Asha Sachdev Birthday: मुस्लिम परिवार में जन्म, फिर भी हिंदू कैसे आशा सचदेव? इस फैसले ने तबाह कर दिया था करियर
Asha Sachdev: अपनी खूबसूरती से वह हर किसी का दिल लूट लेती थीं और कातिल अदाओं से जलवा दिखाने में माहिर थीं. बात हो रही है आशा सचदेव की, जिनका आज बर्थडे है.
Asha Sachdev Unknown Facts: 70 और 80 के दशक की खूबसूरत हसीनाओं का जिक्र हो और आशा सचदेव का नाम न लिया जाए, ऐसा होना नामुमकिन है. अपनी काली-काली आंखों और कातिल अदाओं से फैंस का दिल लूटने में माहिर आशा सचदेव का जन्म 27 मई 1956 के दिन हुआ था. 40 साल के अपने करियर में आशा ने 90 से ज्यादा फिल्मों और टीवी सीरियल्स में काम किया.
मुस्लिम परिवार में हुआ था जन्म
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आशा का जन्म मुंबई में रहने वाले मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनका पहला नाम नफीसा सुल्तान था, जिसे बदलकर आशा सचदेव किया गया. बता दें कि आशा सचदेव दिग्गज एक्टर अरशद वारसी की सौतेली बहन हैं. इसका मतलब यह है कि आशा और अरशद के पिता एक हैं, लेकिन उनकी मां अलग हैं. दरअसल, नफीसा उर्फ आशा के पिता आशिक हुसैन वारसी राइटर थे, जबकि उनकी मां रजिया भी फिल्मों में काम करती थीं. आशिक और रजिया के तीन बच्चे हुए, जिसके बाद 60 के दशक में दोनों ने तलाक ले लिया.
ऐसे बदला गया था आशा का नाम
तलाक के बाद नफीसा और उनकी छोटी बहन मां रजिया के पास रहने लगीं, जबकि भाई अनवर पिता आशिक हुसैन के साथ चला गया. कुछ समय बाद रजिया ने आईपी सचदेव से शादी कर ली, जो मुंबई के नामी वकील थे. इस शादी के बाद नफीसा सुल्तान का नाम आशा सचदेव रखा गया और उनकी बहन का नाम रेशमा सचदेव कर दिया गया.
दुनिया पर चला था आशा का जादू
गौरतलब है कि आशा भी अपनी मां की तरह एक्टिंग करना चाहती थीं. ऐसे में उन्होंने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन ले लिया. कोर्स पूरा करने के बाद वह मुंबई आ गईं और फिल्मों में हाथ आजमाने लगीं. उनकी अदाओं का जादू ऐसा चला कि उस दौर के सभी मशहूर एक्टर और डायरेक्टर उनके साथ काम करना चाहते थे. इस लिस्ट में महेश भट्ट का नाम भी शामिल था.
इस फैसले से करियर को हुआ नुकसान
बता दें कि उस दौरान आशा ने ऐसा कदम उठा लिया, जो उनके लिए घातक साबित हुआ. दरअसल, 1972 में आशा ने छोटे बजट की बी-ग्रेड फिल्म 'बिंदिया और बंदूक' में काम किया. इस फिल्म में आशा की एक्टिंग की तारीफ हुई, लेकिन करियर की शुरुआत में ही बी-ग्रेड फिल्म में काम करने की वजह से ए-लिस्ट डायरेक्टर्स की नजर में आशा की नेगेटिव इमेज बन गई. ऐसे में उनके हाथ से बड़े बजट की फिल्में निकल गईं.