दोस्ती की मिसाल थे विनोद खन्ना और फिरोज खान, एक जैसी बिमारी और एक ही तारीख को हुई दोनों की मौत भी मुकर्रर
दोस्ती में लोगों को खुशियां और गम बांटते तो आपने सुना होगा, लेकिन बॉलीवुड में विनोद खन्ना और फिरोज खान की दोस्ती ऐसी है, जिन्होंने दुनिया को अलविदा भी एक ही तारीख को कहा.
बॉलीवुड में दोस्ती के किस्से आपने बहुत सुने होंगे. कई सितारों का दोस्ताना ऐसा है जिनकी मिसाल दी जाती है. इन्हीं में से एक है फिरोज खान और विनोद खन्ना की दोस्ती. दोस्ती में लोगों को खुशियां और गम बांटते तो आपने सुना होगा, लेकिन इन दोनों ने तो मौत की तारीख भी एक ही चुनी.
फिरोज खान और विनोद खन्ना की दोस्ती केवल पर्दे के पीछे ही नहीं बल्कि ऑनस्क्रीन भी इनकी केमिस्ट्री काफी अच्छी है. 1976 में रिलीज हुई 'शंकर शंभू' में फिरोज खान और विनोद खन्ना साथ नजर आए थे. इस फिल्म में दोनों की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आई थी. 1980 में आई 'कुर्बानी' में भी दोनों साथ नजर आए. इसका डायरेक्शन फिरोज खान ने ही किया था. फिल्म हिट साबित हुई और उस दौर में करीब 12 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था. बताया जाता है कि विनोद खन्ना जब इंडस्ट्री में कामयाबी की ऊचाइंयों पर थे तो उस समय वह ओशो आश्रम चले गए, जिसके बाद वह बॉलीवुड में वापसी करना चाहते थे. इस समय फिरोज खान ने ही उनकी मदद की और 'दयावान' फिल्म बनाई. साल 1988 में आई इस फिल्म में दोनों फिर साथ नजर आए थे. विनोद खन्ना ने अपने करियर की शुरुआत विलेन के किरदार से की और बाद में नायक के रूप में स्थापित हुए. वहीं कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही काम करके फिरोज खान ने भी खूब नाम कमाया, जिसके लिए कई अभिनेता सालों साल मेहनत करते हैं. फिरोज खान हर रोल में फिट रहे फिर चाहे फिल्मों में एक हैंडसम हीरो की भूमिका हो या खूंखार विलेन का रोल.
आखिरी बार वह फिल्म 'वेलकम' में नजर आए थे. गौर करने वाली बात यह है कि इन दोनों दोस्त की मौत की वजह लगभग एक ही रही, दोनों ही सितारों की मौत कैंसर की वजह से हुई थी. जहां फिरोज को लंग कैंसर तो विनोद को ब्लैडर कैंसर था. इतना ही नहीं, इन दोनों ने अपनी मौत की तारीख भी एक ही चुनी, बस साल का अंतर रह गया. फिरोज खान 27 अप्रैल 2009 को इस दुनिया से गुजरे, तो वहीं विनोद खन्ना का निधन 27 अप्रैल 2017 को हुआ.
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