स्टार कास्ट: प्रभाष, राना दग्गुबत्ती, अनुष्का शेट्टी, सत्यराज, राम्या कृष्णन


डायरेक्टर: एस. एस. राजमौली


रेटिंग: ****


‘बाहुबली : द बिगनिंग’ देखने के बाद हर किसी की जृ़ुबान पर जो सवाल था उसका उसका जवाब मिल गया है कि आखिरकार कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? लेकिन इसके अलावा भी इस फिल्म में बहुत कुछ है. आपका सालों का इंतजार बिल्कुल भी जाया नहीं जाएगा क्योंकि डायरेक्टर राजामौली ने बिल्कुल भी निराश नहीं किया है. 'बाहुबली: द कन्क्लूजन' की खूबसूरती ये है कि ये पहली फिल्म से बिल्कुल अलग है. अक्सर ऐसा ही होता है कि किसी फिल्म के प्रीक्वल या सीक्वल में स्टोरी एक सी ही दोहराई जाती हैं लेकिन इसे देखते समय कहीं भी दोहरापन नहीं लगता. 'बाहुबली 2' में थोड़ा ह्यूमर है, थोड़ी कॉमेडी है, रोमांस है और एक्शन तो है ही...



आपने जिस कटप्पा को पहली फिल्म में तलवारबाजी और मारधाड़ करते हुए देखा था अगर वही मज़ाक करे तो कैसा लगेगा... ऐसा प्रयोग कभी-कभी भारी पड़ता है लेकिन यहां पर बहुत ही मजेदार है. अच्छी बात ये है कि ‘बाहुबली : द बिगनिंग’ जिन्होंने नहीं देखी थी अगर वो भी इसे देखते हैं तो उन्हें बिल्कुल भी पिछली कहानी ना जानने की कमी नहीं खलेगी.

कहानी-

ये फिल्म ‘बाहुबली : द बिगनिंग’ का प्रीक्वल है. इसका सीधा मतलब यही है कि इसमें महेंद्र बाहुबली (शिवा) के पिता अमरेंद्र बाहुबली की पूरी कहानी दिखाई गई है. पिछली फिल्म में शिवगामी देवी (राम्या कृष्णन) महेंद्र बाहुबली को सिंहासन पर बिठाने की घोषणा करती है और भल्लाल देव (राना दुग्गुबत्ती) को सेनापति घोषित करती है. अब इस फिल्म में दिखाया गया है कि राज्याभिषेक से पहले अमरेंद्र बाहुबली (प्रभाष) देशाटन पर निकलता ताकि वो अपनी प्रजा का दुख दर्द समझ सके. इसी दौरान उसे राजकुमारी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) से पहली नज़र में प्यार हो जाता है और शादी होती है.



लेकिन ये सफर इतना आसाना नहीं होता है. इसके लिए बाहुबली को बहुत बड़ी कुर्बानी देनी पड़ती है. भल्लाल देव और उसके पिता एक साजिश रचते हैं और उसे समझने में अमरेंद्र बाहुबली की मां शिवगामी नाकाम होती हैं. उसी साजिश के बाद कटप्पा बाहुबली को मार देता है. अगर आप क्लाइमैक्स जानना चाहते हैं तो फिल्म देखिए आपको ज्यादा मज़ा आएगा.

यकीन मानिए जिस जवाब का इंतजार आपने सालों तक किया वो सीन जब आंखों के सामने आएगा तो सांसे थम जाएंगी. फिल्म देखते समय एक नहीं बहुत सारे ऐसे सीन हैं जब सीटियां और तालियां बजती हैं. हिंदी में ये फिल्म दो घंटे 47 मिनट की है लेकिन कहीं भी धीमी नहीं है और बोर होने की आपके पास कोई वजह भी नहीं हैं.

