Manoj Kumar Pakistan Connection : आजादी के बाद जब रंगीन फिल्मों का दौर शुरू हुआ, तब देशभक्ति(Desh bhakti) की फिल्मों ने भी अपनी अलग जगह बनाई. इनमें देश प्रेमी के रूप में सबसे ज्यादा नाम कमाया हरिकिशन गिरि गोस्वामी (Harikrishan Giri Goswami) ने, जिन्हें हम सभी हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता मनोज कुमार (Manoj Kumar) के नाम से भी जानते हैं. बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता और निर्देशक रह चुके हरिकिशन गिरि गोस्वामी ने फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार की एक फिल्म को देखकर अपना नाम बदलकर मनोज कुमार रख लिया था. भारत कुमार के नाम से भी पहचाने जाने वाले मनोज कुमार ने कई फिल्में बनाईं, जो दर्शकों के भीतर देशभक्ति की भावना जगाने में कामयाब साबित हुईं और आज भी इन्हें हिट माना जाता है. आइए मनोज कुमार के बारे में आपको बताते हैं कई ऐसी बातें, जिनके बारे में आप भी शायद ही जानते हों. 


पाकिस्तान में जन्मे थे मनोज कुमार -  
मनोज कुमार के माता-पिता ब्राह्मण थे. अब खैबर पख्तूनख्वा के नाम से पहचाने जाने वाले पाकिस्तान के एबटाबाद शहर यानी उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत में 24 जुलाई 1937 को मनोज कुमार का जन्म हुआ था. आजादी से पहले यह हिस्सा भारत में ही था. हालांकि, उनके जन्म के 10 साल बाद देश को जब आजादी मिली, तो उन्हें विभाजन का दंश झेलना पड़ा. इसके चलते वह जलियाला शेरखान से दिल्ली जाने को मजबूर हुए. इसके बाद मनोज कुमार का परिवार कुछ वक्त तक विजय नगर, किंग्सवे कैंप में शरणार्थियों के रूप में रहा और फिर ये लोग राजधानी दिल्ली के राजेंद्र नगर में चले गए. 


दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया ग्रेजुएशन 
मनोज कुमार ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपने स्नातक की शिक्षा हासिल की. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अभिनय में दिलचस्पी के कारण फिल्म इंडस्ट्री में पहुंचने के लिए मायानगरी बॉम्बे (अब मुंबई) जाने का निर्णय लिया. यहां पर उनके सफर से सभी वाकिफ हैं, लेकिन अगर बात करें उनके परिवार की तो उनका विवाह शशि गोस्वामी से हुआ और उनके कर्म गोस्वामी, वंश गोस्वामी और मुस्कान गोस्वामी नाम के तीन बच्चे हैं. 


पहली ही फिल्म में बने 80 साल के बुजुर्ग 
मनोज कुमार की पहली फिल्म का नाम फैशन था. 1957 की इस फिल्म में मनोज कुमार ने एक 80 वर्षीय बुजुर्ग का किरदार निभाया था. इस फिल्म के बाद मनोज कुमार हरियाली और रास्ता फिल्म में अभिनय करते नजर आए. 1962 में आई इस फिल्म का निर्देश विजय भट्ट ने किया था. यही वो फिल्म थी जिसने मनोज कुमार को चमका दिया. फिल्म में मनोज कुमार और माला सिन्हा की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया. फिर 1964 में मनोज कुमार ने वो कौन थी जैसी सुपरहिट फिल्म दी, जबकि अगले ही साल यानी 1965 में रिलीज हुई गुमनाम भी सुपरहिट साबित हुई. इस वर्ष ही मनोज कुमार हिमालय की गोद फिल्म में अभिनय करते दिखे और विजय भट्ट के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा बिजनेस किया और फिल्म हिट रही. 


कैसे नाम पड़ा भारत कुमार
वर्ष 1965 मनोज कुमार के लिए काफी अच्छा साबित हुआ. इसी साल उनकी एक फिल्म और आई, जिसका नाम शहीद (Shaheed) था. अपने करियर की इस अहम फिल्म में उन्होंने भगत सिंह की भूमिका निभाई थी. फिर इसके बाद 1967 में रिलीज हुई उपकार फिल्म के साथ ही उन्होंने फिल्म निर्देशन में भी कदम रखा. इस फिल्म में उन्होंने बेहतरीन काम किया और उनके किरदार का नाम भारत मशहूर हो गया और इसी के साथ उनका नाम भी जुड़ गया. इस फिल्म ने उन्हें ना केवल फिल्म इंडस्ट्री बल्कि देश में भी भारत कुमार के नाम से मशहूर कर दिया. 


पूर्व पीएम के कहने पर बनाई थी फिल्म 
बताया जाता है कि देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने स्वयं उनसे यह फिल्म उपकार (Upkaar) करने के लिए कहा था. इसकी वजह शास्त्री जी द्वारा देश को दिया गया नारा ‘जय जवान- जय किसान था’. यह फिल्म इसी नारे पर आधारित थी और इसका गाना मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती… आज भी स्वतंत्रता दिवस पर सुनकर लोगों का सिर गर्व से ऊंचा उठ जाता है. मनोज कुमार यहीं नहीं रुके और उन्होंने पूरब और पश्चिमी, रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति, क्लर्क, जय हिंद जैसी फिल्मों का भी निर्देशन किया. 


कई अवॉर्ड पा चुके हैं मनोज कुमार - वर्ष 1972 में रिलीज हुई फिल्म बेईमान के लिए मनोज कुमार (Manoj Kumar) को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया. फिर 1975 में आई फिल्म रोटी कपड़ा और मकान (Roti kapda aur makaan) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया. इतना ही नहीं उनके शानदार फिल्मी सफर को देखते हुए 1992 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया, जबकि 2016 में उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.