स्टारकास्ट- आयुष्मान खुराना, नुसरत भरूचा, अन्नू कपूर, विजय राज़
डायरेक्टर: राज शांडिल्य
रेटिंग: ****
दुनिया में जितनी भीड़ बढ़ती जा रही है लोग उतने ही अकेले होते जा रहे हैं. फेसबुक ट्विटर के इस जमाने में हमारे सोशल मीडिया पर हज़ारों फ्रेंड्स और फॉलोवर्स तो हैं लेकिन वास्तविक जीवन में ज्यादातर लोग अकेले हैं. ऐसे ही लोगों की ज़िंदगी में रंग भरने इस हफ्ते सिनेमाघरों में आई है 'ड्रीम गर्ल'. ये ड्रीम गर्ल कोई और नहीं बल्कि पूजा aka आयुष्मान खुराना है. इसमें वो ऐसी बेरोजगारी से जूझ रहे हैं जो कहता है, ''मैं मां बनने के अलावा कुछ भी कर सकता हूं.'' यही वजह होती है कि वो कॉल सेंटर में पूजा बनकर लोगों की ज़िंदगी का अकेला पन दूर करता है. फिल्म में कॉमेडी के साथ-साथ ह्यूरम और कटाक्ष भी है. आयुष्मान की पिछली दो फिल्में 'अंधाधुन' और 'बधाई हो' लोगों के दिल के साथ नेशनल अवॉर्ड भी जीत चुकी हैं ऐसे में इस फिल्म से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं. ये फिल्म एंटरटेन करती है और साथ ही एक मैसेज भी दे जाती है जो हर किसी के लिए है.
कहानी
मीडिल क्लास फैमिली में जन्मा करमवीर सिंह (आयुष्मान खुराना) के पास बचपन से ही लड़कियों जैसी आवाज निकालने की कला है. यही वजह है कि रामलीला हो या कृष्णलीला दोनों में सीता और राधा का किरदार उसे ही निभाना पड़ता है. उसे पसंद नहीं लेकिन मरता क्या ना करता. करम के पापा जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) को ये बिल्कुल पसंद नहीं. उनका कहना है कि देश में लड़कियां कम पड़ गई हैं जो लड़कों को उनकी एक्टिंग करनी पड़े. नौकरी की तलाश में लगे करम एक दिन कॉल सेंटर पहुंच जाता है. वहां पूजा बनकर वो ऐसी बात करता है कि नौकरी तुरंत पक्की. पूजा अपनी आवाज से हर किसी का दिल जीत लेती है और उसके दीवाने सिर्फ मर्द ही नहीं बल्कि औरतें भी हैं. इस फिल्म में आयुष्मान वही काम करते हैं जो इससे पहले तुम्हारी सुलू में आपने विद्या बालन के कैरेक्टर को करते हुए देखा था.
करम की नज़र एक दिन माही (नुसरत भरुचा) पर पड़ती है और उससे प्यार हो जाता है. वहीं, उनकी नौकरी की हालत ऐसी कि चाहें कोई पुलिस वाला हो या आम इंसान, पूजा से बात करने वाला हर शख्स उनसे शादी रचाना चाहता है. इसके बाद आयुष्मान प्लान करते हैं कि कैसे पूजा से सभी को दूर करेंगे लेकिन वैसा नहीं हो पाता और वो मुसीबत में फंस जाते हैं. क्या आयुष्मान अपनी सच्चाई सभी को बता पाते हैं? फिल्म का यही क्लाइमैक्स है.
एक्टिंग
आयुष्मान खुराना ने अपनी दमदार एक्टिंग से दिल जीत लिया है. वो करम के किरदार में क्यूट और मासूम दिखते हैं, वहीं पूजा का किरदार आते ही उनकी अदाएं और हाव भाव इतने बदल जाते हैं कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ये कोई लड़का है. वो हंसाते हैं, गुदगुदाते हैं और उनकी कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है. उनकी एंट्री ही पर्दे पर सीता के रुप में होती है और कोई भी सीटी बजाने से खुद को रोक नहीं पाता. अन्नू कपूर के साथ उनकी जोड़ी कमाल की लगती है. बाप और बेटे की इतनी कूल जोड़ी बहुत दिनों तक याद रखी जाएगी.
