Bell Bottom Review: बेल बॉटम एक बॉलीवुड एक्शन-ड्रामा है. फिल्म ट्रेलर रिलीज के बाद से ही सुर्खियों में बनी हुई है. फिल्म की कहानी ये ज्यादा इसमें लारा दत्ता के लुक ने वाहवाही बटोरी है. फिल्म को कोरोना के बाद थिएटर पर रिलीज किया गया है. ऐसे में इस फिल्म में मनोरंजन परोसने की जिम्मेदारी कहीं ज्यादा बढ़ जाती है जिसे मेकर्स ने बखूबी निभाया है. ये फिल्म दर्शकों को सिनेमाहॉल तक खिंचने में कामयाब दिखाई दे रही हैं. ऐसे में अगर आप भी इस फिल्म को देखने के प्लान बना रहे हैं तो उससे पहले यहां पढ़े फिल्म का पूरा रिव्यू: 


स्टोरी लाइन
की भगनानी और निखिल आडवाणी के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी इस फिल्म की कहानी 1984 के एक हाईजैकिंग की घटना पर सेट की गई है. अक्षय कुमार फिल्म में अंशुल का किरदार निभा रहे हैं जिसका कोड नेम बेल बॉटम है, वो रॉ में एकमात्र जासूस है. वो हाईजैकिंग का सामना करने के एक्सपर्ट है और उन्होंने इसी की पढ़ाई करने में खुद को सपर्पित किया है. सात सालों में भारत के पांचवें अपहरण के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (जिनका किरदार निभाया है लारा दत्ता ने) ने बातचीत को छोड़ दिया और फैसला किया कि वह नौकरी के लिए एकमात्र व्यक्ति है जो एक बार और सभी के लिए राष्ट्र के संकट को समाप्त कर देगा. 


फिल्म बेल बॉटम की कहानी को आप सच्ची घटना पर आधारित नहीं कह सकते, लेकिन हां अगर इसे सच्ची घटना से प्रेरित कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. फिल्म की कहानी शुरू होती है उन 210 यात्रियों की चीखों और दर्दनाक आवाज के साथ, जिनकी फ्लाइट को आतंकियों द्वारा हाईजैक कर लिया गया है. हाईजैकिंग के बाद इस भारतीय यात्री विमान को अमृतसर में उतारा जाता है.


हाईजैकिंग की खबर दिल्ली पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगती और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (लारा दत्ता) तुरंत उच्च अधिकारियों के साथ मीटिंग करके हालात का जायजा लेती हैं. इस बीच कुछ मंत्री उन्हें पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से नेगोशिएट करने की सलाह देते हैं. वहीं, आदिल हुसैन जो फिल्म में एक बहुत ही दमदार भूमिका निभा रहे हैं. वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सलाह देते हैं कि वह अंशुल (अक्षय कुमार) से एक बार मुलाकात करें. अंशुल यानी अक्षय, जो फिल्म में एक रॉ एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं.


यहां से होती है अक्षय कुमार की कहानी में एंट्री. अंशुल अपने फुल प्लान के साथ 210 यात्रियों को बचाने और फ्लाइट में मौजूद चार आतंकवादियों को पकड़ने की तैयारियों में जुट जाता है. इस प्लान को नाम दिया जाता है बेल बॉटम. बेल बॉटम के पैरेलल दो कहानियां और चलती है. एक वाणी और अक्षय की प्रेम कहानी और दूसरी अंशुल और उसकी मां के बीच के मजबूत और प्यारे से रिश्ते की कहानी.


फिलहाल, बेल बॉटम मिशन की बात करें तो क्या प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अंशुल के प्लान पर पूरा भरोसा है? अगर भरोसा है तो अंशुल इस प्लान को कैसे अंजाम देगा? यह सब आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चल पाएगा. फिल्म की कहानी का पूरा स्पॉइलर देकर हम आपकी फिल्म को लेकर बनी हुई उत्सुकता खत्म नहीं करेंगे.


