फिल्म- बाला
स्टारकास्ट - आयुष्मान खुराना, भूमि पेडनेकर, यामी गौतम, सीमा पावा, सौरभ शुक्ला, जावेद जाफरी
निर्देशक - अमर कौशिक
रेटिंग - 4 (****)
Movie Review Bala : 'हेयर लॉस नहीं आइडेंटीटी लॉस हो रहा है हमारा...' फिल्म 'बाला' का ये डायलॉग इसकी पूरी कहानी बयां कर रहा है. हमारे समाज में बाहरी खूबसूरती इस हद तक लोगों पर हावी है कि उसके बिना वो अपने जीवन की कल्पना ही नहीं करना चाहते. सिर्फ आम लोगों में ही नहीं बल्कि बड़े पर्दे पर भी इसका गहरा प्रभाव दिखता है. इंडस्ट्री में मौजूद इस भेदभाव का सबसे अहम उदाहरण अनुपम खेर हैं. अनुपम खेर को उनके गंजेपन के चलते सिर्फ 26 साल की उम्र में ही 50 साल के बूढ़े का किरदार फिल्म 'सारांश' में करना पड़ा था.
बाला में आयुष्मान खुराना भी समाज के खूबसूरती के पैमाने पर खरे नहीं उतरते क्योंकि 25 साल की उम्र में ही वो गंजेपन का शिकार हो जाते हैं. उन्हें अपने इस गंजेपन के चलते समाज में कई बार मजाक का पात्र बनना पड़ता है. ऐसे में वो धीरे-धीरे अपना कॉन्फिडेंस खोने लग जाते हैं. लेकिन क्या बाहरी खूबसूरती ही व्यक्ति की असली पहचान है? क्या जो खूबसूरत है वो सफलता पाने का हकदार नहीं है? बाला यही सवाल उठाती है.
कहानी
'बालमुकुंद शुक्ला' उर्फ 'बाला' (आयुष्मान खुराना), इनका ये नाम पड़ा था इनके घने खूबसूरत बालों की वजह से..लेकिन जवानी आते-आते इनके घने बालों में शुरू हो गया पतझड़ का मौसम. बाला की बचपन की दोस्त हैं लतिका त्रिवेदी (भूमि पेडनेकर) का रंग सांवला है और बाला इसी के चलते हमेशा उनका मजाक उड़ाते हैं. लेकिन जवान होते-होते कहानी थोड़ी बदल जाती है. बड़े होते-होते जहां बाला के बाल झड़ जाते हैं और वो अपने करियर में कोई खास कमाल नहीं कर पाते.
बाला हमेशा बस अपने आपको लेकर शर्मिंदा रहते हैं और गंजेपन के दाग को खुद से दूर कर लेना चाहते हैं. वहीं, दूसरी तरफ लतिका त्रिवेदी अपने रंग को स्वीकार कर लेती हैं और एक सफल वकील बन जाती हैं. दोनों भले ही स्कूल के साथी हों लेकिन इनका हमेशा 36 का आंकड़ा रहता है.
इसके बाद बाला की कहानी में एंट्री होती है परी मिश्रा (यामी गौतम) की. परी एक सर्वगुण संपन्न लड़की हैं जिनका गोरा रंग और घने बालों के लिए लाखों दिल धड़कते हैं. परी एक टिकटॉक स्टार हैं और बेहद खूबसूरत हैं. परी के प्यार में गिरफ्त बाला अपने गंजेपन को छुपाने के लिए पैच (नकली बालों का एक टुकड़ा जिसे गंजेपन को छुपाने के लिए लगाया जाता है) लगवा लेते हैं.
इसके बाद दोनों की प्रेम कहानी शुरू होती है और शादी तक पहुंचती है. लेकिन झूठ की नींव पर खड़ी इस शादी में जल्द ही बवाल शुरू हो जाता है. परी, जिसके लिए शारीरिक खूबसूरती ही सबकुछ है, उसके लिए गंजा पति स्वीकार करना मुश्किल है और वो बाला को छोड़कर चली जाती हैं. अब इसके बाद इस कहानी का क्या अंजाम होगा इसके लिए तो आपको फिल्म देखनी होगी. परी, बाला को स्वीकारती है या नहीं? खुद बाला अपने इस गंजेपन को स्वीकार पाती है या नहीं? काले रंग से परेशान लतिका की शादी हो पाती है या नहीं? इन सब सवालों के जवाब आपको फिल्म के अंत में मिलेंगे.
