोस आधे ब्रह्माण्ड को समाप्त करके एक नई दुनिया बनाना चाहता है. फिल्म इसी के इर्द-गिर्द घूमती है कि 'इनफिनिटी स्टोन' को पाने और बचाने की इस जंग में जीत किसकी होगी. क्या दो दर्जन से ज़्यादा सुपर हीरो एक सुपर विलेन से ये जंग हार जाएंगे?


यकीन मानिए, आप फिल्म का अंत गेस नहीं कर पाएंगे और इसलिए ये फिल्म आपको बिल्कुल भी निराश नहीं करेगी.


हर कैरेक्टर से न्याय करने वाली फिल्म है 'एवेंजर्स : इनफिनिटी वॉर'



इसके पहले भी कई सुपर हीरोज़ वाली 'सुसाइड स्क्वाड' और 'बैटमैन वर्सेज़ सुपरमैन' जैसी फिल्में आई हैं. लेकिन किसी ने सुपर हीरोज़ के बीच के बैलेंस को 'एवेंजर्स : इनफिनिटी वॉर' की तरह नहीं निभाया. सुपर हीरोज़ के फैंस की शिकायतें तो फिर भी रह जाएंगी लेकिन फिल्म के डायरेक्टर एंथनी रूसो और जो रूसो ने इसके हर कैरेक्टर के साथ न्याय किया है.


'सुसाइड स्क्वाड' और 'बैटमैन वर्सेज़ सुपरमैन' जैसी फिल्मों के बैलेंस की तरह विलने भी इतने कमज़ोर थे कि क्लाइमेक्स में दर्शकों ने माथा पीट लिया था. हालांकि, 'इनफिनिटी वॉर' में थानोस को थोड़ा ज़्यादा एनिमेट कर दिया गया है. लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, आपको थानोस बिल्कुल असली लगने लगता है. वहीं थॉर से लेकर आयरन मैन और हल्क जैसे सुपर हीरोज़ थानोस के सामने जितने बौने नज़र आते हैं उसकी वजह से ये फिल्म अबतक की सभी सुपर हीरो फिल्मों से अलग नज़र आती है.


सुपरहीरोज़ की फिल्म देखने के लिए वजहों की दरकार नहीं होती


सुपरहीरोज़ की फिल्मों को देखने के लिए वैसे तो किसी वजह की ज़रूरत नहीं होती. लेकिन इसे इसलिए देखा जाना चाहिए क्योंकि फिल्म की कहानी कहने में इसके डायरेक्टरों ने बहुत बड़ा रिस्क लिया है और उसे शानदार तरीके से निभाया है. सुपरहीरो फैंस अपने पसंदीदा किरदारों को लेकर पागल होते हैं. ऐसे में एंथनी और जो रूसो ने फिल्म के क्लाइमेक्स में जो हिम्मत दिखाई है वो काबिले तारीफ है.


रॉबर्ट डाउनी जूनियर से लेकर स्कारलेट जोहानसन, एलिजाबेथ ओल्सेन, क्रिस इवान, मार्क रुफ्फालो, क्रिस हेम्सवर्थ और पीटर डिंकलेज़ जैसे इस फिल्म के तमाम किरदार अपनी एक्टिंग का लोहा तो कब का मनवा चुका है. वहीं शानदार डायरेक्शन और एक्टिंग के अलावा फिल्म की कहानी से लेकर बैकग्राउंड स्कोर, एनिमेशन, म्युज़िक और थानोस जैसा विलेन आपको हर वो वजह देते हैं जिनके लिए आप इस फिल्म को एक मौका तो ज़रूर दें.


फिल्म ने एक्शन और ह्यूमर के बीच गज़ब का बैलेंस बनाया है



एक्शन फिल्मों में 2015 में आई जॉर्ज मिलर की 'मैड मैक्स' वो फिल्म थी जिसने दर्शकों को लगातर सीट के किनारे पर बिठाए रखा था. फिल्म में ऐसा एक्शन है कि हथेलियों तक में पसीना आ जाता है. लेकिन 'मैड मैक्स' आपको कहीं पर रिलीज़ नहीं करती यानी राहत नहीं देती. वहीं इसमें ह्यूमर भी बेहद डार्क था जिसकी वजह से फिल्म के बाद शरीर से आत्मा तक भारी लगने लगती है.


'एवेंजर्स : इनफिनिटी वॉर' शुरू होते ही आपको सीट के किनारे पर ले आती है और फिर रिलीज़ करती है. ये सिलसिला पूरी फिल्म में चलता रहता है. कई बार फिल्म इतनी टेंस हो जाती है कि आप अपना कंट्रोल खो देते हैं. वहीं इतनी टेंशन के बीच भी क्लाइमेक्स तक फिल्म ने जिस तरीके से ह्यूमर और हल्केपन को मेंटेन किया है उसकी वजह से आपको फिल्म ख़त्म होने के बाद भी भारीपन का एहसास नहीं होता.


फिल्म की एक बड़ी दिक्कत है सबका साथ आना



फिल्म के साथ एक दिक्कत ये है कि इसमें 'एवेंजर्स' से लेकर 'ब्लैक पैंथर' और 'गार्जियन ऑफ द गैलेक्सी' तक के किरदारों को एक कर दिया गया है. ऐसे में अगर आपने 'मार्वल कॉमिक्स' के किरदारों और इसपर बनी फिल्मों को आत्मसात नहीं किया तो आपके लिए रिलेट करना थोड़ा या बहुत मुश्किल हो जाएगा और ढेर सारी उल्झने पैदा हो जाएंगी. वहीं फिल्म की कहानी भी पिछले कई फिल्मों की कहानियों से जुड़ी हुई है.


बावजूद इसके इतने सारे सुपर हीरोज़ वाली इस फिल्म की अपनी एक अलग कहानी है जिसे देखने के बाद 'मार्वल कॉमिक्स' के किरदारों पर बनी फिल्मों को रिवर्स इंजीनियर कर सकते हैं. यानी बाकी की फिल्में इसके बाद देख सकते हैं ताकि आपको सब समझ आ जाए.


सरप्राइज़ एलिमेंट


ज़ाहिर सी बात है कि जिस फिल्म में दो दर्जन से ज़्यादा सुपर हीरोज़ हैं उसमें सरप्राइज़ की भरमार होगी. लेकिन अगर हम आपको बताएं कि फिल्म में 'गेम ऑफ थ्रोन्स' के फैंस के लिए भी सरप्राइज़ है तो आप क्या कहेंगे?


दर्शकों का हाल बेहाल


रिलीज़ के दिन दिल्ली के एक IMAX के पर्दे पर चली रही ये फिल्म जब ख़त्म हुई तब दर्शक अपनी सीट पर बैठे रहे. वो क्रेडिट रोल चलने से लेकर इसके ख़त्म होने तक बैठे रहे क्योंकि जो हुआ उसपर उनको यकीन ही नहीं हो रहा था. राहत की बात ये है कि फिल्म क्रेडिट रोल पर ख़त्म नहीं होती. लेकिन इसके बाद भी फैंस को कोई राहत नहीं मिलती और वो बेचैनी के साथ थियेटर के बाहर निकलते हैं. दर्शकों के ऐसे ही हाल की ख़बरें देश और दुनियाभर की तमाम जगहों से आ रही हैं.


Statutory Warning: क्लाइमेक्स में क्रेडिट रोल खत्म होने तक अपनी सीट ना छोड़ें.

डायरेक्टर- एंटोनी रुसो, जो रुसो

रेटिंग: साढ़े चार स्टार 4.5


नीचे देखें फिल्म का ट्रेलर