सिनेमा के हर बदलते दौर को देखने वाला वो फिल्ममेकर, जिसने बदल दिया टीवी को लेकर लोगों का नजरिया, जानें कौन हैं वो
B R Chopra Biography: सिनेमा मूक फिल्मों से शुरू हुआ, ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन पर्दे पर आया और ये सारा दौर फिल्म बीआर चोपड़ा ने देखा. बीआर चोपड़ा हिंदी सिनेमा के पॉपुलर फिल्ममेकर हुआ करते थे.
भारतीय सिनेमा के एक ऐसे दिग्गज फिल्ममेकर जिन्होंने ना सिर्फ एंटरटेनमेंट फिल्में बनाईं बल्कि जिसमें सोशल मैसेज भी रहा. एक ऐसा फिल्ममेकर जिसने हर दौर का बदलता सिनेमा देखा. टीवी पर 'महाभारत' जैसा सुपरहिट शो लाए और हिंदी सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में दीं. हिंदी सिनेमा के उस दिग्गज फिल्ममेकर का नाम बलदेव राज चोपड़ा था जिन्हें आमतौर पर लोग बी आर चोपड़ा के नाम से जानते हैं.
बलदेव राज चोपड़ा ने मूक फिल्मों का दौर देखा, पहली बोलने वाली फिल्म देखी, ब्लैक एंड व्हाइट पर्दे को कलर में बदलते देखा. हिंदी सिनेमा के इस दिग्गज फिल्ममेकर ने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं. आज बीआर चोपड़ा की 110वीं बर्थ एनिवर्सरी है और इस मौके पर चलिए आपको उनसे जुड़े कुछ अनसुने तो कुछ दिलचस्प किस्से बताते हैं.
बीआर चोपड़ा का फैमिली बैकग्राउंड
22 अप्रैल 1914 को बलदेव राज चोपड़ा का जन्म पंजाब के राहोन में हुआ था. इनके पिता विलायती राज चोपड़ा PWD के कर्मचारी थे और ब्रिटिश इंडिया के शासन में लाहौर, पंजाब में नियुक्त थे. इनके छोटे भाई यश राज चोपड़ा भी हिंदी सिनेमा के दिग्गज फिल्ममेकर थे. यशराज के बड़े बेटे आदित्य चोपड़ा उनकी कंपनी YRF चला रहे हैं और इसी के संरक्षण में दूसरी कंपनी YRF SPY Universe शुरू की जिसमें कई ब्लॉकबस्टर फिल्में बनीं.
वहीं यशराज के छोटे बेटे उदय चोपड़ा एक्टर हैं. बी आर चोपड़ा ने अपने छोटे भाई को फिल्में बनाने में काफी मदद की और बाद में यश राज ने अपनी कंपनी बनाई. बीआर चोपड़ा ने प्रकाश चोपड़ा से शादी की थी जिनसे उन्हें एक बेटा रवि चोपड़ा हैं जो फिल्म डायरेक्टर हैं. वहीं दो बेटियां शशि और बीना हैं. करण जौहर की मां हीरू जौहर भी बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा की कजिन सिस्टर हैं.
बीआर चोपड़ा का शुरुआती करियर
बी आर चोपड़ा ने लाहौर की यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब से इन्होंने इंग्लिश लिट्रेचर से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. साल 1944 को बतौर फिल्म जर्नलिस्ट बीआर चोपड़ा इंडस्ट्री में आए जिस प्रोफेश में ही इन्होंने एक नौकरी करनी शुरू की. 1947 में इन्होंने अपना फिल्मी मैगजीन चलाया जिसे खुद संचालित करते थे.
इनके मन में था कि कभी मौका मिला तो ये फिल्ममेकर जरूर बनेंगे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बी आर चोपड़ा ने कॉलेज के दौरान ही फिल्मों को ऑबजर्व करना शुरू कर दिया था. मूक से बोलने वाली फिल्मों का जब दौर आया तो इन्हें लगा कि कभी ऐसा दिन आएगा कि ये अपने मन की फिल्में बना सकेंगे.
बीआर चोपड़ा की पहली हिंदी फिल्म
साल 1946 के आस-पास बीआर चोपड़ा ने आईएस जौहर की कहानी 'चांदनी चौक' पर एक फिल्म शुरू की लेकिन फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी हुई, शूटिंग भी शुरू हुई लेकिन 1947 में आजादी का समय आ गया और बंटवारे के समय दंगे भड़के तो इन्हें अपनी फिल्म बंद करनी पड़ी.