अभिनय

प्रभाष तो  ‘बाहुबली : द बिगनिंग’ में ही अपने अभिनय के लिए तारीफें बटोर चुके हैं. उस फिल्म में प्रभाष ने करीब 25 साल के महेंद्र बाहुबली का किरदार निभाया था और उसमें वो जंचे भी थे. लेकिन इस फिल्म में प्रभाष ने अमरेंद्र बाहुबली के किरदार को थोड़ा अलग दिखाने के लिए अपना वजन भी काफी बढ़ाया था. दोनों का कॉस्टयूम एक सा है, चेहरा एक जैसा ही है और हावभाव भी एक से हैं लेकिन बाप और बेटे के किरदार में आप आसानी से अंतर कर पाएंगे. पिता के किरदार में वो बहुत ही परिपक्व  लगे हैं तो वहीं बेटे के किरदार में भी प्रभावित किया है.


पिछली फिल्म के सारे कैरेक्टर्स ही इस फिल्म में है अगर देवसेना को छोड़ दिया जाए तो. इस फिल्म में सबसे ज्यादा इंप्रेस राम्या कृष्णन ने किया है जिन्हें पिछली फिल्म में भी बहुत तारीफ मिली थी. शिवगामी के किरदार में उन्होंने आंखों से ही प्यार, गुस्सा, आक्रोश, दुख और दर्द सब कुछ जाहिर कर दिया है.


अनुष्का शेट्टी की इस फिल्म में एंट्री ही तलवार बाजी के साथ होती है. पिछली फिल्म में आपने उन्हें बेड़ियों में जकड़े हुए देखा था लेकिन इस बार आप उनको एक तेज तर्रार और खूबसूरत राजकुमारी के रूप में देखेंगे जो निडर है. अनुष्का ने अपनी डायलॉग डिलीवरी से इंप्रेस किया है. इस फिल्म में तमन्ना और प्रभाष की केमेस्ट्री भी जबरदस्त है.


राणा दगुबत्ती निगेटिव किरदार में जान फूंक देते हैं और उनका बॉडी ट्रांसफार्मेशन देखने लायक है. यहां उनका यंग भल्लाल देव का रूप बहुत ही आकर्षक है. वैसे भी ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है तमिल फिल्मों में विलेन हमेशा से ही हीरो से ज्यादा हैंडसम और स्मार्ट होते हैं. एक्टिंग के मामले में वो कहीं भी प्रभाष से कमतर नहीं दिखे हैं.


कटप्पा के किरदार में सत्यराज ने तो दो साल से ही ऐसा माहौल बना रखा है कि उनकी क्या तारीफ की जाए. बस यहां सरप्राइज ये है कि कटप्पा को आप मज़ाकिया अंदाज में और मुस्कुराते हुए देखेंगे.


बस इतने ही नहीं फिल्म के हर किरदार ने अपने कैरेक्टर के साथ न्याय किया है. तमन्ना भाटिया पर्दे पर बस चंद समय के लिए दिखी हैं जो कब आती हैं कब चली जाती हैं पता ही नहीं चलता.


स्पेशल इफेक्ट्स

ये बताने की जरूरत नहीं है कि इस फिल्म के विजुअल इफेक्ट्स बहुत ही शानदार हैं. इस फिल्म के सिनेमैटोग्राफर के के सेंथिल कुमार हैं. सेंथिल दर्शक अपनी सिनेमैटोग्राफी से दर्शक को सपनों की दुनिया में ले जाते हैं. सिनेमैटोग्राफी में वो कितने माहिर हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगाइए कि ये राजमौली की सातवीं फिल्म है जिसमें सेंथिल की सिनेमैटोग्राफी है. इस फिल्म का एक-एक फ्रेम ऐसा है जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे.


क्यों देखें-

अक्सर फिल्मों की रफ्तार धीमी होती है लेकिन इस फिल्म की कहानी कुछ सोचने से पहले बहुत ही रफ्तार के साथ आगे बढ़ती है. ये फिल्म ना देखने की कोई वजह नहीं है. कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ये जानना है तो आपकी फिल्म देखनी ही पड़ेगी.


यहां देखें बाहुबली 2 फिल्म का ट्रेलर: