Anand Bakshi Trivia: आनंद बख्शी ने अपने करियर (Career) में एक से बढ़कर एक सुपर हिट गाने (Superhit Songs) लिखे है. उनके रचित गानों को लोग आज भी बहुत चॉव के साथ सुनना पसंद करते हैं. शब्दों के इस जादूगर का जन्म पाकिस्तान (Pakistan) के रावलपिंडी (Rawalpindi) में 21 जुलाई 1930 में हुआ था. आनंद बख्शी ने लिरिक्स लेखन को एक नया रूप दिया. आज उनका नाम फिल्म जगत (Film Industry) के लिजेंडरी लिरिसिस्ट में लिया जाता है. हालांकी उनके फैंस को शायद ही ये बात पता हो आनंद बख्शी कभी भी सांग राइटर नहीं बनना चाहते थे, लेकिन उनकी किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. आइए जानते है कि वो आखिर क्या बनना चाहते थे.


क्या बनना चाहते थे आनंद बख्शी


आनंद बख्शी का परिवार पाकिस्तान में रहता था, लेकिन विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया. कई शहरों में रहने के बाद अंत में उनका परिवार दिल्ली में शिफ्ट हो गया. आनंद बख्शी शुरुआत में सांग राइटर नहीं बल्कि एक सिंगर बनना चाहते थे और अपने सपने को पूरा करने के लिये वो मुम्बई पहुंच गये, लेकिन सफल नहीं हो सके. वापस जाने के बाद उन्होंने इंडियन आर्मी को ज्वाइन कर लिया. हालांकी वो बहुत दिनों तक अपनी मंजिल से दूर नहीं रह सके और एक बार फिर से सिंगर बनने के लिये मुम्बई चले आए. इस बार उनकी मुलाकात भगवान दादा से हुई.


भगवान दादा ने आनंद बख्शी को फिल्म ‘भला आदमी’ में गाने लिखने का चांस दिया. इस फिल्म से आनंद बख्शी को फिल्मी दुनिया का रास्ता मिला गया. आनंद बख्शी को सही मायने में फिल्म जब जब फूल खिले के लिखे गीत 'ये समा समा है ये प्यार का' और 'परदेसियों से न अखियां मिलाना' जैसे गानों से मिल गई. इसके बाद आनंद बख्शी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.


यादगार गाने


आनंद बख्शी (Anand Bakshi) ने अपने करियर में 'हम तुम एक कमरे में बंद हों', 'आदमी मुसाफिर है', 'सावन का महीना' और 'ओम शांति ओम' जैसै हजारों शानदार गाने लिखे. आज वो हमारे बीच नहीं है, लेकिन अपने यादगारों गानों के जरिये उनका नाम हमेशा इज्जत से लिया जाएगा.


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