नई दिल्ली: हवाई जहाज से घूमना किसे अच्छा नहीं लगता है. लेकिन बॉलीवुड में कुछ ऐसी महान हस्तियां भी हुई हैं जिन्हें हवाई जहाज का सफर कतई पसंद नहीं आया. इनमें से एक हस्ती को तो हवाई जहाज के नाम से डर लगने लगता था, तो दूसरे को इसकी सवारी ही  रास नही आती थी. कौन हैं वो दो हस्तियां,आइए जानते हैं.


पहले बात करते हैं बॉलीवुड में भारत कुमार के नाम से मशहूर अभिनेता,निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार की. इनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है. पाकिस्तान के एबटाबाद में पैदा हुए मनोज कुमार विभाजन के बाद भारत आ गए. दिल्ली के रिफ्यूजी कैंप में रहे बाद में ये मुंबई आ गए. फिल्मों से उनका गहरा लगाव था. फिल्म उनके लिए मनोरंजन का साधन नहीं थी, वे फिल्मों को लोगों को जागरूक बनाने का सबसे बड़ा हथियार मानते हैं. यह वजह है कि उनकी हर एक फिल्म एक सामाजिक संदेश देती है.


1965 में उन्होंने शहीद फिल्म बनाई जो जबरदस्त हिट रही है. इस फिल्म को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने देखा और बहुत प्रभावित हुए,इस फिल्म को देखने के बाद उन्होंने मनोज कुमार को दिल्ली आने का न्योता दिया. मनोज कुमार दिल्ली पहुंचे, देश के हालातों को लेकर लाल बहादुर शास्त्री ने मनोज कुमार से काफी लंबी चर्चा की. इसके बाद उन्होंने बताया कि एक नारा उन्होंने देश को दिया है, इस नारे पर वह चाहते हैं कि आप एक फिल्म बनाएं. यह नारा आज भी बहुत लोकप्रिय है. जय जवान, जय किसान यह नारा हर भारतीय ने सुना है. मनोज कुमार ने लाल बहादुर शास्त्री से इस विषय पर फिल्म बनाने का वादा किया.


मनोज कुमार ने इजाजत मांगी, तो उन्होंने कहा कि मुंबई जाना होगा. इस पर मनोज कुमार ने कहा कि वे ट्रेन से मुंबई जाएंगे. मनोज कुमार ने बताया कि हवाई जहाज का सफर करना उन्हें अच्छा नहीं लगता है. बाद में उन्होंने ट्रेन पकड़ी और मुंबई के लिए रवाना हो गए, दिल्ली पार करते हुए फरीदाबाद जनपद शुरू हो गया, यहां खेतों में फसलें खड़ी थीं और लोग खेतों पर काम कर रहे थे, बस यहीं से मनोज कुमार के दिमाग में उपकार फिल्म बनाने का आइडिया आया और यह फिल्म जबरदस्त हिट साबित हुई.


गीतकार साहिर लुधियानवी डर के कारण कभी नहीं बैठे प्लेन में


मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी को हवाई जहाज के नाम से डर लगने लगता था. साहिर बॉलीवुड के पहले ऐसे गीतकार हैं जिन्होंने संगीत की धुन पर गाने लिखने का चलन शुरू किया. उनके गीतों में शायरी की नायाब झलक देखने को मिलती है. उनके गीत आज भी लोकप्रिय हैं. फिल्म कभी कभी का गीत 'मैं पल दो पल का शायर हूं' आज भी सबसे ज्यादा सुने जाने वाले गीतों में से एक हैं. इसी तरह से हमराज फिल्म का गाना 'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों' बहुत मशहूर है.


फिल्मों में गीतकारों को पहचान और सम्मान दिलाने में भी साहिर का बड़ा योगदान है. साहिर के प्रयासों से ही फिल्मों के पोस्टरों में गीतकार का नाम देने का सिलसिला शुरू हुआ. साहिर ने एक से बढ़ कर एक भजन भी लिखे हैं जो आज भी गुनगुनाए जाते हैं. 'अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम' उनका ही लिखा भजन है.


सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी साहिर ने कभी हवाई जहाज का सफर नहीं किया. वे खुद कहा करते थे कि उन्हें डर लगता है. उनके साथवाले उनके इस डर का बहुत मजाक भी उड़ाया करते थे.