बॉलीवुड फिल्में हर साल बनती हैं और लोग अपने पसंदीदा स्टार्स की फिल्में देखने के लिए सिनेमाघरों में भारी तादाद में जाते हैं, हर फिल्म में एक इंटरवल होता है जिसमें लोग पॉपकॉर्न का मजा लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं बॉलीवुड के इतिहास में एक फिल्म ऐसी भी बनी थी जिसमें इंटरवल ही नहीं था, इस फिल्म का नाम था ‘इत्तेफाक़’.


दरअसल, ये बात है साल 1969 की जब यश चोपड़ा ने एक गुजराती प्ले ‘धूमस’ था जो इंग्लिश प्ले ‘साइनपोस्ट टु मर्डर’ से प्रेरित था. यश चोपड़ा को वो नाटक इतना पसंद आया कि वो अगले ही दिन अपने साथ राइटर्स को साथ ले गए और प्ले दिखाकर बोले कि इस नाटक पर फिल्म बनाते हैं. उसी दौरान राजेश खन्ना फिल्मफेयर का एक कॉन्टेस्ट जीते थे जिसमें उन्हें एक फिल्म में काम करने का मौका भी दिया जाना था, तो यशजी ने उन्हें ही इस फिल्म के लिए हीरो साइन कर लिया. फिर बात आई फिल्म की एक्ट्रेस की तो यश चोपड़ा को एक ऐसी हीरोइन की जरूरत थी जो फिल्म में खूनी की भूमिका को निभा सके, मगर दर्शकों को आखिर तक पता ना चल सके कि मासूम चेहरे वाली ये लड़की खून भी कर सकती है, इसीलिए उन्होंने राजेश खन्ना के साथ नंदा को ले लिया.


हीरो, हीरोइन फाइनल होने के बाद, फिल्म की शूटिंग भी जल्दी ही शूरू हो गई और जितनी जल्दी शूटिंग शूरु हुई उतनी ही जल्दी खत्म भी हो गई, महज 20 दिनों में यश जी ने फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली थी. फिल्म रिलीज हुई तो दर्शकों से भी इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली और फिल्म हिट हुई. 'इत्तेफाक' बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म बनी जिसमें इंटरवल नहीं था. शुरू से अंत तक ये फिल्म एक ही बार में दिखाई गई.


इस फिल्म में राजेश खन्ना ने एक पेंटर का किरदार निभाया था जिसपर अपनी अमीर पत्नी (अरूणा ईरानी) को मारने का आरोप लगता है. पुलिस से छुपने के लिए वो नंदा के बंगले में छुप जाते हैं, लेकिन उसी रात उन्हें ये एहसास होता है कि घर की मालकिन उनसे कुछ छुपा रही है. दरअसल, नंदा उर्फ घर की मालकिन अपने पति की लाश तक राजेश को नहीं पहुंचने देना चाहती. एक और बात इस फिल्म में इंटरवल तो था ही नहीं साथ ही कोई गाना भी नहीं था.


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