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क्या मुंबई के पहले डॉन करीम लाला से प्रभावित था फिल्म 'जंजीर' का शेर खान
47 बरस बीत जाने के बाद भी फिल्म 'जंजीर' की चमक फीकी नहीं पड़ी है. लोगों के जेहन में आज भी फिल्म 'जंजीर' के किरदार रचे बसे है. खास तौर से शेर खान का. बताते हैं कि शेर खान का किरदार डॉन करीम लाला से प्रभावित था.
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नई दिल्ली: 'जंजीर' फिल्म जिन लोेगों ने देखी है वे अभिनेता प्राण के उस किरदार को भला कैसे भूल सकते हैं, जिसमें वे शेर खान बने थे. 'जंजीर' फिल्म की सफलता में शेर खान का भी बड़ा योगदान था. ये वही फिल्म थी, जिसने अमिताभ बच्चन की 'एंग्रीमैन' की इमेज को गढ़ा था. 70 के दशक में आई फिल्म 'जंजीर' जबरदस्त ब्लॉक बस्टर साबित हुई थी.
इस फिल्म में शेर खान के रोल को चरित्र अभिनेता प्राण ने अपनी अभिनय प्रतिभा से ऐसे तरासा था कि उन पर फिल्माया गया ' यारी है इमान मेरा, यार मेरी मेरी जिंदगी' गाना आज भी दोस्ती की मिशाल पेश करना का सबसे अच्छा जरिया माना जाता है. लेकिन शायद कम ही लोगों को मालूम हो कि शेरखान का यह किरदार रियल डॉन करीम लाला से काफी हद तक प्रभावित था.
करीम लाला यानी मुंबई का पहला डॉन. 60 और 70 के दशक में डॉन करीम लाला की मुंबई पर हुकूमत थी. उसे फिल्मों का शौक था. इसी वजह से करीम लाला ने मुंबई की तरफ रूख किया. करीम लाला 1911 में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में पैदा हुआ था. करीम लाला 21 साल की उम्र में पाकिस्तान से मुंबई आया और उसने गैरकानूनी धंधे शुरू कर दिए. उसने अपने जुर्म की शुरुआत शराब और जुआ के अड्डों से की बाद में वह तस्करी के धंधे में उतर गया.
फिल्म जंजीर में शेर खान एक पठान था. जो किसी को एक बार जबान दे दे तो फिर पीछे नहीं हटता था. वह भी जुआ के अड्डे चलाता था और शराब का धंधा किया करता था. शेर खान किसी से डरता नहीं था. उसे बहादुर और ईमानदार लोग पसंद थे. कहा जाता है कि शेरखान का यह किरदार असल में करीम लाला से काफी हद तक प्रभावित था. क्योंकि 'जंजीर' फिल्म में प्राण द्वारा निभाए गए शेर खान के रोल और करीम लाला के व्यक्तित्व में काफी सामनता है.
करीम लाल के बारे में कहा जाता है कि वह एक वसूल पसंद व्यक्ति था. गंगूबाई काठियावाड़ी जो कि एक महिला डॉन थी. उसे करीम लाला ने अपनी बहन बना लिया था क्योंकि उसके गैंग के एक गुर्गे ने गंगूबाई के साथ कथित तौर पर रेप किया था. करीम लाला के गैंग का नाम पठान गैंग था. पहले दाऊद इब्राहिम अंडरवर्ल्ड डॉन बनने से पहले करीम लाला के गैंग का हिस्सा था, लेकिन दाऊद की हरकतों की वजह से करीम लाला ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया. दाऊद ने एक बार उसके क्लब में हंगामा किया तो करीम लाला को ये बात इतनी खराब लगी कि उसने दाऊद की इस कदर पिटाई की वह अधमरा हो गया.
यहीं से दाऊद करीम लाला को अपना जानी दुश्मन मानने लगा था. करीम लाला को दाऊद के काम करने का तरीका पसंद नहीं था. क्योंकि बताते हैं कि करीम लाल के गैर कानून धंधे में भी एक ईमानदारी हुआ करती थी और उसके कुछ नियम थे. जिसे दाऊद तोड़ना चाहता था. इसीलिए करीम लाला और दाऊद की गैंग के बीच खूनी गैंगवार का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें दाऊद ने बाजी मार ली. करीम लाला के पठान गैंग के खत्म होते हैं दाऊद अंडरवर्ल्ड का डॉन बन गया.
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