Rakeysh Omprakash Mehra Birthday: 100 रुपये और सपने लेकर मुंबई आए थे राकेश मेहरा, सिर्फ इस वजह से खुद को करना चाहते थे खत्म
Rakeysh Omprakash Mehra: उनकी फिल्में कमाल करती हैं. कई बार तो ऐसे सवाल करती हैं, जिनके जवाब किसी के पास नहीं होते. बात हो रही है राकेश ओमप्रकाश मेहरा की, जिनका आज बर्थडे है.
Rakeysh Omprakash Mehra Unknown Facts: हिंदी सिनेमा के दिग्गज डायरेक्टर्स की बात हो और राकेश ओमप्रकाश मेहरा का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है. 7 जुलाई 1963 के दिन दिल्ली में जन्मे राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने सिनेमा को सबसे पहले बसंती रंग में रंगा. इसके बाद दिल्ली के दर्शन भी कराए. आखिर में वह सिल्वर स्क्रीन पर ऐसा तूफान लेकर आए, जिसकी धमक आज तक बरकरार है. बर्थडे स्पेशल में हम आपको उनकी जिंदगी के चंद पन्नों से रूबरू करा रहे हैं.
100 रुपये लेकर आए थे मुंबई
आज राकेश ओमप्रकाश मेहरा भले ही सफलता के शिखर पर हैं, लेकिन हालात हमेशा से ऐसे नहीं थे. उन्होंने अपनी किताब 'द स्ट्रेंजर इन द मिरर' में करियर के मुश्किल दौर का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि वह जब मुंबई के लिए रवाना हुए, तब उनके पास सिर्फ 100 रुपये थे. उन्होंने राजधानी ट्रेन से दिल्ली से मुंबई का सफर तय किया था और टीटी के डर से ट्रेन की आखिरी बोगी में टॉयलेट के पास बैठ गए थे. उस समय में राजधानी का टिकट 460 रुपये होता था, लेकिन राकेश के पैसे ही नहीं थे. उनके पास 100 रुपये और सिर्फ उनके सपने थे.
विज्ञापन से शुरू हुआ था करियर
राकेश मेहरा ने अपने करियर की शुरुआत विज्ञापन से की. शुरुआत में उन्होंने कई बड़े ब्रांड्स के लिए विज्ञापन बनाए. हालांकि, उनके कदम धीरे-धीरे एड-फिल्म से फीचर फिल्म की तरफ बढ़ते रहे. साल 2001 में उन्होंने अक्स रिलीज की, जिसमें अमिताभ बच्चन की परफॉर्मेंस की काफी तारीफ हुई, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं कर सकी. इसके बाद 2006 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने रंग दे बसंती बनाई, जिसने उन्हें शोहरत नवाजी. इसके बाद राकेश के पिटारे से दिल्ली-6, भाग मिल्खा भाग, तीन थे भाई, मिर्ज्या, फन्ने खां, मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर और तूफान जैसी फिल्में निकलीं. अब वह फिल्म कर्ण पर काम कर रहे हैं, जिसकी रिलीज डेट अभी तय नहीं हुई है.
जब खुद को खत्म करना चाहते थे राकेश
राकेश मेहरा हर एक फिल्म के लिए पूरी तरह समर्पित रहते हैं. वह फिल्म का विषय भी काफी सोच-समझकर चुनते हैं. यही वजह है कि उन्होंने 22 साल में सिर्फ आठ फिल्में बनाईं. इस समर्पण की वजह से एक वक्त ऐसा भी आया, जब वह खुद को खत्म करना चाहते थे. दरअसल, राकेश की फिल्म दिल्ली 6 बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही थी. वह इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर सके. वह इस कदर टूट गए कि उन्होंने शराब का सहारा ले लिया. राकेश शराब से खुद को खत्म करना चाहते थे. हालांकि, बाद में वह इससे उबर आए.