नई दिल्ली: संगीत प्रेमी आरडी बर्मन के नाम को भला कैसे भूल सकते हैं. आरडी बर्मन का पूरा नाम राहुल देव बर्मन था लेकिन वे मशहूर थे 'पंचम दा' के नाम से. पंचम दा यानी संगीत के सात सुरो में से एक सुर. आरडी बर्मन संगीत के मामले में विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. उनके बारे में ये भी कहा जाता है कि आरडी बर्मन समय से पहले बॉलवुड में आ गए थे. आरडी बर्मन ने फिल्मों में सुरीला संगीत ही नहीं दिया बल्कि बॉलीवुड संगीत को बुलंदी और एक नई दिशा दी. संगीत के मामले में अगर उन्हें जीनियस कहा जाए तो गलत नहीं होगा.


संगीतकार एसडी बर्मन के काबिल संतान के रूप में आरडी बर्मन में अपनी अलग ही पहचान बनाई. धुनों पर उन्होनें बहुत काम किया. फिल्मी संगीत में पर्कशनिस्ट के अहमियत को सबसे पहले आरडी बर्मन ने ही पहचाना. उनके कई सुपर हिट गीतों में पर्कशनिस्ट का शानदार प्रयोग देने को मिलता है. उन्होने कई भारतीय और पश्चिमी वाद्य यंत्रों के साथ कई प्रयोग किए जो बेहद सफल रहे. वे इतने प्रतिभाशाली थे कि कार के बोनट से लेकर घर में बेकार पड़ी चीजों से भी संगीत निकाल दिया करते थे.


आरडी बर्मन बेहद प्रयोगधर्मी संगीतकार थे. उनके मित्र और प्रशंसक मशहूर गीतकार गुलजार भी आडी बर्मन की काबलियत से बेहद प्रभावित थे. कहा जाता है कि गुलजार के गीतों की धुनें बनाना सबसे चुुनौतीपूर्ण कार्य होता है. आरडी बर्मन इस चुनौती को बड़ी ही सहजता से स्वीकार करते थे. गुलजार की फिल्मों में आरडी ने बेहद शानदार संगीत दिया है जो आज भी सराहा जाता है.


शोले फिल्म में उनके संगीत को आज भी खूब पसंद किया जाता है. इस फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक भी आरडी ने ही तैयार किया था. जो आज भी लोगों को प्रभावित करता है. आरडी बर्मन की प्रतिभा को सबसे पहले अभिनेता अशोक कुमार ने पहचाना. आरडी बर्मन को रोता देख अशोक कुमार ने उनके पिता से कहा कि ये तो रोता भी सुर में है. यहीं से उनका नाम पंचम पड़ गया जो बाद में फिल्म इंडस्ट्रीज में पंचम दा के नाम से मशहूर हुए. 4 जनवरी 1994 में सुरों का पंचम इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गया.