रामायण सीरियल को देखने के लिए घरों में लोग कैद हो जाते थे. एक कर्फ्यू जैसी स्थिति हो जाया करती थी..ऐसा लगता था कि जैसे मानो हर कोई टीवी से चिपककर रहना चाहता हैं. रामायण को रामानंद सागर ने बनाया था. आपको पता है रामानंद सागर को करीब दो साल तक सूचना प्रसारण मंत्रालय के चक्कर काटने पड़े थे रामायण को दूरदर्शन पर चलवाने के लिए रामानंद सागर ने पहले एक पायलट एपिसोड बनाया.


उसे सरकारी अफसरों को दिखाया गया. उन्होंने उसे रिजेक्ट कर दिया, कहा कि इसमें सीता माता ने cut sleeves ड्रेस पहनी है. इसलिए ये नहीं जा सकता उन्होंने कुछ और भी बदलाव सुझाए जिन्हें करने के बाद रामानंद सागर ने दूसरा पायलट एपिसोड उन्हें दिखाया. ये भी रिजेक्ट हो गया. पहला धार्मिक सीरियल टीवी पर प्रसारित होना था इसलिए सरकारी अधिकारी भी चाहते थे कि इसमें कहीं कोई ऐसी कमी ना रह जाए जिससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो जाएं. रामानंदर सागर का दूसरा पायलट एपिसोड रिजेक्ट होने के बाद तीसरा पायलट एपिसोड बनाया उन्होंने. उसे दिखाया गया और वो भी रिजेक्ट हो गया.



मुश्किल से मिली थी मंजूरी


रामानंद सागर ने उस वक्त एक पत्रकार को इंटरव्यू में कहा था कि मेरे दो तीन जोड़ी जूते घिस चुके हैं. सूचना मंत्रालय के दफ्तर के चक्कर काटते-काटते और अब तक रामायण को मंजूरी नहीं मिली है. रामानंद सागर जो थे वो उस वक्त बड़े फिल्म मेकर थे. उन्होंने कई अच्छी फिल्में बनाई थी.उनका कहना था कि इससे अच्छा तो मैं आंखें फिल्म का पार्ट 2 बना लेता.आखिरकार दो साल बाद जाकर हरी झंडी मिली रामायण को और रामायण सीरियल दूरदर्शन पर शुरू हुआ.और फिर तो इतिहास बन गया.



लोकेशन ढूंढना नहीं था आसान


रामायण की शूटिंग के दौरान के किस्से भी बेहद दिलचस्प हैं. रामानंद सागर को एक ऐसी लोकेशन चाहिए थी जहां पहाड़ हों..पेड पौधे हों. मुंबई में शूटिंग करना महंगा हुआ करता था और रामायण में किरदार भी बहुत सारे थे तो रामानंद सागर परेशान हो गए कि शूटिंग करें तो कहां करें. ऐसे में एक हरि भाई हुआ करते थे उस वक्त उन्होंने रामानंद सागर को एक जगह सुझाई. उगरगांव जो गुजरात के पास थी..रामानंद सागर गए और उन्होंने वो जगह देखी ..उन्हें वो जगह पसंद आई... और वहां पर शूटिंग जो है शुरू कर दी गई.


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रामायण की शूटिंग में कई बार कुछ सीन्स के लिए बहुत सारे एक्टर्स की जरूरत पड़ती थी. मुंबई में तो कलाकार आसानी से मिल जाते थे लेकिन उगरगांव मुंबई से काफी दूर था तो गांव गांव में जाकर ऐलान किया जाता था कि भई रामायण की शूटिंग हो रही है.आप कोई किरदार निभाना चाहते हैं तो आ जाइए तो गांव भर से लोग भर भर के आ जाते थे. उनके ऑडिशन लिए जाते थे और फिर उन्हें फाइनल कर लिया जाता था. रामायण की शूटिंग भी रात भर चला करती थी. रामानंद सागर को रात में शूटिंग करना काफी पसंद था. और सब कलाकार भी काफी को-ओपरेट किया करते थे.रामानंद सागर जब तक संतुष्ट नहीं होते थे. वो शूटिंग करते रहते थे...चाहे कितने भी बज जाएं.


