(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
टी-सीरीज के मालिक Bhushan Kumar की बढ़ी मुश्किलें, बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेप की FIR कैंसिल करने से किया इंकार
Bhushan Kumar: टीसीरीज के मालिक भूषण कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कुमार के खिलाफ दर्ज रेप एफआईआर को कैसिल करने से इंकार कर दिया.
Bombay HC On Bhushan Kumar: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज रेप की एफआईआर कैंसिल करने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता अब मामले को रद्द करने के लिए सहमति दे रहा था इसका मतलब ये नहीं है कि इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. बता दें कि एक महिला मॉडल ने भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए अपनी रजामंदी दी थी.
भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज रेप एफआईआर नहीं हुई कैंसिल
जस्टिस एएस गडकरी और पीडी नाइक की बेंच जुलाई 2021 में भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज रेप की एफआईआर को रद्द किये जाने की कुमार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान बेंच ने कहा, "सिर्फ इसलिए कि पक्ष सहमति दे रहे हैं इसका मतलब यह नहीं है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत एफआईआर को रद्द कर दिया जाना चाहिए. हमें एफआईआर के कंटेंट, रिकॉर्ड किए गए बयानों को देखना होगा कि क्राइम जघन्य था या नहीं. कंटेंट से रिलेशनशिप (इस मामले में) सहमतिपूर्ण नहीं लगता है.” इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 2 जुलाई 2023 की डेट दी है.
भूषण कुमार के वकील ने कोर्ट में क्या कहा?
वहीं मामले में कुमार की ओर से पेश वकील निरंजन मुंदरगी ने कोर्ट 2017 मे में दलील दी कि 2017 में कथित तौर हुए रेप की घटना के लिए जुलाई 2021 में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने संबंधित मजिस्ट्रेट की कोर्ट के सामने बी-समरी रिपोर्ट पेश की थी. मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने अप्रैल 2022 में पुलिस की बी समरी रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.
कोर्ट ने कुमार के खिलाफ इसलिए रद्द नहीं की एफआईआर
वहीं हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान एफआईआर, शिकायतकर्ता महिला द्वारा मामले को रद्द करने के लिए अपनी सहमति देने वाले एफिडेविट और मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा पारित आदेश का अवलोकन किया. इसके बाद बेंच की राय थी कि कंटेंट यह नहीं दर्शाती है कि आरोपी और महिला के बीच संबंध सहमति से बने थे.
कोर्ट ने कहा,"सहमति हलफनामे का कंटेंट एफआईआर को कैंसिल करने के लिए काफी नहीं है. आम तौर पर, धारा 376 के तहत, शिकायतकर्ता की सहमति से एफआईआर को रद्द किया जा सकता है. लेकिन फिर वह एफआईआर या एफिडेविट के बाद होता है जो दर्शाता है कि एक सहमति संबंध था. यहां शिकायतकर्ता केवल यह कह रही है कि वह 'सरकमस्टेंशियल मिसअंडरस्टैंडिग' की वजह से मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है." इसके बाद बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए 2 जुलाई की तारीख दे दी.
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