Sadashiv Amrapurkar Birth Anniversary: 'महारानी' बन लोगों के जेहन में छा गए थे सदाशिव, एक्टिंग के मामले में सामने नहीं टिकते थे हीरो
Sadashiv Amrapurkar: फिल्मी दुनिया में विलेन बनना आसान नहीं है, लेकिन क्या कभी ऐसा देखा है कि कोई विलेन हीरो पर ही भारी पड़ जाए. अगर आपका जवाब न है तो आपको सदाशिव अमरापुरकर की फिल्में देखनी चाहिए.
Sadashiv Amrapurkar Unknown Facts: जब उन्होंने हिंदी सिनेमा में पहला कदम रखा तो 'अर्धसत्य' सामने आ गया. फिर वह 'सड़क' पर उतरे तो 'महारानी' बनकर हर किसी के दिल-ओ-दिमाग पर छा गए. वैसे तो उन्होंने ताउम्र विलेन के किरदार निभाए, लेकिन उनकी एक्टिंग के सामने हीरो भी पानी भरते नजर आते थे. बात हो रही है अपने जमाने के मशहूर विलेन सदाशिव अमरापुरकर की. आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी है. ऐसे में हम उनकी जिंदगी से रूबरू होते हैं.
बचपन में ही देख लिया था एक्टिंग करने का सपना
महाराष्ट्र के अहमदनगर में 11 मई 1950 के दिन जन्मे सदाशिव अमरापुरकर का ताल्लुक महाराष्ट्रियन ब्राह्मण परिवार से था. बचपन से ही सदाशिव बेहद सहृदय थे और असहाय लोगों की मदद करते थे. हालांकि, उन्होंने एक ही सपना देखा था कि वह एक्टिंग करने के तलबगार थे. इसकी शुरुआत उन्होंने मराठी नाटकों से की. वहीं, फिल्मी दुनिया में कदम रखने से पहले करीब 50 नाटकों में काम किया.
किन्नर का किरदार आज तक मशहूर
सदाशिव ने एक्टिंग करियर की शुरुआत मराठी फिल्म 22 जून 1897 से की, जिसमें उन्होंने बाल गंगाधर तिलक का किरदार निभाया था. इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया और अर्धसत्य फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम कर लिया. अब हम बात करते हैं उस फिल्म की, जिसने विलेन बनने के बावजूद सदाशिव को घर-घर में लोकप्रिय कर दिया. यह फिल्म सड़क थी, जिसमें सदाशिव ने महारानी नाम के किन्नर का किरदार निभाया था. इस फिल्म में सदाशिव ने इतनी जोरदार एक्टिंग की थी कि आज भी उसकी मिसाल दी जाती है. आलम यह था कि वह अपनी फिल्मों में हीरो पर भी भारी पड़ जाते थे.
धर्मेंद्र के साथ हिट रही जोड़ी
सदाशिव ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक सुपरस्टार के साथ काम किया. इनमें अमिताभ बच्चन से लेकर धर्मेंद्र, गोविंदा, आमिर खान, संजय दत्त और सलमान खान तक के नाम शामिल हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि धर्मेंद्र उन्हें अपने लिए लकी मानते थे और उन्हें सदाशिव का अंदाज इतना ज्यादा पसंद था कि वह उनके सबसे पसंदीदा विलेन बन गए थे. यही वजह रही कि दोनों ने एक साथ 11 फिल्में की थीं.
कॉमेडी से भी जीता दिल
विलेन के किरदार से हर किसी का दिल जीतने वाले सदाशिव अमरापुरकर ने 90 के दशक में कॉमेडी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जादू चलाया. वह 'आंखें', 'इश्क', 'कुली नंबर 1', 'गुप्त: द हिडेन ट्रुथ', 'जय हिंद', 'मास्टर', 'हम साथ-साथ हैं', समेत कई फिल्मों में लोगों को हंसाते नजर आए. सदाशिव की आखिरी हिंदी फिल्म दिबाकर बनर्जी की 'बॉम्बे टॉकीज' थी, जिसमें वह कैमियो रोल किया था. बता दें कि इस फिल्म से पहले सदाशिव को दिबाकर बनर्जी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. जब सदाशिव 64 साल के थे, तब उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया. ऐसे में 3 नवंबर 2014 के दिन उनका निधन हो गया.