Salman Khan: सलमान खान से जुड़े साल 2019 के एक आपराधिक मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. अपने आदेश में कोर्ट ने ये भी कहा कि न्यायिक प्रक्रिया को किसी अभियुक्त को सिर्फ इसलिए परेशान करने का साधन नहीं बनाना चाहिए क्योंकि वह एक फेमस हस्ती है. एक्टर के खिलाफ एक पत्रकार ने धमकी देने और मारपीट करने के आरोप में केस दर्ज कराया था. इसी मामले को कोर्ट ने खारिज किया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
जस्टिस भारती डांगरे ने अपने आदेश में कहा कि मशहूर सेलेब्स को अनावश्यक उत्पीड़न का शिकार नहीं होना चाहिए. आदेश में कहा गया, "ज्यूडिशियल प्रोसिडिंग्स को केवल इसलिए अनावश्यक उत्पीड़न का जरिया नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि अभियुक्त एक फेमस सेलिब्रिटी है और कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना, उसे एक शिकायतकर्ता के हाथों बेवजह प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए, जिसने अपने बदले को संतुष्ट करने के लिए मशीनरी को मोशन जिया और यह मान लिया कि सिने स्टार द्वारा उसका अपमान किया गया है. ”
सलमान ने समन को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
सलमान खान और उनके बॉडीगार्ड ने एक पत्रकार की शिकायत पर समन जारी करने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहीं शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उसने खान को मुंबई की सड़कों पर साइकिल चलाते हुए देखा और उनके बॉडीगार्ड से उनकी वीडियो बनाने की इजाजत मांगी थी. परमिशन मिलने पर उसने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया. पत्रकार ने दावा किया था कि खान चिढ़कर उससे उसका फोन भी छीन लिया था और डाटा भी डिलीट कर दिया था और मारपीट की थी. इसे लेकर पत्रकार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी थी.
मजिस्ट्रेस ने सलमान खान के खिलाफ जारी किया था समन
वहीं आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 202 के तहत "पॉजिटिव पुलिस रिपोर्ट" और बाकी के कंटेंट के बेस पर मजिस्ट्रेट ने खान के खिलाफ प्रोसिडिंग्स करने के लिए पर्याप्त आधार पाया. मजिस्ट्रेट ने देखा कि खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध किए गए थे, और उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहने के लिए समन किया था. हालांकि हाईकोर्ट ने अप्रैल 2022 में इस आदेश पर रोक लगा दी थी. खान ने अपने खिलाफ शिकायत को रद्द करने की भी मांग की थी.
मजिस्ट्रेट शिकायत का संज्ञान में हुए फेल
वहीं जस्टिस डोंगरे ने कहा कि मजिस्ट्रेट शिकायत का संज्ञान लेने से पहले क्रिमिनल प्रोसिजर संहिता के तहत अपेक्षित प्रक्रियात्मक आदेश का पालन करने में विफल रहे. इसके बाद जज ने यह देखते हुए आदेश को खारिज कर दिया कि खान के खिलाफ प्रोसेस जारी करना और उसके खिलाफ कार्यवाही जारी रखना "प्रक्रिया के दुरुपयोग से कम नहीं होगा."
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