नई दिल्ली: अभिनेता अर्जुन कपूर का मानना है कि फिल्म उद्योग में पारिश्रमिक में अंतर एक संवेदनशील मुद्दा है. हालांकि किसी अभिनेता को कितना मेहनताना मिलता है और कितना नहीं , इस बारे में बात करना उन्हें ‘‘ बड़ा मूर्खतापूर्ण और बेकार ’’ लगता है.


बॉलीवुड में पारिश्रमिक में अंतर पर उन्होंने कहा कि यह ऐसा नहीं है कि ‘‘ अभिनेता , अभिनेत्रियों से बेहतर होते हैं ’’, लेकिन कई साल तक नायक ही किसी फिल्म के लिये टिकट खिड़की पर कारोबार बढ़ाते थे.



बीती शाम ‘ बेंड द जेंडर ’ कार्यक्रम में अर्जुन ने संवाददाताओं से कहा , ‘‘ हम लोग यह नहीं कह रहे हैं कि अगर आप उन्हें ( अभिनेत्रियों को ) अधिक पैसा देते हैं तो हम लोग काम नहीं करेंगे. मैंने कभी नहीं पूछा कि मेरे साथ काम करने वाले कलाकारों को कितना पैसा दिया जा रहा है. ’’  हालांकि उन्होंने माना कि पिछले कुछ वर्ष से फिल्म उद्योग में महिलाओं के लिये चीजें बदली हैं क्योंकि किसी फिल्म की व्यावसायिक सफलता के चलते अब अभिनेत्रियां भी अधिक मेहनताना पा रही हैं.

उन्होंने कहा , ‘‘ मैं महिला प्रधान फिल्म कहने के खिलाफ हूं. लेकिन उदाहरण के लिये अगर ‘‘ राजी ’’ अच्छा करती है तो आलिया भट्ट को उनकी अगली फिल्म के लिये अधिक पैसा दिया जायेगा. ऐसा ही कुछ फायदा ‘‘ एनएच 10’’ की सफलता से अनुष्का शर्मा को मिला. ’’

उन्होंने कहा , ‘‘ भारत एक बहुत बड़ा देश है. इसलिए मैं ‘ बेंड द जेंडर ’ जैसे मंच से इस सोच में बदलाव करने की कोशिश कर रहा हूं. फिल्म उद्योग कोई एक रात में नहीं बदल जायेगा. हम लोग कोशिश कर रहे हैं. इसलिए हमें फिल्म उद्योग को इसका श्रेय देना चाहिए क्योंकि हम लोग अधिक धर्मनिरपेक्ष और खुले विचार वाले हैं. ’’