Mehdi Hassan Unknown Facts: पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम मिलना बंद हो गया, लेकिन कुछ पाकिस्तानी सितारे ऐसे भी रहे, जिनके रास्ते में इन दोनों देशों की कोई भी सरहद नहीं आ सकी. ऐसे ही एक फनकार थे मेहदी हसन, जिन्हें गजल का शहंशाह भी कहा जाता था. आज मेहदी हसन की डेथ एनिवर्सरी है. ऐसे में हम आपको उनकी जिंदगी के चंद पन्नों से रूबरू करा रहे हैं. 


राजस्थान में हुआ था मेहदी हसन का जन्म


18 जुलाई 1927 के दिन राजस्थान के झुंझनू जिले के लूना गांव में जन्मे मेहदी हसन बचपन से ही संगीत से ताल्लुक रखते थे. दरअसल, उनके पिता पिता उस्ताद अजीम खान और चाचा उस्ताद इस्माइल खान ने उन्हें महज आठ साल की उम्र में ही संगीत की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी. वहीं, जब मेहदी हसन 18 साल के हुए, तब वह ध्रुपद, ठुमरी और खयाल गायकी में मास्टर हो चुके थे. साथ ही, परफॉर्म भी करने लगे थे. हालांकि, जब तक वह बुलंदी का दौर छू पाते, तक तक उनके संघर्ष का वक्त आ गया. 


बंटवारे ने कर दिया था बर्बाद


हुआ यूं कि 1947 के दौरान जब देश का बंटवारा हुआ, तब मेहदी हसन 20 साल के थे. वह अपने करियर की शुरुआत ही कर पाए थे कि देश के दो टुकड़े हो गए और उन्हें पूरे परिवार के साथ कुछ जरूरी सामान के साथ पाकिस्तान जाना पड़ गया. उन्होंने पाकिस्तान के पंजाब में साहीवाल जिले के एक गांव में अपना आशियाना बसाया, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी थी. मजबूरी में मेहदी हसन साइकल की एक दुकान में बतौर मैकेनिक काम करने लगे. उन्होंने कार और ट्रैक्टर की भी मरम्मत की, लेकिन संगीत का रियाज नहीं छोड़ा.


10 साल तक जारी रहा संघर्ष


बता दें कि करीब 10 साल तक मेहदी हसन का संघर्ष जारी रहा. 1957 में उन्हें रेडियो पाकिस्तान पर गाने का मौका मिला. शुरुआत में वह ठुमरी गाते थे, जिसे काफी पसंद किया गया. इसके बाद उन्होंने गजल गायकी में हाथ आजमाया तो उनकी शोहरत हर हद और शोहरत पार कर गई. वह पाकिस्तान के साथ-साथ भारतीय फिल्मों में भी गाने गाने लगे. कई भारतीय सिंगर ने भी मेहदी हसन के साथ जुगलबंदी की, जिनमें लता मंगेशकर भी शामिल हैं.


इतना बड़ा था मेहदी हसन का परिवार


मेहदी हसन ने दो शादी कीं, जिनसे उन्हें 14 बच्चे हुए. मेहदी हसन के आठ बेटों ने संगीत की दुनिया में ही अपना करियर बनाया. वैसे तो मेहदी हसन पाकिस्तानी सिंगर कहलाए, लेकिन उन्हें भारत और नेपाल की सरकारों ने भी सम्मानित किया. अपने आखिरी वक्त में मेहदी हसन काफी बीमार रहे. आखिर में 13 जून 2012 के दिन कराची में उनका इंतकाल हो गया. मेहदी हसन भले ही हमें अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनकी आवाज का जादू आज भी हर किसी के सिर चढ़कर बोलता है.


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