देशभर में शक्तिपर्व नवरात्रि की धूम है और ऐसे में फिल्म 'मर्द' का वो फेमस गाना ‘मां शेरों वाली’ ना सुनाई दे भला ऐसा कैसे हो सकता है. यह गाना 80 और 90 के दशक के फेमस सिंगर शब्बीर कुमार ने गाया था, जो आज भी लोगों की जुबान पर छाया हुआ है. शब्बीर ने अपने दौर में एक से बढ़कर एक हिट गाने गाए थे, इनमें फिल्म ‘तेज़ाब’ का फेमस गाना, ‘सो गया ये जहान’, फिल्म ‘आज का अर्जुन’ का ‘गोरी हैं कलाइयां’ और फिल्म ‘घायल’ का ‘सोचना क्या जो भी होगा देखा जाएगा’ शामिल हैं. लेकिन उनका सबसे फेमस गाना 1985 में आई फिल्म 'गुलामी' का था. इस फिल्म में शब्बीर ने लता मंगेशकर के साथ ज़िहाल-ए-मिस्कीन मकुन ब-रंजिश गाना गाया था जिसकी वजह से वह आज भी याद किए जाते हैं.

शब्बीर के गाने जितने फेमस हैं उतना ही फेमस है उनसे जुड़ा एक बेहद दिलचस्प किस्सा. खुद शब्बीर ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात को साझा किया था. दरअसल, हुआ कुछ यूं था कि 80 के दौर में शब्बीर का सिंगिंग करियर नया-नया था साथ ही यह वह समय था जब मोहम्मद अजीज के साथ ही सुरेश वाडकर, पंकज उदास, कुमार सानु और उदित नारायण जैसे दिग्गज सिंगर्स अपना करियर शुरू कर रहे थे. ऐसे में समझा जा सकता है म्यूजिक इंडस्ट्री में तब बेहद कठिन कॉम्पटीशन था.

ठीक इसी समय बॉलीवुड के लेजेंड्री सिंगर मोहम्मद रफ़ी साहब के निधन की खबर आती है. शब्बीर कहते हैं कि रफ़ी साहब के इंतकाल की खबर सुनकर वो भी उनके जनाज़े में पहुंचे. यहां उनके साथ एक ऐसी घटना हुई जिसने उनका पूरा जीवन बदलकर रख दिया. शब्बीर की मानें तो रफ़ी साहब को दफनाते समय उनकी घड़ी कब्र में गिर गई, ऐसा होते ही शब्बीर समझ गए कि प्रकृति उन्हें इशारा कर रही है कि रफ़ी साहब की लीगेसी को अब वह आगे बढ़ाएंगे.

अब इसे अंधविश्वास मानें या कुछ और लेकिन हुआ भी ऐसा ही..शब्बीर ने ना सिर्फ उस दौर के सभी टॉप अभिनेताओं की फिल्मों में गाने गाए, बल्कि रफ़ी साहब के जाने के बाद वही एक ऐसे सिंगर माने जाते थे जो काफी हद तक उनके जैसा गाते थे. बहरहाल, शब्बीर कुमार आज भी संगीत को समर्पित हैं और देश-दुनिया में कॉन्सर्ट करते रहते हैं.