भोपाल: भोपाल में आज एक खास मौका आया जब शायर जावेद अख्तर ने अपने पिता जानिसार अख्तर को याद किया तो उनके बेटे फरहान अख्तर ने अपने दादा की गजलें और नज़्में पढ़कर उनको श्रद्धांजलि दी.
मशहूर गज़लकार जानिसार अख्तर की गजलों की हिन्दी की पहली किताब 'आवाज दो हम एक है' के विमोचन के दौरान जावेद अख्तर अपनी पत्नी शबाना आजमी और बेटे फरहान अख्तर के साथ भोपाल आए.
जावेद ने अपनी जिंदगी के शुरूआती दिन भोपाल में गुजारे हैं इसलिये ये उनका शहर कहलाता है. जावेद ने अपने पिता को याद किया. उनकी गजलें और नज़्मे सुनाईं तो उनके बेटे फरहान अख्तर ने अपने दादा की नज्में सुनाकर दाद पाई.
इस मौके पर जावेद ने कहा कि 'सात पुश्तों से हमारे यहां गजलें लिखी जा रहीं है तो मैं भी गजल लिखता हूं. बेटा फरहान भी लिखता है, मगर सुनाता नहीं है और फरहान की बेटी भी कविताओं जैसी गजब बातें करतीं है, तो ये खानदानी काम हो गया है हमारा.'
इस मौके पर जावेद अख्तर के नाम पर रखे गये पहले जावेद अख्तर अवार्ड गजलकार और कवि सूर्यभानु गुप्त को दिया गया.