राम के लिए हुआ था टेस्ट


रामायण की शूटिंग के दौरान एक बार प्रभु श्रीराम का ही टेस्ट ले लिया गया... अरुण गोविल जिन्होंने श्रीराम का किरदार निभाया उनके बारे में कहा जाता था कि एक बार स्क्रिप्ट पढ़ लेते हैं ना तो भूलते नहीं हैं और वन टेक शॉट देते हैं. ऐसे ही एक कलाकार थे राज शेखर. उन्होंने भी रामायण में कुछ किरदार निभाया था. उनके बारे में भी कहा जाता था कि एक बार इन्हें सीन समझा दो दोबारा बताने की जरूरत नहीं पड़ती है. जब रामायण की शूटिंग खत्म हो गई तो अचानक से अरुण गोविल और राज शेखर को बुलाया गया और बोला आप तैयार हो जाइए.


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अरुण गोविल को कहा गया आप तो श्रीराम के गेटअप में तैयार हो जाइए और राज शेखर से कहा गया कि भई तुम गुप्तचर बन जाओ और उन्हें 22 पन्ने की एक स्क्रिप्ट दे दी गई.अरुण गोविल और राज शेखर ने स्क्रिप्ट पढ़ी और एक ही बार में सीन शूट कर दियालेकिन फिर पूछा कि भई शूटिंग तो खत्म हो गई तो अब ये आप क्या शूट करवा रहे हैं तो रामानंद सागर ने उन्हें गले लगाया और कहां कि मैंने बड़ी तारीफ सुनी थी कि तुम दोनों वन टेक आर्टिस्ट हो..बड़ी से बड़ी स्क्रिप्ट एक ही बार में पढ़ लेते हो और शूट कर देते हो..तो मैं तुम्हारा टेस्ट ले रहा था.



रामायण में एक ऐसा सीन था जिसमे अरुण गोविल को समझ ही नहीं आया कि इसे कैसे शूट करूं सीन ये था कि राम वनवास में हैं. भरत उनके पास आते हैं और उन्हें अपने पिता दशरथ की मृत्यू की सूचना देते हैंअरुण गोविल का कहना था कि ये सीन उनके लिए पूरी रामायण का सबसे मुश्किल सीन था.उन्हें उस वक्त समझ ही नहीं आया कि किस तरह का रिएक्शन दें क्योंकि वो प्रभु श्रीराम की भूमिका में थेअब भगवान उदास तो हो नहीं सकते,दुखी तो हो नहीं सकते लेकिन पिता की मृत्यू हुई है तो किस तरह का भाव देना है.ये उस वक्त अरुण गोविल के लिए बहुत मुश्किल साबित हुआ लेकिन इस मुश्किल सीन को भी उन्होंने बहुत आसानी से कर दिया.


आधे घंटे पहले पहुंचती थी कैसेट


रामायण हर हफ्ते संडे को आया करती थी और हर हफ्ते दूरदर्शन के दफ्तर में रामायण के कैसेट भेजे जाते थे. कई बार पता है क्या होता था प्रसारण से आधा घंटा पहले ये कैसेट पहुंचती थी अब भई इतना बड़ा शो है कैसेट तैयार करते करते समय लग जाता था लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि कैसेट नहीं पहुंच पाई और रामायण टेलीकास्ट नहीं हो पाई.


आजकल कलाकारों को शूटिंग के लिए हल्की प्लास्टिक की ज्वैलरी दी जाती है लेकिन उस वक्त मेटल की ही ज्वैलरी पहननी होती थी और उससे कलाकारों को कई बार चोट भी लग जाती थी..खरोंच भी आ जाती थी..बेहद गर्मी हुआ करती थी वहां. AC फ्लोर नहीं होते थे लेकिन इन सब दिक्कतों के बावजूद वो कलाकार शूटिंग करते थे.मिलजुलकर रहा करते थे.एक परिवार जैसा माहौल था.24-24 घंटे कई बार शूटिंग चलती थी.


कई घंटों तक रोती रहीं कैकेयी


रामायण के एक सीन जुड़ी कहानी और भी बेहद दिलचस्प है. एक सीन में राजा दशरत केकैयी से बुरी तरह नाराज हो जाते हैं और केकैयी कोप भवन में चली जाती हैं.केकैयी का किरदार पद्मा खन्ना नाम की एक्ट्रेस ने निभाया था और जब वो कोप भवन में जाती हैं तो रोने लगती हैं.केकैयी यानी पद्मा खन्ना इस सीन में इस हद तक घुस गईं कि कट बोले जाने के बाद भी कई घंटे तक वो रोती रहीं.रामानंद सागर भी इस सीन को देखकर बहुत भावुक हो गए और उनके भी आंसू छलक आए