25 कमरों का बंगला, लग्जरी कारों का मालिक... देश का हाईएस्ट पेड एक्टर था ये सुपरस्टार, फिर भी गरीबी में गुजरे थे आखिरी दिन
Bhagwan Dada: भगवान दादा बॉलीवुड के हाईएस्ट पेड एक्टर्स में से एक थे और काफी आलीशान जिंदगी जीते थे. एक फिर एक ऐसा दौर भी आया जब वे कंगाल हो गए थे.
Bhagwan Dada: फिल्म इंडस्ट्री में कब कोई अर्श से फर्श पर जाए इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. यहां फेम मिलते भी देर नहीं लगती और गर्दिश में किस्मत का सितारा जाते हुई भी वक्त नहीं लगता. यहां कई ऐसे स्टार्स भी रहे हैं जिन्होंने एक्टिंग की दुनिया पर राज किया और खूब नाम और शोहरत कमाई. लेकिन, उनके आखिरी दिन गरीबी में बीते.आज हम आपको ऐसे ही एक सुपरस्टार के बारे में बताएंगें जिन्होंने खूब दौलत कमाई थी और आलीशान जिंदगी भी जी थी लेकिन फिर वे पूरी तरह बर्बाद हो गए. कंगाली के दौर में उन्हें अपना सब कुछ बेचना पड़ा था और फिर गरीबी में उनकी मौत हो गई.
सुपरस्टार के आखिरी दिन चॉल में गुजरे
ये अभिनेता कोई और नहीं भगवान दादा थे. भगवान दादा का जन्म एक कपड़ा मिल मजदूर के घर पर हुआ था. शुरुआती दिनों में उन्होंने मजदूरी भी की, लेकिन उन्हें बचपन से ही एक्टिंग करने में मजा आता था. फिर उन्होंने फिल्म 'क्रिमिनल' से बॉलीवुड में एंट्री की थी.अपने फिल्मी करियर में भगवान दादा ने 'बहादुर', और 'किसान' जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्म 'अलबेला' बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी और वे सुपरस्टाप बन गए थे.
तमाम हिट फिल्में देने वाले भगवान दादा ने अपने करियर में नाम और शोहरत तो खूब कमाई ही थी वहीं दौलत भी खूब जमा कर ली थी. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब वह पूरी तरह बर्बाद हो गए थे. 1940 और 50 के दशक में इस अभिनेता की माली हालत इतनी खस्ता हो गई थी कि उन्हें अपने आखिरी दिन मुंबई के एक चॉल में बिताने पड़े थे.
आलीशान लाइफ जीते थे भगवान दादा
भगवान दादा ने खूब पैसा कमाया था. वे सबसे अमीर अभिनेताओं की लिस्ट में शामिल थे. उनके पास सबकुछ था सी फेसिंग 25 कमरों का आलीशान बंगला, 7 लग्जरी कारें और नौकर-चाकर. भगवान दादा ने अभिनेता और निर्देशक के रूप में भी खूब नाम कमाया. दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर के बाद वह ही थे जो उस वक्त सबसे ज्यादा फीस लेते थे, लेकिन जुए और शराब की लत भी थी.
खूब सफलता हासिल करने के बाद बुरा दौर आया
भगवान दादा ने 40 के दशक में छोटे-छोटे किरदार निभाकर अपनी पहचान बनाई थी. 1942 में उन्होंने जागृति प्रोडक्शंस की स्थापना की और प्रोड्यूसर बन गए. मुख्यधारा सिनेमा से हटकर फिल्में बनाना उनका पैशन था. राज कपूर ने भी उन्हें इस बात के लिए मना लिया. 1951 में उन्होंने 'अलबेला' बनाई जो उस दौर की बड़ी हिट साबित हुई. 'शोला जो भड़के' गाने के बाद वह खूब फेमस हो गए थे. इसके बाद उन्होंने 'झमेला' और 'भागम भाग' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं. लेकिन फिर वो दौर भी आया जब सफलता उनके हाथ से फिसलने लगी.
एक फिल्म की वजह से बर्बाद हो गए थे भगवान दादा
कहा जाता है कि जब उन्होंने फिल्म 'हंसते रहना' बनाई तो यह उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई. इस फिल्म के लिए भगवान दादा ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था लेकिन उन्हें फिल्म बीच में ही रोकनी पड़ी, इस वजह से उन्हें अपना सब कुछ बेचना पड़ा. वह लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गये थे..
60 के दशक तक भगवान दादा कैरेक्टर रोल प्ले करने शुरू कर दिए थे. उन्हें अपना घर चलाने के लिए सब कुछ बेचना पड़ा था. आख़िरकार उन्होंने अपना बंगला भी बेच दिया और दादर की एक चॉल में रहने लगे. फिर एक समय ऐसा आया जब इंडस्ट्री ने उन्हें पूरी तरह से भुला दिया और वह गुमनामी के अंधेरे में खो गए. 2002 में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया था.
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