बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर बैन, कांग्रेस भी लगा चुकी है इन फिल्मों और किताबों की रिलीज पर रोक
केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को यूट्यूब और ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया है. हालांकि कई सोशल साइट्स पर यह अभी भी उपलब्ध है.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. जहां एक तरफ जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया और पंजाब यूनिवर्सिटी में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर हंगामा चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाने को लेकर विपक्षी दल के नेता पीएम मोदी पर हमलावर हो गए हैं. जबकि सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा बताया हैं.
दरअसल केंद्र सरकार ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को यूट्यूब और ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया है. हालांकि कई सोशल साइट्स पर यह अभी भी उपलब्ध है.
लेकिन क्या आपको पता है कि यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकार ने राजनातिक कारणों से किसी फिल्म, डॉक्यूमेंट्री या किताब पर रोक लगाया हो. इसके पहले इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह और राजीव गांधी समेत कई सरकारों में विवादित फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री पर एक्शन लिया जा चुका है. इंदिरा सरकार के दौरान तो लगाई गई इमरजेंसी में बॉलीवुड की कई फिल्मों को रिलीज होने से रोक दिया गया था.
जानते हैं उन फिल्मों और किताबों के बारे में...
किस्सा कुर्सी का: किस्सा कुर्सी का 1974 में बनी थी और 1977 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म को रिलीज होने के तुरंत बाद बैन कर दिया गया. इस फिल्म में शबाना आजमी और राज बब्बर ने लीड रोल निभाया था. इसके रिलीज के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म के प्रोड्यूसर को 51 ऑब्जेक्शन के साथ एक शोकॉज नोटिस भेजा था. इस नोटिस में इंदिरा गांधी, उनके बेटे संजय गांधी के साथ-साथ सरकार द्वारा लगाए गए इमरजेंसी को निशाना बनाने जैसी बातें लिखी थीं.
यहां तक कि संजय गांधी और वीसी शुक्ला पर इस फिल्म के प्रिंट को जलाने का भी आरोप लगा था. उन पर 11 महीने तक केस चला था.
तमिल ड्रामा कुत्रापथिरिकई: इस फिल्म को साल 1993 में बनाया लिया गया था लेकिन साल 2007 तक रिलीज होने से रोका गया. इसपर रोक लगाने का कारण फिल्म की कहानी थी. जो राजीव गांधी और श्रीलंका सिविल वार की पृष्ठभूमि पर बनी थी.
आंधी: यह फिल्म साल 1975 में रिलीज हुई थी. ये वो दौर था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी. इस फिल्म की कहानी में नजर आने वाली मुख्य किरदार सुचित्रा सेन की साड़ी, बाल रखने का स्टाइल, चलने-फिरने का तरीका, बोलने का ढंग जैसी कई छोटी-छोटी चीजें इंदिरा गांधी से मिलती जुलती थी.
इस फिल्म पर रोक लगाने का कारण फिल्म की कहानी को बताया गया. दरअसल इंदिरा गांधी जैसी नजर आने वाली हीरोइन को फिल्म में स्मोकिंग और ड्रिंकिंग करते, आग में घी डालने का काम करते दिखाया गया है. जिसके बाद इसपर बैन लगा दिया गया. हालांकि साल 1977 में इंदिरा गांधी की सरकार के हारने और सत्ता में जनता पार्टी के आने के बाद ये बैन हटा लिया गया.
ब्लैक फ्राइडे: इस फिल्म को साल 2004 में रिलीज किया गया था. 1993 के बंबई ब्लास्ट पर बनी इस फिल्म को भी रिलीज से पहले बैन लगा दिया था. हालांकि मामला कोर्ट तक जाने के बाद इसे रिलीज करवा दिया गया.
इंशाअल्लाह कश्मीर: इन फिल्मों के अलावा मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में कश्मीर संकट पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'इंशाअल्लाह कश्मीर' पर भी बैन लगाया गया है.
कांग्रेस सरकार में इन किताबों पर भी लगाया गया बैन
- साल 1964 से 1997 के बीच 7 प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में 17 किताबों पर बैन लगाया गया था.
- इनमें से सबसे 7 किताबें ऐसी थी जिस पर इंदिरा गांधी के कार्यकाल में प्रतिबंध लगाया गया था.
- 'सैटेनिक वर्सेज' पर 1988 में बैन लगाया गया था. ये सलमान रुश्दी की चर्चित किताब है और इसके बैन के वक्त राजीव गांधी पीएम थे.
- 'प्राइस ऑफ पावर' पर पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने इस किताब की बिक्री पर स्टे लिया था, जिस दौरान उन्होंने अमेरिकी कोर्ट में प्रकाशक के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. इस किताब में कहा गया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एजेंट थे.
- ‘स्मैश एंड ग्रैब: एनेक्सेशन ऑफ सिक्किम’, इसक किताब के खिलाफ भी दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका के बाद प्रतिबंध लगा गया था.
अब जानते हैं कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में है क्या
बीबीसी ने The Modi Question शीर्षक से दो पार्ट में एक नई सीरीज बनाई है. इस डॉक्यूमेंट्री का पहला पार्ट मंगलवार को रिलीज किया गया और दूसरा 24 जनवरी 2023 को. सीरीज में पीएम नरेंद्र मोदी के शुरुआती दौर के राजनीतिक सफर के बारे में बताया गया. इसके अलावा डॉक्यूमेंट्री में आरएसएस के साथ उनके जुड़ाव, बीजेपी में बढ़ते कद और गुजरात के सीएम के रूप में उनकी नियुक्ति की चर्चा भी की गई है.
डॉक्यूमेंट्री में मुख्यमंत्री रहते गुजरात में हुए दंगों का जिक्र सबसे ज्यादा विवादों में है. ये सीरीज भारत में तो नहीं रिलीज हुई, लेकिन लंदन सहित दुनिया के कई देशों में इसे रिलीज किया गया.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीरीज पर क्या कहा था?
विवादों के बीच इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे प्रोपेगेंडा बताया है. उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि यह एक प्रोपेगेंडा का हिस्सा है.'
उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि यह एक प्रचार सामग्री है, जिसे एक विशेष कहानी को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है. इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है.' उन्होंने कहा, 'यह फिल्म या डॉक्यूमेंट्री उस एजेंसी और व्यक्तियों का एक प्रतिबिंब है जो इस कहानी को फिर से फैला रहे हैं.'