Balraj Sahni Death Anniversary: 'महाभारत' में जब अर्जुन के हाथ कांपे तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें गीता के पाठ के साथ एक और सीख दी थी कि 'कर्म ही पूजा है.' यह कहावत जितनी सिद्ध उस जमाने में हुई, आज भी उतनी ही सत्य है. लेकिन सवाल उठता है कि आज हम इसका जिक्र क्यों कर रहे हैं. तो बता दें कि आज बॉलीवुड के जिस कलाकार का जिक्र हम करने जा रहे हैं, उनकी जिंदगी का एक किस्सा सुनकर यह बात दिमाग में आनी तय है. दरअसल, हम रूबरू होने वाले हैं अपने किरदारों को जीवंत बनाने वाले अभिनेता बलराज साहनी से. वह अभिनेता, जिन्हें फिल्म की शूटिंग करने से आर्थर रोड जेल की मजबूत दीवारें भी रोक नहीं पाईं. तो आज बलराज साहनी की पुण्यतिथि पर आपको बताते हैं अभिनेता की जिंदगी का यह अनमोल किस्सा…


बलराज साहनी के दिमाग में आई खुराफात


हिंदी सिनेमा में अपनी मेहनत के दम पर अपने नाम का दीया जलाने वाले बलराज साहनी का जन्म 1 मई 1913 के दिन ब्रिटिश इंडिया के रावलपिंडी में हुआ था. यह शहर अब पाकिस्तान में है. बलराज साहनी उर्फ युधिष्ठिर साहनी को भारतीय सिनेमा के इतिहास के सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों में से गिना जाता है. उनके लिए पूरी फिल्म इंडस्ट्री में प्रचलित था कि वह अपने किरदारों में जान डालने के लिए उन्हें जीवन में उतार लेते हैं. बलराज की इसी आदत की बदौलत उनके जीवन से एक ऐसा किस्सा जुड़ गया, जिसने उन्हें जेल के दर्शन भी करा दिए. यह उस समय की बात है, जब दिलीप साहब की सिफारिश पर के. आसिफ ने बलराज साहनी को अपनी फिल्म 'हलचल' में जेलर का किरदार निभाने का ऑफर दिया था. 


जब रील लाइफ का जेलर बना रियल में कैदी


जैसे ही बलराज साहनी के पास के. आसिफ की फिल्म का ऑफर पहुंचा तो अपनी आदत से मजबूर अभिनेता ने उनके सामने अजीबोगरीब शर्त रख दी. इस बात को सुनकर सभी के कान खड़े हो गए . दरअसल, बात ऐसी थी कि बलराज साहनी ने जेलर बनने से पहले जेल के कायदे-कानून और रहन-सहन को समझने का फैसला किया. ऐसा करने के लिए वह के. आसिफ को लेकर सीधा ऑर्थर रोड जेल जा पहुंचे थे. हालांकि, इसके बाद उनकी जिंदगी में एक ऐसा वाकया हुआ कि वह असलियत में जेल जा पहुंचे. दरअसल, बलराज साहनी अपनी पत्नी के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के जुलूस में शामिल होने गए थे, लेकिन वहां हिंसा होने लगी. ऐसे में काफी लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें बलराज साहनी भी थे. इसके बाद के. आसिफ के कहने पर जेलर ने बलराज साहनी को जेल में रहकर शूटिंग करने की इजाजत दे दी. 


जेल में रहकर पूरी की 'हलचल' की शूटिंग


इजाजत मिलने के बाद बलराज साहनी तड़के शूटिंग के लिए जेल से बाहर आते और शाम को सूरज ढलने से पहले वापस उन मजबूत दीवारों के अंदर चले जाते थे. इसी तरह जेल में रहते-रहते ही अभिनेता ने फिल्म 'हलचल' की शूटिंग पूरी की थी. बलराज साहनी ने हिंदी सिनेमा में एक से बढ़कर एक किरदार निभाकर अपनी अमिट छाप छोड़ी. अभिनय के साथ-साथ वह सामाजिक कार्यों में भी काफी सक्रिय थे. हालांकि, कुछ समय बाद वह देश छोड़कर बीबीसी हिंदी में काम करने के लिए लंदन चले गए थे. बता दें कि 13 अप्रैल 1973 के दिन दिल का दौरा पड़ने से अभिनेता का निधन हो गया था.


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