Hans Raj Hans Unknown Facts: पंजाब के छोटे से गांव शफीपुर में 9 अप्रैल 1962 के दिन जन्मे हंस राज हंस आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. हालांकि, उनका जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था. आलम यह था कि उनके पास खाने के पैसे भी नहीं होते थे. इसके चलते उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. उनकी जिंदगी का एक दौर ऐसा भी रहा, जब उनके हाथ से खाने की प्लेट तक छीन ली गई थी. 


जब हाथ से छीन ली गई खाने की प्लेट


यह उस दौर की बात है, जब हंस राज हंस के दो कैसेट्स रिलीज हो चुके थे, लेकिन उन्हें वह शोहरत हासिल नहीं हुई थी, जो उनके संघर्ष को दामन से दूर कर सके. उस वक्त भी उनके पास पैसे नहीं होते थे. उस दौर में एक दिन ऐसा भी रहा, जब उन्हें शाम तक खाना नहीं मिला. ऐसे में वह एक ठेले वाले के पास पहुंच गए. उन्होंने खाने की प्लेट हाथ में पकड़ी और साफ-साफ बता दिया कि मैरे पास पैसे नहीं हैं. यह बात सुनकर ठेले वाले ने उनके हाथ से प्लेट छीन ली और धमकाकर भगा दिया. 


ऐसे चुकाया ठेले वाले का हिसाब


ठेले वाले की इस हरकत ने हंस राज हंस के दिल को करारी चोट दी. वह उस जगह से तो चले आए, लेकिन कई साल बाद जब वह जाने-माने गायक हो गए, तब वह एक बार फिर उस ठेले वाले पर गए. उन्होंने उस ठेले वाले को दो हजार रुपये दिए और कहा कि जो भी गरीब तुम्हारे पास आए, उसे भूखा मत रहने देना. तब से लेकर आज तक वह उस ठेले वाले को हर महीने दो हजार रुपये देते हैं. इस किस्से का जिक्र लेखिका प्रीतइंदर की ढिल्लों की किताब 'लाइफ स्टोरी ऑफ लिविंग लीजेंड राग टू रागास' में किया गया है.


दोस्त ने दिलाया मुकाम


हंस राज हंस की जिंदगी का एक और किस्सा काफी मशहूर है. यह किस्सा उनके दोस्त सतनाम सिंह गिल का है. दरअसल, दोनों बचपन में याराना फिल्म देखने गए थे. जब दोनों सिनेमा हॉल से बाहर निकले तो सतनाम ने कहा, 'अमिताभ और अमजद की तरह आज से तू किशन और मैं बिशन. गायक बनने में तुम्हारी पूरी मदद करूंगा.' तब से दोनों आज तक जिगरी दोस्त हैं. 


राजनीति में यूं जमाया कदम


गौरतलब है कि हंस राज हंस पंजाब के दोआबा क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं. ऐसे में उन्हें राजनीति के मैदान में उतारा गया और 2009 में शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उन पर दांव खेला गया. हालांकि, वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2014 में उन्होंने कांग्रेस जॉइन की, लेकिन दो साल बाद ही पार्टी से उनका मोहभंग हो गया और वह दिसंबर 2016 में बीजेपी में आ गए. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट पर बीजेपी के टिकट से मैदान में उतरे और जीत हासिल की.


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