मुंबई: जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधान‌ में किये गये हालिया बदलाव से जुड़े ऐतिहासिक फैसले को लेकर अभी एक दिन भी नहीं गुजरा था कि बॉलीवुड में इस संजीदा विषय पर फिल्म बनाने का उतावलापन देखा जाने लगा था. ऐसे में इंडियन मोशन पिक्सर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IMPPA), प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन फिल्म ऐंड टेलिविजन प्रोड्यूसर्स काउंसिल (IFTPC) में अनुच्छेद 370 पर संभावित फिल्मों के शीर्षकों को रजिस्टर कराने को लेकर फिल्म निर्माताओं में होड़ मची हुई है.


उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 370 में बदलाव को लेकर बिल लोकसभा में पास भी नहीं हुआ था और निर्माताओं की तमाम बॉडीज़ में शीर्षकों को दर्ज कराने‌ की शुरुआत कर दी थी और ये सिलसिला अब थमने का नाम नहीं ले रहा है.


अब आपको बताते हैं किस किस तरह के शीर्षकों रजिस्टर कराने की कोशिशें इन फिल्म बॉडीज के जरिए हो रही हैं. ऐसे कुछ नाम हैं - आर्टिकल 370, आर्टिकल 35A, कश्मीर हमारा है, कश्मीर में तिरंगा, आर्टिकल 35A स्क्रैप्ड, आर्टिकल 370 स्क्रैप्ड, आर्टिकल 370 अबॉलिश्ड, अनुच्छेद 370, अनुच्छेद 35A आदि.


IMPAA के सेक्रेटरी अनिल नागरथ ने एबीपी न्यूज़ को दिये खास इंटरव्यू के दौरान माना कि जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 से संबंधित फैसले के अगले दिन से शीर्षक से संबंधित एप्लिकेशन और शीर्षक की उपलब्धता से संबंधित कॉल्स आने‌ का सिलसिला थम नहीं रहा है. उन्होंने बताया कि शीर्षक को पंजीकृत करने के लिए अब तक औपचारिक रूप से 4-5 एप्लीकेश‌न आ चुकीं हैं और तरह तरह के शीर्षक की उपलब्धता को लेकर अब तक 80 से 100 इंक्यावरीज़ भी आ चुकीं हैं.


अनिल नागरथ ने ये भी बताया कि जो शीर्षक पहले से दर्ज होंगे या फिर जिन्हें सबसे पहले दर्ज किया जाएगा, वो शीर्षक बाद में किसी और निर्माता को नहीं मिल सकते हैं. इसीलिए निर्मातों में तरह तरह के शीर्षकों को सबसे पहले रजिस्टर करने को लेकर ये बैचैनी और बेताबी देखी जा रही है.


मगर IMPAA के सेक्रेटरी ये कतई नहीं मानते हैं कि ये जम्मू-कश्मीर से सालों से चस्पां आर्टिकल 370 जैसे संजीदा विषय को बॉलीवुड भुनाने की कोशिश कर रहा है.


बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की बायोपिक पीएम नरेंद्र मोदी को को-प्रोड्यूस करनेवाले निर्माता आनंद पंडित ने एक महीने पहले ही 2 टाइटल - आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A रजिस्टर करा लिए थे. आनंद पंडित का दावा है कि वो काफी समय से इस विषय पर फिल्म बनाने की सोच रहे थे, ऐसे में उन्होंने पहले ही दोनों टाइटल रजिस्टर करा लिए थे. IMPAA और IFTPC ने भी एबीपी न्यूज़ से बातचीत के दौरान इस बात की पुष्टि की और कहा कि अब ये दोनों टाइटल किसी और को नहीं दिये जा सकते हैं.


एबीपी न्यूज़ को दिए एक बयान में आनंद पंडित ने कहा, "मैं हमेशा से जानना चाहता था कि एक राज्य (जम्मू-कश्मीर) को इस तरह की विशेष सुविधाएं क्यों दी गयीं हैं. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राज्य को ऐतिहासिक रूप से पुनर्गठित किए जाने के बाद अब मुझे अपनी फिल्म की परफेक्ट एंडिंग भी मिल गयी है. अब ये महज इतिहास पर आधारित फिल्म न होकर एक ऐतहासिक फिल्म होगी."


उधर, एक और जाने-माने फिल्ममेकर निर्माता विजय गलानी भी इस विषय पर फिल्म बनाना चाहते हैं. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से फोन पर बातचीत के दौरान कहा कि उन्होंने कल ही (मंगलवार को) आर्टिकल 370 नाम से शीर्षक दर्ज कराने के लिए एक एप्लीकेशन एक फिल्म बॉडी में भेजी है और उन्हें उम्मीद है कि ये शीर्षक उन्हीं के हिस्से आयेगा.


खैर, ये पहला मौका नहीं है जब बॉलीवुड ने राष्ट्रीय स्तर की किसी बड़ी घटना को इस तरह से एनकैश करने के बारे में सोचा हो. बॉलीवुड का ये उतावलापन पुलवामा हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में किये गये एयर स्ट्राइक और विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान द्वारा अपने कब्जे में लिये जाने के बाद भी देखा गया था. सर्जिकल स्ट्राइक के फौरन बाद इस मसले पर आधारित फिल्मों के शीर्षक दर्ज कराने की होड़ निर्माताओं में देखी गयी थी. उस दौरान जिस तरह के शीर्षक दर्ज कराए गये थे, उनके कुछ उदाहरण हम आपको फिर से याद दिला देते हैं. वो नाम हैं पुलवामा - द डेडली अटैक्स, सर्जिकल स्ट्राइक 2.0, बालाकोट, पुलवामा अटैक्स, हाऊ इज द जोश आदि.


इतना ही नहीं, जाने-माने फिल्मकार संजय लीला भंसाली, प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी माने जानेवाले महावीर जैन और काई पो चे व केदानाथ जैसी फिल्में बना चुके फिल्मकार अभिषेक कपूर के साथ पुलवामा पर हुए हमले और उसके बाद के घटनाक्रम को पर्दे पर उतारने की ख़बर बालाकोट हमले के 10 दिनों के अंदर सुर्खिंया बनकर छा गयीं थीं.


अनुच्छेद 370 पर फिल्म बनाने को लेकर फिल्मकारों में मची हड़बड़ी से एक बार फिर से ये बात समझ में आती है कि बॉलीवुड को बहती गंगा में हाथ धोने से कभी कोई गुरेज नहीं रहा है.


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