नई दिल्ली: फिल्मों में गेस्ट अपीयरेंस की शुरुआत किसने की इसके बारे में शायद कम ही लोगों को मालूम हो. हिंदी फिल्मों में गेस्ट अपीयरेंस की  शुरुआत कलर फिल्मों से नहीं ब्लैक एडं व्हाइट फिल्मों से मानी जाती है. बताया जाता है कि मशहूर चरित्र अभिनेता ओमप्रकाश ने हिंदी सिनेमा में गेस्ट अपीयरेंस का चलन शुरू किया था.


मशहूर अभिनेता ओमप्रकाश की आवाज और उनके बोलने का स्टाइल भला कौन भूल सकता है. ओमप्रकाश ने गोपी, चुपके चुपके, बुढ्ढा मिल गया, आजाद, शराबी, सरगम, पड़ोसन, मुनीमजी, तेरे घर के सामने जैसी दर्जनों फिल्मों में शानदार अभिनय किया और अपने हुनर की छाप छोड़ी.


ओमप्रकाश का जन्म पाकिस्तान में हुआ था उनके पिता बहुत अमीर थे. जिनकी जम्मू कश्मीर में कई कोठियां थीं. लेकिन ओमप्रकाश मस्तमौला किस्म के इंसान थे. इनकी रूचि अभिनय की तरफ हुई. शुरूआत में इन्होंने 1937 में ऑल इंडिया रेडियो में 25 रुपये में नौकरी कर ली. इनका एक कार्यक्रम बहुत पसंद किया जाने लगा जिसे ये फत्ते दीन के नाम से पेश करते थे. इस कार्यक्रम से उनकी लोकप्रियता घर घर पहुंच गई.


एक दिन एक मशहूर फिल्म निर्माता दलसुख पंचौली ने उन्हें मिलने के लिए कहा. जब ओम प्रकाश उनसे मिलने पहुंचे तो दलसुख पंचौली ने यह कहकर इंकार कर दिया कि वे किसी ओमप्रकाश को नहीं जानते न ही उन्होंने इस नाम के व्यक्ति को मिलने के लिए बुलाया है.


इससे ओमप्रकाश को बहुत अजीब लगा. परेशान ओमप्रकाश लाहौर में एक चाय की दुकान पर बैठे थे वहां मशहूर अभिनेता प्राण भी आया करते थे. पूरी बात जब प्राण को बताई तो उन्होने कहा कि दलसुख ने ठीक ही कहा वे ओमप्रकाश को नहीं बल्कि रेडिया वाले नाम फत्ते दीन को जानते हैं, इसके बाद वे उनसे मिलने पहुंचे और उन्होने ओमप्रकाश को दासी फिल्म में काम करने का मौका दिया.


विभाजन के बाद ओमप्रकाश को मुंबई आना पड़ा. विभाजन का उन पर बहुत गहरा असर पड़ा. उन्हें मुंबई में दो दिनों तक भूखा रहना पड़ा. ओमप्रकाश की प्रतिभा को सबसे पहले बीआर चौपड़ा ने पहचाना.


इसके बाद वे हिंदी फिल्मों का अहम हिस्सा माने जाने लगे. उन्होंने कई फिल्मों में गेस्ट अपीयरेंस के रोल में नजर आए. जिनमें उन्हें खूब पसंद किया गया. इसके बाद धर्मेंद्र,अमिताभ बच्चन,सलमान खान,इरफान खान, शाहरूख खान जैसे कलाकारों ने भी फिल्मों में  गेस्ट अपीयरेंस की भूमिका निभाई.