स्टार कास्ट: टाइगर श्रॉफ, दिशा पटानी, मनोज बाजपेयी, रणदीप हुड्डा


डायरेक्टर: अहमद खान


रेटिंग: ***


बॉलीवुड में आज ऐसा दौर है जब मेकर्स हर फिल्म में कश्मीर, तिरंगा आर्मी, ड्रग्स जैसे मुद्दे जरूर डालते हैं. फिल्म की कहानी भले ही कुछ हो लेकिन बैकग्राउंड ऐसा कुछ जरूर बना दिया जाता है. 'बागी 2' में भी ऐसा ही हुआ है. इस फिल्म में लीड किरदार और आर्मी के जवान रनवीर प्रताप सिंह (रॉनी) के किरदार को मजबूत बनाने और उसकी देशभक्ति जाहिर करने के लिए एक ऐसे सीन का भी इस्तेमाल किया गया है जिस पर देश में खूब बवाल मच चुका है. पिछले साल कश्मीर की एक वीडियो वायरल हुई थी जिसमें सैनिकों को पत्थरबाजी से बचाने के लिए मेजर नितिन गोगोई ने अपनी जीप पर कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार को बांधकर वहां से बच निकलने के लिए ढा़ल के रूप में इस्तेमाल किया था. इस पर खूब विवाद हुआ. इसे हुबहू इस फिल्म में उतार दिया गया है. हालांकि वो सीन कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाता. ना तो देखकर देशभक्ति जगती है और ना ही कोई भाव आता है. मेकर्स इस सीन को दिखाकर क्या साबित करना चाहते थे शायद उन्हें ये खुद भी नहीं पता होगा. रॉनी की ट्रेनिंग आर्मी में हुई है और उसके कैरेक्टर को मजबूत दिखाने के लिए ये सीन नहीं भी रहता तो कोई फर्क नहीं पड़ता. खैर, अगर इसे नज़रअंदाज करें तो टाइगर श्रॉफ की इस मोस्ट अवेटेड फिल्म में प्यार है, रोमांस है, एक्शन है, इमोशन है. दो घंटे 20 मिनट की ये फिल्म आपको कहीं भी बोर नहीं करती. इस एक्शन थ्रिलर फिल्म में आखिर तक सस्पेंस बरकरार रहता है कि आखिर आगे क्या होने वाला है.


कहानी


गोवा की कहानी है. कॉलेज में रनवीर प्रताप सिंह (रॉनी) को नेहा (दिशा पाटनी) से प्यार हो जाता है. दोनों शादी करने वाले होते है तभी नेहा के साथ कुछ ऐसा होता है कि वो रॉनी को छोड़कर चली जाती है. नेहा पापा की पसंद से शादी कर लेती है. रॉनी आर्मी ज्वाइन कर लेता है. अचानक चार साल बाद जब नेहा की बेटी रिया का अपहरण हो जाता है तो वो रॉनी को फोन करती है और मदद मांगती है.



रिया की तलाश के दौरान पुलिस से लेकर पड़ोसी तक हर कोई यही बताता है कि नेहा की कोई बेटी है ही नहीं. तो क्या नेहा झूठ बोल रही है या लोग? या फिर कहानी कुछ और ही है. यही सस्पेंस है और आखिर तक बरकरार रहता है. ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. इन सब के बीच ये भी दिखा है कि हमारे पुलिस सिस्टम को भ्रष्टाचार किस कदर बर्बाद कर रहा है. भ्रष्टाचारियों के लिए पुलिस है लेकिन जब पुलिस ही ये सब करने लगे तो फिर क्या हो? ड्रग्स का धंधा कैसे और कौन चलाता है ये भी दिखा है.