एक्टिंग
फिल्म के मेकर्स ने इसकी स्टारकास्ट का चुनाव बेहद संजीदगी से किया है. आयुष्मान खुराना ने एक बार फिर पर्दे पर अपने अभिनय का कमाल दिखाया है. उन्हें स्क्रीन पर देखकर आपको एक पल के लिए ये भी एहसास नहीं होगा कि आप घने बालों वाले बेहद खूबसूरत आयुष्मान को देख रहे हैं, बल्कि आपको पर्दे पर सिर्फ बाला ही दिखेंगे. सांवली लड़की और स्ट्रॉन्ग हैडेड इंडिपेंडेट लड़की के किरदार में भूमि पेडनेकर ने भी शानदार काम किया है. वहीं, यामी गौतम के पास किरदार के रूप में को बहुत खास चैलेंजेस नहीं थे, लेकिन उन्होंने भी एक छोटे शहर की स्टार मॉडल का किरदार बखूबी निभाया है. इसके अलावा सीमा पावा, सौरभ शुक्ला, जावेद जाफरी सभी कलाकारों ने शानदार काम किया है.
निर्देशन
अमर कौशिक इससे पहले भी कॉमेडी में हाथ आजमा चुके हैं और वो दर्शकों की नब्ज को अच्छे से पहचानते हैं. पिछले साल हॉरर कॉमेडी स्त्री से दर्शकों का दिल जीतने वाले अमर कौशिक ने इस फिल्म में भी कॉमेडी का जबरदस्त तड़का लगाया है. सबसे खास बात ये है कि अमर ने इसका निर्देशन बड़े ही बैलेंस्ड तरीके से किया है. फिल्म में कोई भी किरदार एक दूसरे को ओवरलैप नहीं कर रहा है. हर एक किरदार को स्क्रीन पर उभरने का मौका दिया गया है.
म्यूजिक
फिल्म के गानों की बात करें तो फिल्म में कुल पांच गाने रखे गए हैं. उनमें से टकीला एक मजेदार गाना है जो दर्शकों को पसंद भी आ रहा है. इसके अलावा इसमें 'डोन्ट भी शाई' को रीक्रिएट किया गया है जो कि एक एक्सट्रा और प्रमोशनल सॉन्ग है. ये फिल्म के अंत में दिखाया जाता है. इसके अलावा फिल्म के गाने कुछ खास नहीं हैं. हालांकि फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बेहद खास है.
रिव्यू
फिल्म में निर्माताओं की ओर से बड़े ही मजाकिया अंदाज में एक गंभीर संदेश देने की कोशिश की गई है...और वो इस कोशिश में काफी हद तक सफल होते भी दिखते हैं. बाला में आज की झूठी सोशल मीडिया की दुनिया को भी दिखाया गया है, जिसमें लोगों के बाहरी दिखावा काफी मायने रखता है. एक्टिंग, स्क्रिप्टिंग और डायरेक्शन फिल्म तीनों ही पैमानों पर खरी उतरती दिखती है.
आयुष्मान खुराना अपनी इस फिल्म के साथ सफलता का एक नया इतिहास लिखने जा रहे हैं. अगर आपको कॉमेडी फिल्में पसंद हैं तो ये फिल्म यकीनन आपके लिए है. प्रोमो, नाम और ट्रेलर से भले ही ऐसा लग रहा हो कि ये फिल्म सिर्फ झड़ते बाल या गंजेपन के मसले को उठाती है. लेकिन ऐसा है नहीं, ये फिल्म बॉडी शेमिंग, रंगभेद जैसे कई अहम मसलों को उठाती है और खुद से प्यार करने और खुद को स्वीकारने का संदेश देती है वो भी बेहद लाइट अदाज में.