Manoj Bajpayee Unknown Facts: आज कहानी एक ऐसे कलाकार की, जिसके लिए स्टारडम की राह कतई आसान नहीं थी. जिसके पास न तो गुड लुक्स थे और न ही बेहतरीन बॉडी. आलम यह रहा कि बॉलीवुड के लोगों की जिंदगी में भले ही एंटरटेनमेंट... एंटरटेनमेंट... एंटरटेनमेंट होता हो, लेकिन उनके करियर के शुरुआत में सिर्फ रिजेक्शन.. रिजेक्शन और रिजेक्शन ही रहा. ऐसे में वह इस कदर टूटे कि तीन बार आत्महत्या की कोशिश कर डाली. आखिर में हिम्मत दिखाकर कदम आगे बढ़ाए तो आज कामयाबी उनके कदम चूम रही है. बात हो रही है बॉलीवुड के फैमिली मैन यानी मनोज बाजपेयी की, जो आज अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं. 


सच हुई ज्योतिषी की भविष्यवाणी


बिहार में छोटा-सा गांव है बेलवा, जहां 23 अप्रैल 1969 के दिन किसान के घर में एक बच्चे ने जन्म लिया. इस बच्चे ने महज नौ साल की उम्र में ही एक्टर बनने की ठान ली थी, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस बच्चे के अभिनेता बनने की भविष्यवाणी तो उसके पैदा होते ही कर दी गई थी. दरअसल, यह बच्चा कोई और नहीं, बल्कि आज के जमाने के जाने-माने अभिनेता मनोज बाजपेयी हैं. जन्म के बाद जब उनकी कुंडली बनवाई गई, तब ज्योतिषी ने साफ-साफ कहा था कि यह बच्चा या तो नेता बनेगा या अभिनेता. ज्योतिषी की यह बात सच साबित हो चुकी है और आज मनोज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. हालांकि, इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. 


बचपन से थे बिग बी के फैन


मनोज अपने संघर्ष की दास्तां खुद कई बार सुना चुके हैं. वह बताते हैं, 'मैं किसान का बेटा हूं. मैं बिहार के छोटे-से गांव में पैदा हुआ और अपने पांच भाई-बहनों के साथ पला-बढ़ा. हालांकि, मुझे बचपन से ही सिनेमा का शौक था. दरअसल, हमारी जिंदगी तो बेहद सामान्य थी, लेकिन जब भी शहर जाते तो फिल्म जरूर देखते थे. यह वह दौर था, जब देश का बच्चा-बच्चा अमिताभ बच्चन का फैन था और इन बच्चों की भीड़ में मैं खुद भी शामिल था. यही वजह रही कि मैंने 17 साल की उम्र में दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद थिएटर शुरू कर दिया.'


जब अकेला नहीं छोड़ते थे दोस्त


मनोज बताते हैं कि सिनेमा जगत में जगह बनाना आसान नहीं था. मैंने एनएसडी में अप्लाई किया, लेकिन तीन बार रिजेक्ट हो गया. मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश की. ऐसे में मेरे दोस्त आसपास ही सोते थे. मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ते थे, जिससे मैं कोई गलत कदम न उठा लूं. उस वक्त तो आलम यह था कि हर कोई मुझे रिजेक्ट करने के लिए तैयार बैठा था. एक बार तो एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने मेरा फोटो फाड़ दिया था. एक ही दिन में तीन प्रोजेक्ट मुझसे छीन लिए गए थे. यहां तक कि पहले शॉट के बाद मुझसे गेटआउट कहा गया था. यह वह दौर था, जब मेरे पास किराए के भी पैसे नहीं थे और वड़ा पाव खरीदना भी बेहद मुश्किल होता था. 


ऐसे खुली कामयाबी की राह


मनोज के मुताबिक, उनके लिए मुंबई की राह उस वक्त खुली, जब तिग्मांशु धूलिया अपने खटारा स्कूटर पर उन्हें ढूंढने निकले थे. इसके बाद वह मुंबई आ गए. करीब चार साल स्ट्रगल किया, जिसके बाद उन्हें महेश भट्ट की टीवी सीरीज में काम मिला. उस दौरान एक एपिसोड के लिए उन्हें 1500 रुपये मिलते थे, जिसमें उनके काम को नोटिस किया गया. बस मुझे मेरी पहली बॉलीवुड फिल्म सत्या मिली और मेरी जिंदगी बदल गई. 


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