नई दिल्ली: 'हिंदुस्तान जिंदाबाद था, है और रहेगा'. या फिर नल उखाड़ने वाला सीन हो. सनी देओल की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'गदर: एक प्रेमकथा' के लगभग हर सीन पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं. ये वो दौर था जब दर्शक सनी की आने वाली फिल्मों का बेसब्री से इंतजार किया करते थे. क्योंकि जब जब सनी का ढाई किलो का हाथ विलेन पर पड़ता था, तो फैंस को कुछ ज्यादा ही मजा आता था. सनी और अमीषा पटेल स्टारर फिल्म 'गदर: एक प्रेमकथा' साल 2001 में रिलीज हुई थी, जिसने सिनेमाघरों में भी खूब गदर मचाई थी.


उस फिल्म की सफलता का पैमाना इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब ये फिल्म रिलीज हुई तो सिनेमाघरों में पैर रखने की जगह भी नहीं हुआ करती थी. चाहे दिल्ली हो या मुंबई, इस फिल्म की चर्चा रिलीज से पहले ही हो रही थी और जब सिनेमाघरों में लगी तो जो हुआ उससे कोई अंजान नहीं है.



हालांकि इस बात की जानकारी कम ही लोगों को है कि 'गदर एक प्रेमकथा' एक रीयल स्टोरी पर बनी फिल्म है. सनी की ये फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा जिसे अब म्यांमार कहा जाता है, में ब्रिटिश सेना में नौकरी करने वाले एक फौजी जिसका नाम बूटा सिंह है की है. बूटा सिंह की सच्ची लव स्टोरी और बंटवारे की पूरी कहानी इस फिल्म में दिखाई गई है, मगर फिल्म का अंत असलियत के काफी अलग है. असली में बूटा सिंह की पत्नी के घर वालों ने लड़की पर इतना दबाव डाला कि उसने हिंदुस्तान आने से इंकार कर दिया, जिसके बाद बूटा सिंह ने पाकिस्तान में ही एक ट्रेन के आगे छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली.



फिल्म 'गदर एक प्रेमकथा' बनाने का आइडिया सबसे पहले इसके लेखक शक्तिमान को आया और उन्होंने ही अनिल शर्मा को ये कहानी सुनाई जो, उन्हें इतनी पसंद आई कि उन्होंने इस फिल्म को बनाने की ठान ली. चलिए इस फिल्म के बारे में एक और अनसुनी बात आपको बताते हैं और वो ये है कि इस फिल्म की स्क्रिप्ट के अनुसार अंत में अमीषा पटेल को गोली लगती है और उनकी मौत हो जाती, लेकिन शूटिंग के वक्त सनी देओल ने क्लाइमेक्स बदल दिया. जब इस बारे में सनी देओल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, 'फिल्म की ओरीजनल कहानी में सकीना की गोली लगने से मौत होनी थी, मगर जब फिल्म की टीम ने इस बारे में सोचा तो लगा कि इस बात से दर्शक नाराज़ हो सकते हैं. हमें लगा कि कहीं लव स्टोरी के ऐसे अंत से गदर ही ना मच जाए, इसलिए हमने फिल्म का अंत बदलकर हैप्पी कर दिया.'



वहीं, फिल्म जितनी बेहतरीन और एंटरटेनिंग थी. उतना ही इसका संगीत भी शानदार रहा. आनंद बख्शी के लिखे और उत्तम-जगदीश वाले उत्तम सिंह ने खूबसूरती से कंपोज किया. 'गदर एक प्रेमकथा' के गाने इतने हिट हुए कि उस साल फिल्म के म्यूजिक की 25 लाख यूनिट्स बिकी थीं.