उसी समय वो दिल्ली आ गए और कुछ समय यहां रहने के बाद मुंबई पहुंच गए. यहां आने के बाद साल 1949 में फिल्म करवट आई जो फ्लॉप साबित हुई. इनके निर्देशन में पहली फिल्म अफसाना (1951) आई जिसमें अशोक कुमार लीड एक्टर थे. ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई और उस दौर में अशोक कुमार सुपरस्टार हुआ करते थे.
बीआर चोपड़ा की फिल्में
साल 1954 में मीना कुमार के साथ चोपड़ा ने अपनी 1946 वाली अधूरी फिल्म चांदनी चौक को पूरा किया. 1955 तक इन्होंने अपना बैनर बी आर फिल्म्स बना लिया था. इस प्रोडक्शन की पहली फिल्म नया दौर (1957) सुपरहिट साबित हुई. इस फिल्म में दिलीप कुमार और वैजंतीमाला लीड रोल में थे.
इसके बाद इसी बैनर की दूसरी फिल्म साधना आई जिसमें सुनील दत्त और वैजंतीमाला लीड रोल में थे और ये फिल्म भी हिट हुई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी फिल्म के बाद चोपड़ा विदेश गए तो उन्होंने एक कॉन्फ्रेंस में सुना था कि विदेशियों के मन में एक छवि थी कि हिंदी सिनेमा की फिल्मों में कहानी नहीं होती, वो तो सिर्फ नाच-गाने और ड्रामे के कारण ही चल पा रहा है.
ये बात चोपड़ा ने चैलेंज के रूप में लिया और 1960 में फिल्म कानून बनाई. इसमें राजेंद्र कुमार, अशोक कुमार और नंदा जैसे सितारे थे. मजे की बात ये है कि इस फिल्म में एक भी गाना नहीं था फिर भी बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी. बी आर चोपड़ा अलग तरह से फिल्मों को बनाते थे और इसी वजह से वो दिग्गज कहलाते हैं.
बीआर चोपड़ा के बैनर और निर्दशन में 'हमराज', 'निकाह', 'इंसाफ का तराजू', 'वक्त', 'गुमराह', 'धुंध', 'इत्तेफाक', 'पति पत्नी और वो', 'धर्मपुत्र', 'छोटी सी बात', 'मजदूर', 'आदमी और इंसान', 'दहलीज' जैसी कई एक से बढ़कर एक फिल्में बनीं.
बीआर चोपड़ा ने कैसे बनाई 'महाभारत'?
कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात बताई गई है कि बी आर चोपड़ा का ऑब्जर्विंग और इमेजिनेशन पावर बहुत कमाल का था. वो उस दौर से आगे के सिनेमा को देखते थे. जब उन्होंने 1987 में आई रामानंद सागर की रामायण देखी और ये भी देखा कि लोगों में इस धार्मिक सीरियल के लिए लोकप्रियता कितनी है तभी उन्होंने 'महाभारत' बनाने की ठान ली थी. साल 1988 में रामायण का पहला एपिसोड जारी किया गया और हैरानी की बात ये है कि इस शो की कास्टिंग, स्क्रिप्ट जैसी तमाम चीजों की जिम्मेदारी चोपड़ा ने ही ली.
बाद में अलग-अलग लोगों को अप्वाइंट किया गया लेकिन पूरा सुपरवाइजेशन चोपड़ा के हाथ में ही था. 'रामायण' देखने के बाद ही उन्होंने सोच लिया था कि ऐतिहासिक सीरियल बनाना है और ऐसा ही हुआ. उस समय जब 'महाभारत' आती थी तब सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था. आज भी इसके संवाद, टाइटल ट्रैक रोंगटे खड़े कर देता है.
बीआर चोपड़ा का निधन
5 नवंबर 2008 को बी आर चोपड़ा ने मुंबई के जुहू वाले घर में आखिरी सांस ली. उनके निधन का कारण ज्यादा उम्र बताया गया. निधन के समय चोपड़ा 94 साल के थे और इस उम्र तक उन्होंने अपने जीवन के हर उतार-चढ़ावों को देखा है. बी आर चोपड़ा भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन 'महाभारत' के जरिए उनका नाम हमेशा जिंदा रहेगा और उनकी बनाई फिल्में भी यादगार हैं.
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