एक्टिंग 
एक्टिंग में फिल्म हर एंगल से परफेक्ट साबित होती हैं. ट्रेलर की ही तरह फिल्म में भी लारा दत्ता ने अपनी एक्टिंग से एक नया बेंचमार्क बना दिया है. इसके साथ ही अक्षय कुमार ने भी एक्शन सीक्वेंस को काफी परफेक्शन के साथ फिल्माया है. आदिल हुसैन, अनिरुद्ध दवेवाणी कपूर और हुमा कुरैशी ने भी फिल्म में मंजी हुई एक्टिंग की है. वाणी का भले ही स्क्रीन टाइम छोटा है, लेकिन उनके किरदार और एक्टिंग को आप बिना नोटिस किए नहीं छोड़ पाएंगे. वहीं, हुमा कुरैशी भी अपने शानदार किरदार में नजर आईं.


डायरेक्शन
इस फिल्म को रंजीत एम तिवारी ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में जबरदस्त एक्शन परोसा गया है जिसका बेहद सधे हुए तरीके से डायरेक्शन किया गया है. कुछ एक सीन को छोड़ दें तो फिल्म का डायरेक्शन सटीक साबित होता दिखता है. बात करें उन कुछ सीन की तो इनमें Larger Then The Life इमेजेज को फिल्माया गया है. जैसे अक्षय कुमारा का हाथ से हवाईजहाज रोक देना. ऐसे सीन पर भरोसा करना जरा मुश्किल साबित होता है. 


डायलॉग्स
स्टार्स की डायलॉड डिलिवरी आपको फिल्म में बंधे रखती है. फिल्म में डायलॉग डिलिवरी काफी शानदार है साथ ही इसे परदे पर भी काफी अच्छे अंदाज में उकेरा गया है. फिल्म में देशभक्ति को लेकर आप हॉल में गूजबंप्स भी फील करेंगे. 


सिनेमेटोग्राफी
इसके अलावा, राजीव रवि की सिनेमेटोग्राफी और प्रोडक्शन थोड़ा कम इंप्रेस कर पाते हैं. 3 डी भी बहुत कम है और पूरी तरह से अनावश्यक था जैसा कि गाने हैं, जो कि आपको पूरा समय बांधे रखने में जरा कमजोर साबित होते हैं.


क्लाइमैक्स
फिल्म के कालइमैक्स की बात करें तो ये बेहद जबरदस्त है और इसे आप जरूर इजॉय करेंगे लेकिन वहीं दूसरी ओर ऐसा भी लगता है कि जैसे क्लाइमैक्स बहुत जल्दी आ गया है, इसे अभी थोड़ा रुक कर और थोड़ा और रोमांच के साथ परोसा जाना चाहिए था. इस फिल्म के क्लाइमेक्स पर थोड़ा और काम किया जा सकता था. फिल्म का क्लाइमेक्स छोटा है. इसमें थोड़ा और टकराव रोमांच में इजाफा कर सकता था. हालांकि, एक बार फिल्म जरूर देखी जा सकती है.


क्यों देखें ये फिल्म
सबसे पहले तो लारा दत्ता, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रूप में किसी को पहचान में ही नहीं आती है. लारा दत्ता का बोलने का तरीका, चलने का तरीके, यानी हर चीज इंदिरा गांधी से काफी मिलता-जुलता सा लगा. एक बार तो आपको देखकर ये कतई नहीं लगेगा कि आप लारा दत्ता को देख रहे हैं. आपको लगेगा कि आप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ही असल में देख रहे हैं. 


कोरोना काल की लंबी उदासी के बाद अक्षय समेत सभी कलाकारों की परफॉर्मेंस और देशभक्ति के रस में डूबी इस फिल्म को देखना बनता है. इसके साथ ही ये फिल्म एक्शन और देशभक्ति का भी परफेक्ट डोज है.