तू जहां जहां चलेगा मेरा साया साथ होगा, लग जा गले और झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में गाने तो आपने सुने ही होंगे. इन गानों को गुजरे जमाने की बेहतरीन अदाकारा साधना (Sadhana) पर फिल्माया गया था. साधना ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई थी. वह 60-70 के दशक की टॉप अभिनेत्रियों में से एक मानी जाती थीं.


आपको बता दें कि साधना का जन्म 1941 में कराची (पाकिस्तान) में हुआ था. वह सिंधी परिवार में जन्मी थीं और माता-पिता की इकलौती संतान थीं. 1960 में फिल्म लव इन शिमला से साधना ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था. पहली ही फिल्म से साधना ने सफलता का स्वाद चखा और फिल्म सुपरहिट हो गई. फिल्म में साधना के हीरो जॉय मुखर्जी थे और इसके डायरेक्टर आरके नय्यर थे.




इस फिल्म में काम करते-करते साधना आरके नय्यर के करीब आ गई थीं और दोनों ने फिल्म की रिलीज के 6 साल बाद शादी कर ली थी. दोनों अपनी शादीशुदा जिंदगी में बेहद खुश थे लेकिन इनकी कोई संतान नहीं थी. उधर साधना ने फिल्मी करियर में भी ऊंचाइयां छुईं लेकिन शादी के 30 साल बाद आरके नय्यर के निधन ने उन्हें तोड़कर रख दिया. पति के निधन के बाद साधना अकेली पड़ गईं क्योंकि उनकी कोई संतान भी नहीं थी.




पति की मौत के बाद साधना का कानूनी पचड़े में पड़ने का भी सिलसिला ऐसा शुरू हुआ कि वो कभी थमा नहीं. जिस मकान में वह रहती थीं उस पर भी कोर्ट केस हो गया. वह बीमारी की हालत में कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर थीं. आखिरकार 25 दिसंबर 2015 को वो घड़ी आई जब साधना हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से रुखसत हो गईं. दुःख की बात ये है कि अंतिम समय में भी अपना दर्द बांटने के लिए उनके पास कोई ना था और ना ही उनके अंतिम संस्कार में ज्यादा लोग पहुंचे.


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