कंगना रनौत बंगला मामले में हाई कोर्ट ने BMC से पूछा- क्या निर्माणाधीन हिस्सा गिराया गया?
बीएमसी के मुताबिक, कंगना ने पाली हिल वाले बंगले में बिना अनुमति कई बदलाव किए जिसके खिलाफ पांच सितंबर को पहला नोटिस दिया गया.अदालत यह जानना चाहती है कि बदलाव गैर कानूनी था या नहीं, क्या वह पहले से ही मौजूद था क्योंकि बीएमसी कानून की धारा-354ए के तहत महानगरपालिका केवल गैर कानूनी तरीके से चल रहे निर्माण कार्य को ही रोक सकती है.
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से पूछा कि क्या 9 सितंबर को उसके द्वारा कंगना रनौत के बंगले के जिस हिस्से को गिराया गया था वह निर्माणाधीन था या वह पहले से ही मौजूद था. बंगले के हिस्से को ध्वस्त करने के खिलाफ कंगना द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागला ने पूछा कि बीएमसी ने भूतल पर मौजूद कई ढांचों को क्यों गिराया.
बीएमसी के मुताबिक, कंगना ने पाली हिल वाले बंगले में बिना अनुमति कई बदलाव किए जिसके खिलाफ पांच सितंबर को पहला नोटिस दिया गया.अदालत यह जानना चाहती है कि बदलाव गैर कानूनी था या नहीं, क्या वह पहले से ही मौजूद था क्योंकि बीएमसी कानून की धारा-354ए के तहत महानगरपालिका केवल गैर कानूनी तरीके से चल रहे निर्माण कार्य को ही रोक सकती है. कंगना ने अपनी संशोधित याचिका में कहा है कि उनके पास जनवरी 2020 में बंगले में की गई पूजा की तस्वीर और अप्रैल-मई 2020 में एली डेकोर पत्रिका में प्रकाशित तस्वीर है जो दिखाती है कि ध्वस्त किया गया हिस्सा पहले से ही मौजूद था.कंगना ने अपनी याचिका में कहा कि इस प्रकार बीएसमी का यह आरोप गलत है कि वहां निर्माण चल रहा था.अभिनेत्री ने अदालत में कहा कि उन्होंने कोई गैर कानूनी निर्माण नहीं कराया और जो भी बदलाव थे वे बीएमसी की कार्रवाई से पहले से ही मौजूद थे.
कंगना के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सर्राफ ने पीठ के समक्ष शुक्रवार को कहा कि जब नगर निकाय ने ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया तब केवल वाटरप्रूफिंग का कुछ काम चल रहा था और इसकी अनुमति पहले ही उनकी मुवक्किल ने ले रखी थी. सर्राफ ने कहा, ‘इस तथ्य के बावजूद कि वहां कोई अवैध निर्माण नहीं किया गया, बीएमसी ने कहा कि वहां गैर कानूनी तरीके से निर्माण चल रहा है. वहां वह कथित अवैध निर्माण उस समय से पहले से था जब उसका पता चलने की बात की गई.’
उन्होंने शुक्रवार को बीएमसी द्वारा अदालत में जमा तस्वीरों को रेखांकित करते हुए कहा कि उसमें डिजिटल तौर पर अंकित तारीख नहीं है सिवाय उनके द्वारा अंकित पांच सितंबर की तारीख के. अदालत ने बीएमसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनोय से कहा कि वह उस बीएमसी अधिकारी को अपना फोन अदालत में जमा करने को कहे ताकि पता लगाया जा सके कि ये तस्वीरें कब ली गईं.
पीठ ने कहा, ‘हम इसका परीक्षण करेंगे कि वहां काम चल रहा था या नहीं.’ इसके साथ ही अदालत ने कंगना के वकील को अगली सुनवाई पर यह बताने को कहा कि क्या ध्वस्त किए गए सभी हिस्से जनवरी 2020 से ही मौजूद थे या नहीं.अदालत ने यह भी संज्ञान लिया कि बीएसमी ने अपने हलफनामे में कहा कि कंगना ने भूतल पर प्रवेश द्वार की स्थिति बदली लेकिन भूतल की अन्य चीजों को भी ध्वस्त किया गया. अदालत ने कहा, ‘हम इस बारे में सोच रहे हैं कि कैसे भूतल को ध्वस्त किया गया जब वहां कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा था.
यहां बताया गया कि केवल प्रवेश द्वार की स्थिति बदली गई थी, वहां भूतल पर कोई निर्माण होता नहीं दिखाया गया है उन्होंने भूतल को लेकर जो हलफनामे में आरोप लगाए हैं वे पहले ही हो चुके थे, फिर भूतल को कैसे तोड़ा गया.’सर्राफ ने कहा कि पूरी कार्रवाई द्वेषपूर्ण थी जो इस तथ्य से साबित होती है कि बीएमसी ने यह कदम कंगना द्वारा महाराष्ट्र सरकार को लेकर की गई आलोचनात्मक टिप्पणी के बाद उठाया. इस मामले में जिरह सोमवार को भी जारी रहेगी.