एक्टिंग


'बागी' के मुकाबले इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ ने अच्छी एक्टिंग की है. या यूं कहें तो वो बॉलीवुड में एक्शन के मास्टर होते जा रहे हैं. फिल्म में उनके एक्शन सीन्स ऐसे हैं जो रोंगटे खड़े कर देते हैं. शर्टलेस टाइगर को देखकर शायद सलमान खान को भी जलन हो. अगर कहीं उन्होंने मार खाई है तो वो है इमोशनल सीन्स जिसमें वो भावहीन लगे हैं. बागी में श्रद्धा कपूर के साथ रोमांस करने वाले टाइगर इसमें अपनी तथा कथित गर्लफ्रेंड दिशा पाटनी के साथ जमे भी हैं.


लेकिन दिशा पाटनी इस फिल्म में एक्टिंग के मामले में बहुत कमजोर दिखी हैं. उनके साथ एक पेरशानी ये भी है कि वो हिंदी ठीक से नहीं बोलती हैं. अब ऐसा एक्सेंट उन्होंने खुद बनाया है  क्योंकि बॉलीवुड में ये फैशन भी है. इसके अलावा वो इसमें लीड किरदार हैं लेकिन जब उनकी बेटी गायब हो जाती है और वो परेशान होती हैं, रो रही होती हैं लेकिन कहीं भी उनके चेहरे पर भाव नहीं दिखता. इमोशनल दृश्यों उनकी वजह से कुछ प्रभाव नहीं छोड़ पाते. जहां ग्लैमरस लुक और खूबसूरती की बात है वहां तो दिशा जमी हैं लेकिन वाकई जहां उन्हें अभिनय करना है वो पीछे रह गई हैं.



हालांकि दिशा की वजह से ये फिल्म कमजोर नहीं पड़ी है क्योंकि बाकी सभी किरदारों ने संभाल लिया है. मनोज वाजपेयी तो मंझे हुए एक्टर हैं ही उन्होंने डीआईजी की भूमिका में संभाला है. फिल्म में जब एसीपी एलएसडी की भूमिका में स्क्रीन पर जब रणदीप हुड्डा की एंट्री होती है तो सब फीके पड़ जाते हैं. उड़ते पंजाब को जमीन पर लाकर एलएसडी डूबते हुए गोवा को किनारे पर लाने पहुंचते हैं. उनकी एंट्री के बाद फिल्म थोड़ी ह्यूमरस भी हो जाती है. रणदीप के हिस्से अच्छे डायलॉग्स भी हैं. इस फिल्म में उनका लुक भी बहुत अलग है जो लुभाता है.


ड्रग्स लेने वाले शख्स की भूमिका में प्रतीक बब्बर भी है और क्यों है ये भी एक सवाल है.


डायरेक्शन


अहमद खान ने इसे डायरेक्ट किया है. उन्होंने रॉनी के किरदार को ऐसा गढ़ा है कि कोई सवाल ना उठा सके कि एक आदमी दो सौ लोगों को कैसे अकेले मार देता है. रॉनी की ट्रेनिंग आर्मी में हुई है. डायरेक्शन की तारीफ इसलिए करनी होगी क्योंकि कोई भी सीन बनावटी नहीं लगता.  फिल्म के कुछ सीन्स भी बहुत कमाल के हैं. कैमरा वर्क पर अच्छा काम हुआ है.





म्यूजिक


वैसे तो फिल्म के सभी गाने बहुत पॉपुलर हो चुके हैं. बस एक सवाल उठता है कि इसमें 'एक दो तीन' जैसे आइटम सॉन्ग को क्यों घुसेड़ा? फिल्म रफ्तार में चल रही होती और तभी बीच में ये गाना आ जाता है जो पहले ही विवादों में रह चुका है. फिल्म में जिस जगह इसे दिखाया गया है वो जबरदस्ती लगता है. इसमें कुल 6 गाने हैं जिसमें से आतिफ असलम की आवाज में 'ओ साथी' कानों को सुकून देता है.


क्यों देखें/ना देखें


अगर आप काफी दिनों से ऐसी फिल्म का इंतजार कर रहे थे जिसमें इंटरटेनमेंट के साथ एक अच्छी कहानी भी हो तो इसे फैमिली के साथ जरूर देखिए. लेकिन अगर आपको एक्शन फिल्में पसंद नहीं हैं तो आप निराश हो सकते हैं.