राज कपूर की फिल्म 'बूट पॉलिश' के कैमरामैन बैद्यनाथ बसाक का कोलकाता में निधन
96 साल के बैद्यनाथ बसाक पिछले कई सालों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. उन्होंने राज कपूर की फिल्म 'बूट पॉलिश' में सहायक कैमरामैन के तौर पर काम करने के अलावा 'हरियाली', 'रास्ता' और 'कितने दूर कितने पास' जैसी फिल्मों के लिए भी काम किया.
मुंबई: राजकपूर की फिल्म 'बूट पॉलिश' (1954) में बतौर सहायक कैमरामैन काम कर चुके बैद्यनाथ बसाक का कोलकाता में निधन हो गया. वो 96 वर्ष के थे. उल्लेखनीय है कि बैद्यनाथ बसाक पिछले कई सालों से आर्थिक तंगी में जी रहे थे और एक लम्बे अर्से से बीमार चल रहे थे. वो कोलकाता में पिछले कई सालों से एक किराये के घर में अपने बेटे और पोते के परिवार के साथ रह रहे थे.
कोलकाता से फोन पर बात करते हुए बैद्यनाथ बसाक के पोते राकेश बसाक ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "दादाजी की कल दोपहर 3 बजे नींद में ही मौत हो गयी. कई दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी. चार दिन पहले उन्हें हल्के किस्म का लकवा भी आया था, जिससे उनके एक हाथ और पैर ने काम करना बंद कर दिया था. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते हम उन्हें किसी अस्पताल में नहीं ले जा सके, लेकिन कल रात 8 बजे हमें एक डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिला था, लेकिन अस्पताल ले जाते, उससे पहले ही उनका निधन हो गया."
राजकपूर की बूट पॉलिश के अलावा, बैद्यनाथ बसाक ने मनोज कुमार की फिल्म 'हरियाली' और 'रास्ता' और 'कितने दूर कितने पास' में भी बतौर कैमरामैन काम किया था. बाद में मुम्बई में काम के अभाव में उन्होंने शहर छोड़ दिया था और वापस कोलकाता चले गये थे. वहां पर उन्होंने कई बांग्ला फिल्मों के लिए सिनेमाटोग्राफी की, जिनमें बांग्ला के जाने-माने हीरो उत्तम कुमार की कई चर्चित फिल्मों- खोकाबाबुर, प्रत्याबर्तन, सपार उपारे, छड़माबेशी आदि शामिल हैं. सिनेमाटोग्राफर के तौर पर 'पार' उनकी आखिरी फिल्म थी. जो शोहरत उन्हें हिंदी फिल्मों से नहीं मिली, वो उन्हें बांग्ला फिल्मों से हासिल हुई, मगर आर्थिक तंगी ने मरते दम तक उनका पीछा नहीं छोड़ा.
बैद्यनाथ बसाक के बेटे संजय बसाक ने एबीपी न्यूज़ से कहा, "हम कई सालों से पैसों की तंगी से जूझ रहे हैं. 2018 में तृणमूल कांग्रेस के सांसद और अभिनेता देव अधिकारी की ओर से हमें आर्थिक मदद मिली थी, मगर इंडस्ट्री से कोई मदद नहीं मिली. लॉकडाउन में काम बंद होने के चलते हम कमरे के किराये के 2500 रुपये चुकाने में भी खु्द को असमर्थ पा रहे हैं."
बैद्यनाथ बसाक के पोते राकेश जहां एक वीडियो एडिटर हैं, वहीं उनके बेटे संजय बसाक छोटा-मोटा काम करके अपना गुजारा करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते काम नहीं मिलने से दोनों की आर्थिक मुश्किलें कई गुना बढ़ गईं हैं.
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