Amrish Puri Unknown Facts: मोगैम्बो खुश हुआ... डॉन्ग कभी रॉन्ग नहीं होता... और जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी... ये चंद डायलॉग उस शख्स के हैं, जिन्हें आज भी सिनेमा की दुनिया का सबसे बड़ा विलेन कहा जाता है. बात हो रही है अमरीश पुरी की, जिनका जन्म 22 जून 1932 के दिन पंजाब के नवां शहर (अब भगत सिंह नगर) में हुआ था. 40 साल की उम्र में बॉलीवुड डेब्यू करने वाले अमरीश पुरी ने अपने करियर में करीब 400 फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आया, जब वह करीब 20 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं देख पाए थे. क्या है वह किस्सा, आइए जानते हैं. 


मोगैम्बो के लिए पहली पसंद नहीं थे अमरीश


आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमरीश पुरी मोगैम्बो के किरदार के लिए पहली पसंद कभी नहीं थे. यहां तक कि उन्हें तो किरदार ही उस वक्त ऑफर किया गया, जब फिल्म की करीब 60 फीसदी शूटिंग पूरी हो चुकी थी. उस वक्त फिल्म के डायरेक्टर शेखर कपूर ने उन्हें यह रोल ऑफर किया. बता दें कि पहले मोगैम्बो का किरदार अनुपम खेर को ऑफर किया गया था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि मोगैम्बो के रोल के लिए मुझे चुना गया था, लेकिन एक-दो महीने बाद ही फिल्ममेकर्स ने मुझे रिप्लेस कर दिया.  


अमरीश पुरी के मन में आई थी यह बात


मोगैम्बो के किरदार का ऑफर मिलने के बाद अमरीश पुरी चौंक गए थे. उन्होंने अपनी आत्मकथा 'एक्ट ऑफ लाइफ' में लिखा था, 'जब डायरेक्टर शेखर कपूर ने मुझे यह रोल ऑफर किया, तब तक फिल्म की 60 फीसदी शूटिंग पूरी हो चुकी थी. मैं थोड़ा आशंकित हो गया था, क्योंकि आधी से ज्यादा फिल्म शूट हो चुकी थी. मेरे मन में यह ख्याल भी आया कि इन्हें अब जाकर मेरी याद आई.'


जब 20 दिन तक नहीं देख पाए थे सूरज


अमरीश पुरी ने लिखा था, 'मिस्टर इंडिया की शूटिंग के दौरान शेखर कपूर ने मुझे पूरी छूट दी थी. उन्होंने कहा था कि मोगैम्बो का किरदार हिटलर जैसा होना चाहिए. ऐसे में इस किरदार का आइडिया हॉलीवुड फिल्म स्टेरिंग क्लार्क गेबल से लिया गया. उस दौरान शूटिंग का शेड्यूल इतना ज्यादा व्यस्त रहा कि मैं करीब 20 दिन तक सूरज की रोशनी नहीं देख पाया था.'


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