Shenaz Treasury Birthday: 'इश्क-विश्क' करके सिनेमा की दुनिया में छा गई थीं शेनाज, जानें अब कहां हैं लापता?
Shenaz Treasury: सिल्वर स्क्रीन पर उनकी एंट्री धांसू थी, लेकिन फिर उन्होंने एक्टिंग ही छोड़ दी. बात हो रही है शेनाज ट्रेजरी की, जिनका आज बर्थडे है.
Shenaz Treasury Unknown Facts: 29 जून 1981 के दिन मुंबई में पारसी फैमिली में जन्मी शेनाज ट्रेजरी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने फिल्म 'इश्क विश्क' से बॉलीवुड डेब्यू किया था. बता दें कि एक्टिंग की दुनिया से पहले शेनाज ने मॉडलिंग की थी, जिसमें वह किस्मत से पहुंची थीं. दरअसल, जब शेनाज कॉलेज में थीं, उस वक्त उन पर एक फोटोग्राफर की नजर पड़ी. इसके बाद शेनाज को मॉडलिंग करने का मौका मिल गया. इसके बाद उन्होंने एमटीवीज मोस्ट वॉन्टेड प्रोग्राम में बतौर वीडियो जॉकी काम किया. हालांकि, इससे पहले वह कई विज्ञापनों में काम कर चुकी थीं. बता दें कि शहनाज ने मुंबई में ग्रैजुएशन किया, जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए न्यूयॉर्क चली गईं. वहां उन्होंने ली स्ट्रासबर्ग थिएटर और फिल्म संस्थान से मेथड एक्टिंग की पढ़ाई की. साथ ही, राइटिंग का कोर्स भी किया.
फिल्मों में आने से पहले ही कमाया नाम
गौर करने वाली बात यह है कि शेनाज ने फिल्मों में आने से पहले ही टीवी की दुनिया में काफी नाम कमा लिया था. दरअसल, शेनाज का पेप्सी वाला विज्ञापन काफी मशहूर हुआ. इसके बाद उन्होंने साल 2001 में तेलुगू फिल्म 'एढुरुलेनी मनिषि' में काम किया गया. वहीं, साल 2003 में उन्होंने फिल्म 'इश्क विश्क' से बॉलीवुड में कदम रखा. इस फिल्म में शेनाज सेकेंड लीड में थीं, लेकिन उनका काम काफी पसंद किया गया. इस फिल्म के लिए शेनाज को फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस अवॉर्ड भी मिला था.
इन फिल्मों में भी आ चुकीं नजर
बता दें कि शेनाज देल्ही बेली, रेडियो, लव का द एंड, आगे से राइट आदि कई हिंदी फिल्मों में नजर आईं. हालांकि, इन फिल्मों से उनके करियर को रफ्तार नहीं मिल पाई. ऐसे में शेनाज अमेरिका चली गईं और ट्रेवल ब्लॉगर बन गईं. बता दें कि शेनाज को राइटिंग का भी शौक है. वह ट्रैवल आर्टिकल लिख चुकी हैं और कई ट्रैवल शो भी होस्ट किए हैं.
इस बीमारी से पीड़ित हैं शेनाज
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि शेनाज एक गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं. इसका जिक्र उन्होंने खुद इंस्टाग्राम पोस्ट में किया था. उन्होंने लिखा था, 'मुझे प्रोसोपैग्नोसिया 2 के बारे में पता चला है. अब मुझे समझ आया है कि मैं अब मुझे समझ में आया कि मैं सारे चेहरों को एक साथ क्यों नहीं रख पाती हूं. ये एक डिसऑर्डर है. इसे फेस ब्लाइंडनेस भी कहते हैं. जिसका मतलब है कि आप लोगों के चेहरे पहचान नहीं पाते हैं.'
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