अन्नू कपूर अपने किरदार में बहुत जमे हैं. इसमें उनके कई रुप देखने को मिले हैं. एक बाप से लेकर इश्क में डूबे हुए एक आशिक तक वो बेहतरीन लगे हैं. विजय राज इस फिल्म में एक पुलिस की भूमिका में हैं जिसे शायरी लिखना और सुनाना पसंद है. लेकिन सच्चाई यही है कि कवि और शायरों से लोग दूर भागते हैं. उसका दर्द भी यही है लेकिन जब पूजा उसकी ज़िंदगी में आती है तो उसके अंदर का गालिब जाग जाता है. उनका कैरेक्टर उनसे बेहतर कोई नहीं निभा सकता था.
आयुष्मान के अपोजिट इसमें 'प्यार का पंचनामा' फेम अभिनेत्री नुसरत भरुचा हैं. उनके लिए इस फिल्म में करने को कुछ नहीं है. दो चार डायलॉग्स हैं बस. हालांकि वो जहां भी दिखी हैं आप उन्हें नज़र अंदाज नहीं कर सकते.
Oye Lucky! Lucky Oye फेम मंजोत भी इसमें आयुष्मान के दोस्त की भूमिका में हैं. उन्होंने अपने फैंस को बिल्कुल भी निराश नहीं किया है. 'परमानेंट रुममेट्स' और 'टीवीएस ट्रिपलिंग' फेम निधि विष्ट भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. निधि इसमें बिल्कुल वैसे ही तेज तर्रार नज़र आई हैं जैसा उन्हें लोग पसंद करते हैं. 'स्त्री' फेम अभिषेक बैनर्जी भी यहां शानदार दिखे हैं.
डायरेक्शन
इस फिल्म के डायरेक्टर राज शांडिल्य है. इससे पहले राज ने 'कॉमेडी सर्कस' और कपिल शर्मा के शो के लिए काम कर चुके हैं. इस फिल्म की कहानी और स्क्रीन प्ले उन्हीं का है. एक गंभीर मैसेज को हंसाते हुए कैसे लोगों के दिमाग में भर दिया जाए ये राज से बेहतर कोई नहीं जानता. कॉमेडी के नाम पर इसमें जबरदस्ती हंसाने की कोशिश नहीं हुई है बल्कि हर सीन आपको खुश कर जाता है.
फिल्म के डायलॉग्स बहुत हंसाने वाले हैं. हल्के फुल्के पंच लाइन्स हैं जिन्हें सुनकर लोग तालियां बजाने लगते हैं. फिल्मांकन के दौरान इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि हर सीन रीयल लगे. इसमें कोई शक नहीं कि टेलिविजन में इतने साल काम करने के बाद राज शांडिल्य को दर्शकों की नब्ज का पूरा आइडिया है और उन्होंने कहीं भी फिल्म को ढ़ीला नहीं पड़ने दिया है.
ये फिल्म बहुत ही गंभीर मुद्दे को लेकर है. इसमें यही दिखाया गया है कि आसपास भीड़ होने के बावजूद हर शख्स अकेला है. इसमें आखिर में आयुष्मान कहते हैं, ''हर इंसान को पूजा की जरूरत है. पूजा कोई जेंडर नहीं, कोई भी तुम्हारी पूजा हो सकता है जो दिल को एहसास दिला सके कि तुम अकेले नहीं हो.''
फिल्म की खास बात ये भी है कि इसमें सिर्फ लीड कैरेक्टर नहीं बल्कि हर छोटे बड़े कैरेक्टर पर मेहनत की गई है. राज शांडिल्य ने हर कैरेक्टर के लिए अच्छे डायलॉग्स लिखे हैं और यही वजह है कि इतनी बेहतरीन फिल्म बन पाई है.
क्यों देखें
फिल्म की कहानी बिल्कुल नई है जिसे आपने पहले नहीं देखा होगा. ये आखिर तक आपको कहीं भी बोर नहीं होने देती. ये एंटरटेनमेंट के खजाने की तरह है जिसे समय निकालकर आपको जरूर चुरा लेना चाहिए. वहीं, आयुष्मान की बात करें तो अपनी हर फिल्म में लोगों को दिल निकाल ले जाते हैं लेकिन इसमें उन्होंने लड़कियों वाली जो नजाकत और नखरे दिखाए हैं वो आपने पहले नहीं देखा होगा.