पटना में सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में फिल्म के अभिनेता खेसारीलाल यादव ने कहा कि समाज में बहुत ऐसे लोग हैं, जिनकी प्रतिक्रिया बेटी पैदा होने पर बदल जाती है. आज बेटियों ने यह साबित कर दिया है कि वे बेटों से कम नहीं हैं. उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि लोग बेटियों को बेटों की तरह पालें.
उन्होंने कहा, "हमारी फिल्म 'संघर्ष', 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' मुहिम को आगे बढ़ाएगी. हम यह भी कहना चाहेंगे कि बेटे को भी समझाइए, जिससे वह हर रास्ते चलती लड़की को बहन की तरह समझे. मेरी फिल्म रक्षाबंधन पर रिलीज हो रही है. यह हमारे दर्शकों को रक्षाबंधन का उपहार है."
उन्होंने लोगों से इस फिल्म को देखने की अपील करते हुए कहा कि यह फिल्म समाज के लिए आईना है. फिल्म में अश्लीलता के सवाल पर खेसारी ने कहा, "अगर आप इस फिल्म को देखेंगे तो दुनिया को बता सकेंगे कि भोजपुरी फिल्में भी अच्छी बनती हैं. बिना देखे अगर कोई सवाल करेंगे, तो उसका जवाब हम भी नहीं दे सकेंगे. मैं खुद बुरी फिल्में नहीं करता हूं."
उन्होंने कहा कि इस फिल्म को रत्नाकर कुमार, पराग पाटिल और पूरी टीम ने काफी मेहनत की है. यह भोजपुरी की पहली फिल्म होगी, जो मल्टीप्लेक्स में भी लगेगी. फिल्म की अभिनेत्री काजल राघवानी ने कहा, "मेरे लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण फिल्म थी. इस फिल्म को कर के मैंने जाना कि मां बनना कितना चुनौतीपूर्ण काम है. मां बनने का अनुभव बहुत अच्छा होता है. मां बनकर मुझे एहसास हुआ कि बच्चों के लिए मां कितना संघर्ष करती है."
उन्होंने कहा कि यह फिल्म बेटी के बारे में है और पूरी तरह सामाजिक, पारिवारिक, मनोरंजक फिल्म है. फिल्म के निर्माता रत्नाकर कुमार ने पत्रकारों से कहा कि 'संघर्ष' अपनी भाषा को अच्छे ढंग से दिखाने की एक कोशिश है. इसको लेकर हमने बहुत सारे विमर्श किए. फिल्म की बारीकियों पर हमने खूब ध्यान दिया, तब जाकर एक बहुत अच्छी फिल्म बनाई है.