Bharat Bhushan Birth Anniversary: मेरठ का भारत कैसे बना था बॉलीवुड का भूषण? जानें फिल्म देखने पर पिटने से सुपरस्टार बनने तक की कहानी
Bharat Bhushan: सिनेमा का जादू उनके सिर चढ़कर बोलता था. यही वजह रही कि जब उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा तो अपनी अलग पहचान बना ली. बात हो रही है भारत भूषण की, जिनकी आज बर्थ एनिवर्सरी है.
Bharat Bhushan Unknown Facts: सिनेमा इंडस्ट्री में तमाम ऐसे कलाकार हुए, जिन्होंने अपने सपने पूरे करने के लिए परिवार से लेकर समाज तक के ताने सुने. हिंदी सिनेमा के शुरुआती सुपरस्टार्स में शुमार एक कलाकार ने तो मायानगरी फिल्म देखने पर अपने पिता से पिटाई भी खाई. यह कलाकार कोई और नहीं, बल्कि भारत भूषण थे. उनके पिता राय बहादुर मोती लाल अलीगढ़ में रहते थे, जो कुछ समय बाद मेरठ में सदर ढोलकी मोहल्ले के बोरी बारदाना चौराहे के पास आकर बस गए. इसी मेरठ में 14 जून 1920 के दिन 'भारत' का जन्म हुआ, जो बॉलीवुड का 'भूषण' बना.
जब पिता ने फिल्म देखने पर पीटा
बैजू बावरा, सोनी महिवाल और तानसेन जैसी फिल्मों के गीतों से लोगों के दिलों में आज तक कायम रहने वाले भारत भूषण को फिल्म देखने पर मार भी खानी पड़ी थी. इसका जिक्र उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में किया था. उन्होंने बताया था कि उनके पिता आर्य समाजी थे. ऐसे में उन्हें बच्चों का फिल्में देखना कतई पसंद नहीं था. एक बार भारत भूषण के पिता किसी काम से बाहर गए थे. उस दौरान भारत भूषण ने दोस्तों के साथ फिल्म देख ली, जिसका पता चलने पर पिता ने उनकी काफी पिटाई की थी.
जिद से जीत लिया जहां
पिता की पिटाई के बाद भारत भूषण ने फिल्म इंडस्ट्री में ही नाम कमाने की जिद ठान ली. उन्होंने पिता का घर छोड़ दिया और मुंबई चले गए. वह मशहूर डायरेक्टर महबूब खान के स्टूडियो पहुंचे, जहां अलीबाबा चालीस चोर की शूटिंग चल रही थी. हालांकि, उस वक्त तक फिल्म की कास्टिंग पूरी हो चुकी थी. ऐसे में उन्हें डायरेक्टर रामेश्वर शर्मा के पास भेजा गया, जो भक्त कबीर फिल्म बना रहे थे. उस फिल्म में सिर्फ काशी नरेश का छोटा-सा किरदार बचा था. डायरेक्टर रामेश्वर शर्मा ने भारत भूषण को काशी नरेश का किरदार दे दिया और 60 रुपये प्रतिमाह की नौकरी भी दे दी. इस फिल्म के बाद भारत भूषण चमक गए और उन्होंने भाईचारा, सावन, जन्माष्टमी, बैजू बावरा, मिर्जा गालिब आदि फिल्मों में काम किया.
पिता ने यूं की थी तारीफ
भारत भूषण की बेटी अपराजिता भूषण ने बताया था कि जब भारत ने बैजू बावरा में काम किया तो उनकी शोहरत हर तरफ फैल गई. कहा जाता है कि भारत भूषण के पिता ने भी छिपकर बैजू बावरा फिल्म देखी. इसके बाद वह मुंबई गए और बेटे को गले लगाकर कहा कि मैं गलत था. तुम सिनेमा के लिए ही बने हो.
बदहाली में गुजरा आखिरी वक्त
इसके बाद भारत भूषण ने कामयाबी का शिखर छू लिया. मुंबई में कई बंगले खरीद लिए और महंगी-महंगी गाड़ियां भी जुटा लीं. उस दौरान भारत भूषण के बड़े भाई रमेश ने उन्हें प्रॉड्यूसर बनने की सलाह दी. उन्होंने 'बसंत बहार' और 'बरसात की रात' फिल्म बनाईं, जो सुपरहिट रहीं. हालांकि, इसके बाद बनी सभी फिल्में फ्लॉप हो गईं और भारत भूषण कर्ज में डूबकर पाई-पाई को मोहताज हो गए. 10 अक्टूबर, 1992 के दिन 72 साल की उम्र में भारत भूषण ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.